हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
मेरा ईमान भी अब बुझी हुई राख की तरह है
जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
.........कविता रावत
समाज का ईमानदार प्रतिबिम्ब।
ReplyDeleteचाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
ReplyDeleteमुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
Wah! Kya gazab kee rachana hai!
कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
ReplyDeleteसिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
Ye bhee panktiyan kamaal kee hain!
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
पढ़ लिखकर अगर गाँव में ही उन्नति करते नए रोजगार लगाते गाँव छोड़कर शहर न भागते तो आज गाँव इतने वीरान न होते ...क्या कहने बहुत अच्छे भाव है पूर्ण कविता में !
Vaah vaah , Kavita ji aanand aa gaya ..
ReplyDeletebahut umdaa ,padh kar achhaa lagaa
ReplyDeleteदेखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा ख़त्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
सचमुच दादी - नानी की कहानियाँ
बच्चो की किलकारियाँ
सब बातें पुरानी हो, कही खोती जा रही है !
सुन्दर प्रस्तुति !
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
वाह , क्या खूब कहा है !
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा ख़त्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
गाँव की उन्म्क्त हवा में किसानों के ठहाके गूंजते हैं
यहाँ हंसने के लिए भी लोग , लाफ्टर क्लब ढूंढते हैं ।
ग़ज़ल बहुत पसंद आई कविता जी ।
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
गाँव का यही रोना है, गाँव अब शहरी चकाचौंध में गम होते जा रहे हैनं .. ..आज के बच्चों को अब परियों का कहानियां अच्छी नहीं लगती ..दादी नानी कुछ खिलाये पिलाये तो ही बच्चे पास जाते है वर्ना कहानी तो वे सुनेगे नहीं टीवी पर कार्टून जो सबसे प्यारा लगता है....
बहुत प्यारी उम्दा नए अन्दांज में बेहद मन भायी..धन्यवाद
बढ़िया सुन्दर....
ReplyDeleteसादर...
mast likha hai yaar chhaa gaye guruuuuuuuuuuu.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...बधाई ऐसा ही कुछ मैंने भी लिखा है
ReplyDeleteसजा करतीं थी चोपलें ,पुराने नीम के नीचे
मगर अब गाँव मे उनके ,कोई चर्चे नहीं होते
सुना करते थे हम किस्से ,हमारी दादी नानी से
मगर अब तो बुजुर्गों के ठिकाने ही नहीं होते
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
सटीक लिखा है ...
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
*
ये दो पंक्तियां बहुत कुछ कहती हैं।
सचमुच दादी - नानी की कहानियाँ बच्चो की किलकारियाँ सारी बातें आज सिर्फ किताबों में ही रह गयी हैं, बचपन खो सा गया है, बचपन के पास भी अब अपने बचपन को जीने का वक़्त नहीं... सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह! वाह! कविता जी बहुत सुन्दर कविता है आपकी.
ReplyDeleteबहुत अच्छे भाव प्रस्तुत कियें हैं आपने.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरा ब्लॉग आपका इंतजार करता रहता है.
दर्शन दीजियेगा,प्लीज.
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
ReplyDeleteमुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
...सच कहा आपने यदि दिल में जगह हो तो बीच में दीवार आ ही नहीं सकती...
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
..गाँव की एक कडुवी सच्चाई की जिन्दा तस्वीर जिसे हम पढ़े लिखे लोग बमुश्किल स्वीकारते हैं....
सुन्दर प्रस्तुति....................!
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
कल 16/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
Well written kavita ji :)
ReplyDeleteकुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
सटीक प्रस्तुति.
कविता जी,..आपने बहुत सुंदर रचना लिखी,..बधाई .....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
सपने में कभी न सोचा था,जन नेता ऐसा होता है
चुन कर भेजो संसद में, कुर्सी में बैठ कर सोता है,
जनता की बदहाली का, इनको कोई ज्ञान नहीं
ये चलते फिरते मुर्दे है, इन्हें राष्ट्र का मान नहीं,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बिल्कुल सही बात...।
ReplyDeleteवर्तमान का सटीक वर्णन।
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
....लाज़वाब...हरेक शेर अपने आप में बहुत कुछ कह गया...बहुत सटीक प्रस्तुति..
अति सुन्दर रचना -शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteहमेशा की तरह एक ईमानदार अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteएक बेहतरीन ग़ज़ल. बहुत बहुत आभार!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावप्रणव अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल.
ReplyDeleteसादर.
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बहुत खूब! आज के दौर की सच्चाई है यह इसी धरज्ञतल से जुडी निम्न पंक्तियों पर भी जरा गौर फरमायें
मुझे तलाश है
रिश्तों की एक नदी की
जो गुम हो गयी है
कंक्रीट के उस जंगल में
जहॉ स्वार्थ के भेडिये,
कपट के तेंन्दुये,
छल की नागिनों जैसे
सैकडों नरभक्षी किसी भी
रिश्ते को लील जाने को
हरपल आतुर हैं
इस अभ्यारण्य में
मौकापरस्ती के चीते जैसे
जंगली जानवर
हर कंक्रीट की आड में
घात लगाये बैठे हैं
इसलिये मुझे लगता है
कि रिश्तों की वह निरीह नदी कहीं दुबककर रो रही होगी
याकि निवाला बन गयी होगी
इन कंक्रीट के बासिंदों का,
और अब प्यास बनकर
उतर गयी होगी
उन नरभक्षियांे के हलक में ? जाने क्यों ?
फिर भी मुझे तलाश है
रिश्तों की उस नदी की
जो बीते दिनों में
तब बिछड गयी थी मुझसे
जब मैं शाम के खाने के लिये रोजगार की लकडियांॅ बीनने
चला आया था
इस कंक्रीट के जंगल में!
.
वाह।
ReplyDeleteक्या बात है....
हर शेर लाजवाब।
khubsurat aur sarthak likha hai aapne....
ReplyDeleteदेखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बिलकुल सही कहा।
बहुत सुन्दर! हर पंक्ति लाजवाब!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteखुबसूरत अहसास ....! सच्चाई से रूबरू कराते हुए |
ReplyDeleteवाह!!! बेहतरीन, अदभुत
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बिलकुल सही कहा...
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
बहुत बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteलाजवाब!!!!
बधाई.
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
वाह ...बहुत लाजवाब!!!!
सारी के सारी रचना ही बहुत खूबसूरत है किसी एक पंक्ति को चुनपना मुनासिब ही नहीं सार्थ एवं सटीक ...बेहतरीन प्रस्तुति आज की ज़िंदगी के सच को बहुत ही खूबसूरती के साथ शब्दों से सजा दिया है आपने बहुत खूब ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteबेहद भाव पूर्ण ...अंतर तक स्पर्श करती अभिव्यक्ति....भाग दौड और विकास की अंधी दौड...कितना कुछ खो चुके हैं हम...कितना खोना और बाकी है...???
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा...
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत अहसास ..बेहतरीन प्रस्तुती.....
ReplyDeleteजिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
ReplyDeleteहमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
...बेहद खुबसूरत प्रस्तुति .
कविता जी, वाकई बहुत सुंदर
ReplyDeleteकुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
हरेक लफ्ज़ काबिले- तारीफ़ है...:)
ReplyDeleteकुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
..अधिक पढ़ लिख कर भी गाँव को पढ़ पाना सरल काम नहीं रहा है अब .. .. गाँव के दर्द को सचित्र समझाना मन को छू गया..
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
..शहर के नौनिहालों को यही सब भा रहा है ..क्या करे दादी नानियों की कहानियां सुनने में उनको कोई रूचि नहीं.....
एक बुलंद स्वर में बहुत कुछ कह गयी यह रचना ....
badalte vaqt ki dhukhad tasveer... kaash naya bhi ho lekin purana hamse door na ho...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति .....सफल प्रयाश
ReplyDeleteआपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteकोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
ReplyDeleteएक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
गजब की पंक्तियाँ लिखी है आपने ...बेहतरीन और लाजबाब
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती.
बहुत सुंदर निष्कर्ष निकाला है आजकल के माहौल में बिग बोस के गाली गलौज समाज को क्या शिक्षा देते है जरूर विचार करने योग्य है.
संवेदनशील प्रस्तुति.
आपकी कविता दुबारा पढ़ी बहुत ही अच्छी लगी
ReplyDeleteपर आप मेरे ब्लॉग पर नही आयीं,यह अच्छा नही लगा.
एक महीने में बस एक पोस्ट ही लिखने की सोचा है
उसपर भी आप जैसी प्रभु भक्त और प्रेमी न आयें,
इससे मुझे बहुत निराशा होगी,कविता जी.
मैं यह भी नही कह सकता की आप मुझ से नाराज हैं.
मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं आपके ब्लॉग की टिप्पणियों
का अर्ध शतक पूरा कर रहा हूँ.मुझे बधाई देने ही आजाईयेगा न.
आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ,कविता जी.
मेरी बातों का बुरा न मान लीजियेगा,प्लीज.
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
ReplyDeleteएक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
यह रचना संग्रह करने लायक है कविता जी !
एक एक पंक्ति दिल में उतर गयी ....
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
.....सचमुच दादी - नानी की कहानियाँ
बच्चो की किलकारियाँ
सब बातें पुरानी हो, कही खोती जा रही है !
सुन्दर प्रस्तुति !
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
.सटीक और असरदार सुन्दर रचना
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
ReplyDeleteमुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
क्या बात है !
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल।
बेहतरीन बहुत सुंदर रचना,...
ReplyDeleteनये पोस्ट की चंद लाइनें पेश है.....
पूजा में मंत्र का, साधुओं में संत का,
आज के जनतंत्र का, कहानी में अन्त का,
शिक्षा में संस्थान का, कलयुग में विज्ञानं का
बनावटी शान का, मेड इन जापान का,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
la jabab sundar prastuti .... badhai.
ReplyDeleteकुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
ReplyDeleteसिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
poori ki poori rachna bahut khoobsooti ke saath aaj ke haalat ko bayan karti hai...!!
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
ReplyDeleteमुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती ...
वाह कमाल का शेर कहा है आपने ... हकीकत बयान कर रहा है ...
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
बेहतरीन बहुत सुंदर रचना,...
बहुत खूब लिखा है आपने! उम्दा रचना! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
....अब तो बिगबॉस वाला ही जमाना आ गया है बेचारी दादी-नानी की कहानियाँ बहुत पुराणी हो चली है...
बहुत शानदार रचना
अच्छी सच्ची रचना...बधाई
ReplyDeleteनीरज
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 22 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... क्या समझे ? नहीं समझे ? बुद्धू कहीं के ...!!
जी सच कहा कहकहे ही तो कम पड़ते गए त्रासद जिन्दगी में ...प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDelete‘जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती’
ReplyDeleteशायद इस मिसरे में तब्दीलियों की दरकार है कविताजी।
ekdam ekdam jhkkas wali kavita sach me apne aage aane wali peedhi ko dadi nani k pyar se hi bada krna hia :)
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति,....
ReplyDeleteमेरे पोस्ट के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे
sunder abhivykti .
ReplyDeletevyastata to kabhee aswasthta hee tatsthata ka karan rahee .
aaj irada hai sabhee puranee rachanae jo choot gayee hai unhe bhee padne ka.
बिलकुल जीवन की सत्यता को उजागर करती पोस्ट.... सुंदर बहुत ही विचारनीय पोस्ट. जीवन की कडवी हकीकत कहती हुई. .... सुंदर प्रस्तुति.प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत उम्दा रचना..
ReplyDeleteवर्तमान परिवेश और परिस्थितियों पर सटीक काव्यात्मक टिपण्णी !
ReplyDeleteकविता बहुत सुंदर बन पाई है. बधाई !
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
ReplyDeleteएक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
भाव पूर्ण बेहतरीन रचना
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
ReplyDeleteमुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती ...
वाह कमाल का शेर कहा है आपने ...
बेहतरीन रचना
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
ReplyDeleteमुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
Wah! Kya gazab kee rachana hai.
सुंदर प्रस्तुति,....
ReplyDeletebhut khoob.......
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की इस ख़ास पेशकश :- २०११ के इस अवलोकन को मैं एक पुस्तक का रूप दूंगी , लिंकवाली पूरी रचना होगी ... यदि आप में से किसी को आपत्ति हो तो यहाँ या फिर मेरी ईमेल पर स्पष्ट कर दें ... और हाँ किसी को यह पुस्तक उपहार स्वरुप नहीं दी जाएगी ....अतः इस आधार पर निर्णय लें ... मेरा ईमेल है :- rasprabha@gmail.com .
ReplyDeleteमेरा ईमान भी अब बुझी हुई राख की तरह है
ReplyDeleteजिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
मेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,नई रोशनी में सारा जग जगमगा गया |
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
* नया साल मुबारक हो आप सभी को *
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
बेहद खूबसूरती से कही गई जिंदगी की ये सच्चाई ...वाह बहुत खूब
आने वाला नववर्ष आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय हो
कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
ReplyDeleteसिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
बहुत खूब और चित्र देख अपने गाँव के घर की याद आ गई ! आपको भी नव-वर्ष २०१२ की हार्दिक शुभकामनाये !
एक से बड कर एक ....
ReplyDeleteचाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती||
नव-वर्ष की शुभकामनाएँ |
"टिप्स हिंदी" में ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में
बेहतरीन प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । . नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteaapke blog par pahli baar aa rahi hoon aur bahut prabhavit hui hoo. aapki is gajal ka ullekh maine apne blog me bhi kiya hai.aapko saparivaar nav varsh ki subhkaamna .
ReplyDeleteNaye saal kee anek shubh kamnayen!
ReplyDeleteकविता जी बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भाव, बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteमेरा ईमान भी अब बुझी हुई राख की तरह है
जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeletevikram7: आ,साथी नव वर्ष मनालें......
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteवाह कविता जी ! बहुत सुंदर ग़ज़ल है ! हर शेर बेहतरीन !
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ !
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteआपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteनववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसमय बदल गया ,
ReplyDeleteलोग बदल गये ,
सोच बदल गयी ,
नही बदला तो ,
मन जो व्याकुल है
भारत और इंडिया के जंजाल मे ,
इंडिया पाश्चात संस्कृति का अदभुत चेहरा है
जहाँ व्यबसाय और गुंडो का पहरा है ,
भारत मे जहाँ समाज है
उसकी लूट मे सब बर्बाद है
क्योंकि मुझे मेरे भारतीय होने पर गर्व है और हमारा नववर्ष पतझड़ में नहीं वसन्त ऋतु में आता है इस बार स्वदेशी नववर्ष विक्रमी सम्वत- 2069 , अंग्रेजी केलेंडर के अनुसार 22 मार्च 2012 (वीरवार), गुरुवार शाम 07 :10 बजे शुरू हो रहा है और हम बड़ी धूम धाम से 22 मार्च को वसन्त ऋतु में अपना नववर्ष मनाएँगे !
पहली बार आपका ब्लौग देखा। आपके द्वारा रचित कवितायें बहुत अच्छी लगीं ।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभ कामनायें । अनुराग तिवारी
जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
ReplyDeleteहमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती
चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
बहुत खूब गजब रचना..
नए साल की शुभकामनायें!
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
ReplyDeleteवर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
बहुत बढ़िया रचना
नए साल के हार्दिक शुभकामना..
बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteनये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.......
नव वर्ष मंगलमय हो !
ReplyDeleteबहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ....
"जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
ReplyDeleteहमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती"
बहुत खूब ! कडवी हकीकत बयान करती सुंदर कविता।
नव वर्ष की मंगकामनाएं।
ReplyDeleteआपको व आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआभार !
आपको व आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें|
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !
ReplyDeleteHAPPY NEW YEAR KAVITA JI
ReplyDeleteati samvedan sheel rchna hae ......... jivan ki anekanek dushvariyan hi to jivan ke sahi arth smjha jati haen .bdhai
ReplyDeletebahut sundar kathy
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !
बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteआपको व आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं।
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।
ReplyDelete"जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
ReplyDeleteहमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती"
बहुत खूब ! जिंदगी के कठिन राहों से गुजरने वालों की ही आखिर में पूछ परख होती है... ..
मैडम आपको और पूरे परिवार को नए साल की शुभकामनायें.
एक से बढ़कर एक पन्तियाँ बहुत सुंदर रचना,....
ReplyDeleteWELCOME to new post--जिन्दगीं--
आपको एवं आपके परिवार को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteKavita ji ..nav varsh par hardik mangal kaamnayen... aur yah rachna bhi hamesha kee tarah umda.. she'r lajwaab
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत....हर शेर उम्दा......दाद कबूल करे|
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteबहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति,बढ़िया प्रस्तुति,....
ReplyDeletewelcome to new post--जिन्दगीं--
काश कि वो कहकहा लगे और सन्नाटा टूटे....
ReplyDeleteनववर्ष शुभ हो!!
Hello from France
ReplyDeleteThanks to your comment on my blog, I discovered yours
But I find it hard to read! if you write Hindi, google, translation, I could read, like right now on your site
A translator is not 100% effective but it can play all the same and understand.
I am delighted that India visit my blog.
You put a very fine text on Bhopal, it was a great world tragedy.
Here in France we had two hours of television for this city and especially that there are still risks.
The planet is really sick because of the human being.
I wish you a very pleasant day especially since it is the w-end, the rest does not hurt
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Chris
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फ्रांस से नमस्ते
मेरे ब्लॉग पर अपनी टिप्पणी के लिए धन्यवाद, मैं तुम्हारी खोज
लेकिन मैं यह मुश्किल पढ़ने के लिए मिल! यदि आप हिन्दी लिखने के लिए, गूगल, अनुवाद, मैं, की तरह अपनी साइट पर अभी पढ़ सकता है
एक अनुवादक नहीं 100% प्रभावी है, लेकिन यह सब एक ही खेलते हैं और समझ सकते हैं.
मैं खुश हूँ कि भारत अपने ब्लॉग पर जाएँ.
आप भोपाल पर एक बहुत ही सुन्दर पाठ कहें, यह एक महान दुनिया त्रासदी थी.
यहाँ फ्रांस में हम इस शहर के लिए टेलीविजन के दो घंटे की थी और विशेष रूप से वहाँ अभी भी जोखिम है कि.
ग्रह वास्तव में इंसान की वजह से बीमार है.
मैं एक बहुत ही सुखद दिन आप चाहते हैं, खासकर के बाद से यह w के अंत है, बाकी चोट नहीं करता है
चुम्बन
क्रिस
मेरे साइटों
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तुम्हारे लिए एक छोटा सा उपहार
http://nsm01.casimages.com/img/2009/03/04//090304073147505743259268.jpg
namaskar kavita ji
ReplyDeletebahut khoob .accha likha aapne .bhopal gas kand ki yaad punah taza ho gayo .woh manjar bahut bhayanak tha .........! sunder prastuti .
mere blog par aapka swagat hai ....:)
देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
ReplyDeleteशायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
वाह जी! बहुत खूब कही आपने...
नववर्ष शुभ मंगलमय हो!!
har sher bahut anokha aur khaas...
ReplyDeleteदेखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
shubhkaamnaayen.
ek jagruk nagrik ki soch apki kavita me ubharti hai.
ReplyDeletebahot khub ,bahot hi sndar chitran hai :))
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना ।
ReplyDeleteमेरी रचना भी देखें ।
मेरी कविता:मुस्कुराहट तेरी
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो
हार्दिक शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
ReplyDeletenew post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
बहुत खूब कविता रावत जी बेहतरीन रचना व्यंग्य करती आज के परिवेश और सामाजिक बुनावट पर .
ReplyDeletebahut achha likha hai.. achha laga blog padh kar ke...
ReplyDeletehappy new year 2012
It is a pleasure for me to know your interesting blog. Happy New Year & Hugs from Argentina.
ReplyDeletevah ! bus vah!
ReplyDeleteआपकी यह बेहतरीन रचना शुकरवार यानी 11/01/2013 को
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जाएगी…
इस संदर्भ में आप के सुझाव का स्वागत है।
सूचनार्थ,
ReplyDeleteएक ही शब्द निकल रहा बस वाह! वाह!!
बहुत शानदार रचना .....
बहुत गहन भाव लिए गजल .एक एक शेर दिल को छू गया .बधाई
ReplyDeleteNew post : दो शहीद
बहुत शानदार रचना!
ReplyDeletesb
ReplyDeleteVery Nice Poem.
ReplyDeletegeneral knowledge
True Poem Lines.