अंडे और कसमें तोड़ने में कोई देर नहीं लगती है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 14 जून 2025

अंडे और कसमें तोड़ने में कोई देर नहीं लगती है

बैल  को  सींग और आदमी  को उसकी  जबान से  पकड़ा  जाता  है।
अक्सर रात को दिया वचन सुबह तक मक्खन सा पिघल जाता है।।

तूफान  के  समय की शपथें उसके थमने पर भुला दी जाती हैं।
वचन देकर नहीं मित्रता निभाने से कायम रखी जा सकती हैं।।

एक रुपये वचन की कीमत आधे रुपये के बराबर भी नहीं होती है।
वचन    और    पंख   को    अक्सर    हवा    उड़ा   ले   जाती   है।।

एक छोटा-सा उपहार बहुत बड़े वचन से बढ़कर होता है।
वचन    के  देश   में   मनुष्य   भूखा   मर   सकता   है।।

अंडे और कसमें तोड़ने में कोई देर नहीं लगती है।
तंगदिल इंसान की जबान बहुत लम्बी रहती है।।

दो बातूनी साथ-साथ बहुत दूर तक यात्रा नहीं कर पाते हैं।
समझदार धन-दौलन से पहले जबान पर पहरा लगाते हैं।।

   ....कविता रावत