मगर म्यारू भुल्ला दारू नि पेई || New Uttarakhandi latest Song || - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 24 जून 2025

मगर म्यारू भुल्ला दारू नि पेई || New Uttarakhandi latest Song ||



भले काचू पाकू रूखु सूखू खैई
भले जनि तनि करि घर तू चलैई
भले कैका गोरू बकरा चरैई
मगर म्यारू भुल्ला दारू नि पेई

यु दारू त घर मा झगड़ा करांद
फेफड़ा सुखांद जिकुड़ी जलांद
बुरी लत येकी कभी नि लगैई
भले काचू पाकू रूखु सूखू खैई
भले जनि तनि करि घर तू चलैई
भले कैका गोरू बकरा चरैई
मगर म्यारू भुल्ला दारू नि पेई

यू कच्चि पक्कि दारू गुमठियों कु चखना
नीयत नि बिगडि बचीकि तू रहना
दारू की लत बडि बुरि हूंद
रोग लगन्द घरबार फुकंद
दरोल्यों की संगत म कभी नि रैई
भले काचू पाकू रूखु सूखू खैई
भले जनि तनि करि घर तू चलैई
भले कैका गोरू बकरा चरैई
मगर म्यारू भुल्ला दारू नि पेई

यु दारू ठेकदारों कु धंधा च भुल्ला
पैसा कमाण की मशीन च भुल्ला
कभी भूलि की भी ठेका नि जैई
न दारू लेई-पेई न कैथे पिलई
भले काचू पाकू रूखु सूखू खैई
भले जनि तनि करि घर तू चलैई
भले कैका गोरू बकरा चरैई
मगर म्यारू भुल्ला दारू नि पेई

@कविता रावत