वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती...... - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती......

जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती

मेरा ईमान भी अब बुझी हुई राख की तरह है
जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती


कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती

.........कविता रावत

138 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

समाज का ईमानदार प्रतिबिम्ब।

kshama ने कहा…

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
Wah! Kya gazab kee rachana hai!

kshama ने कहा…

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
Ye bhee panktiyan kamaal kee hain!

Rajesh Kumari ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
पढ़ लिखकर अगर गाँव में ही उन्नति करते नए रोजगार लगाते गाँव छोड़कर शहर न भागते तो आज गाँव इतने वीरान न होते ...क्या कहने बहुत अच्छे भाव है पूर्ण कविता में !

शारदा अरोरा ने कहा…

Vaah vaah , Kavita ji aanand aa gaya ..

Nirantar ने कहा…

bahut umdaa ,padh kar achhaa lagaa

Jeevan Pushp ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा ख़त्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती


सचमुच दादी - नानी की कहानियाँ
बच्चो की किलकारियाँ
सब बातें पुरानी हो, कही खोती जा रही है !
सुन्दर प्रस्तुति !

डॉ टी एस दराल ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

वाह , क्या खूब कहा है !

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा ख़त्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती

गाँव की उन्म्क्त हवा में किसानों के ठहाके गूंजते हैं
यहाँ हंसने के लिए भी लोग , लाफ्टर क्लब ढूंढते हैं ।

ग़ज़ल बहुत पसंद आई कविता जी ।

pratibha ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

गाँव का यही रोना है, गाँव अब शहरी चकाचौंध में गम होते जा रहे हैनं .. ..आज के बच्चों को अब परियों का कहानियां अच्छी नहीं लगती ..दादी नानी कुछ खिलाये पिलाये तो ही बच्चे पास जाते है वर्ना कहानी तो वे सुनेगे नहीं टीवी पर कार्टून जो सबसे प्यारा लगता है....
बहुत प्यारी उम्दा नए अन्दांज में बेहद मन भायी..धन्यवाद

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बढ़िया सुन्दर....
सादर...

gautam ने कहा…

mast likha hai yaar chhaa gaye guruuuuuuuuuuu.

Mamta Bajpai ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...बधाई ऐसा ही कुछ मैंने भी लिखा है

सजा करतीं थी चोपलें ,पुराने नीम के नीचे
मगर अब गाँव मे उनके ,कोई चर्चे नहीं होते
सुना करते थे हम किस्से ,हमारी दादी नानी से
मगर अब तो बुजुर्गों के ठिकाने ही नहीं होते

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

सटीक लिखा है ...

राजेश उत्‍साही ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
*
ये दो पंक्तियां बहुत कुछ कहती हैं।

संध्या शर्मा ने कहा…

सचमुच दादी - नानी की कहानियाँ बच्चो की किलकारियाँ सारी बातें आज सिर्फ किताबों में ही रह गयी हैं, बचपन खो सा गया है, बचपन के पास भी अब अपने बचपन को जीने का वक़्त नहीं... सुन्दर प्रस्तुति

Rakesh Kumar ने कहा…

वाह! वाह! कविता जी बहुत सुन्दर कविता है आपकी.
बहुत अच्छे भाव प्रस्तुत कियें हैं आपने.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

मेरा ब्लॉग आपका इंतजार करता रहता है.
दर्शन दीजियेगा,प्लीज.

vijay ने कहा…

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
...सच कहा आपने यदि दिल में जगह हो तो बीच में दीवार आ ही नहीं सकती...
कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
..गाँव की एक कडुवी सच्चाई की जिन्दा तस्वीर जिसे हम पढ़े लिखे लोग बमुश्किल स्वीकारते हैं....
सुन्दर प्रस्तुति....................!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन।

सादर

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 16/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

संजय भास्‍कर ने कहा…

Well written kavita ji :)

बेनामी ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

सटीक प्रस्तुति.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

कविता जी,..आपने बहुत सुंदर रचना लिखी,..बधाई .....

मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
सपने में कभी न सोचा था,जन नेता ऐसा होता है
चुन कर भेजो संसद में, कुर्सी में बैठ कर सोता है,
जनता की बदहाली का, इनको कोई ज्ञान नहीं
ये चलते फिरते मुर्दे है, इन्हें राष्ट्र का मान नहीं,

पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

संजय भास्‍कर ने कहा…

बिल्कुल सही बात...।
वर्तमान का सटीक वर्णन।

Kailash Sharma ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

....लाज़वाब...हरेक शेर अपने आप में बहुत कुछ कह गया...बहुत सटीक प्रस्तुति..

Kewal Joshi ने कहा…

अति सुन्दर रचना -शुभ कामनाएं.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

हमेशा की तरह एक ईमानदार अभिव्यक्ति!!

शूरवीर रावत ने कहा…

एक बेहतरीन ग़ज़ल. बहुत बहुत आभार!

Amit Chandra ने कहा…

बेहतरीन गज़ल.

सादर.

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बहुत खूब! आज के दौर की सच्चाई है यह इसी धरज्ञतल से जुडी निम्न पंक्तियों पर भी जरा गौर फरमायें
मुझे तलाश है
रिश्तों की एक नदी की
जो गुम हो गयी है
कंक्रीट के उस जंगल में
जहॉ स्वार्थ के भेडिये,
कपट के तेंन्दुये,
छल की नागिनों जैसे
सैकडों नरभक्षी किसी भी
रिश्ते को लील जाने को
हरपल आतुर हैं
इस अभ्यारण्य में
मौकापरस्ती के चीते जैसे
जंगली जानवर
हर कंक्रीट की आड में
घात लगाये बैठे हैं
इसलिये मुझे लगता है
कि रिश्तों की वह निरीह नदी कहीं दुबककर रो रही होगी
याकि निवाला बन गयी होगी
इन कंक्रीट के बासिंदों का,
और अब प्यास बनकर
उतर गयी होगी
उन नरभक्षियांे के हलक में ? जाने क्यों ?
फिर भी मुझे तलाश है
रिश्तों की उस नदी की
जो बीते दिनों में
तब बिछड गयी थी मुझसे
जब मैं शाम के खाने के लिये रोजगार की लकडियांॅ बीनने
चला आया था
इस कंक्रीट के जंगल में!
.

Atul Shrivastava ने कहा…

वाह।
क्‍या बात है....
हर शेर लाजवाब।

सागर ने कहा…

khubsurat aur sarthak likha hai aapne....

मनोज कुमार ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बिलकुल सही कहा।

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुन्दर! हर पंक्ति लाजवाब!

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

अशोक सलूजा ने कहा…

खुबसूरत अहसास ....! सच्चाई से रूबरू कराते हुए |

Prakash Jain ने कहा…

वाह!!! बेहतरीन, अदभुत

www.poeticprakash.com

pankaj ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
बिलकुल सही कहा...

सदा ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

vidya ने कहा…

बहुत बहुत अच्छी रचना...
लाजवाब!!!!
बधाई.

Meenakshi ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

वाह ...बहुत लाजवाब!!!!

Pallavi saxena ने कहा…

सारी के सारी रचना ही बहुत खूबसूरत है किसी एक पंक्ति को चुनपना मुनासिब ही नहीं सार्थ एवं सटीक ...बेहतरीन प्रस्तुति आज की ज़िंदगी के सच को बहुत ही खूबसूरती के साथ शब्दों से सजा दिया है आपने बहुत खूब ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

Unknown ने कहा…

बेहद भाव पूर्ण ...अंतर तक स्पर्श करती अभिव्यक्ति....भाग दौड और विकास की अंधी दौड...कितना कुछ खो चुके हैं हम...कितना खोना और बाकी है...???
सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं

Unknown ने कहा…

बहुत ही अच्छा...

Maheshwari kaneri ने कहा…

बेहद खुबसूरत अहसास ..बेहतरीन प्रस्तुती.....

बेनामी ने कहा…

जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
...बेहद खुबसूरत प्रस्तुति .

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

कविता जी, वाकई बहुत सुंदर

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती

Nazeel ने कहा…

हरेक लफ्ज़ काबिले- तारीफ़ है...:)

Surya ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
..अधिक पढ़ लिख कर भी गाँव को पढ़ पाना सरल काम नहीं रहा है अब .. .. गाँव के दर्द को सचित्र समझाना मन को छू गया..

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
..शहर के नौनिहालों को यही सब भा रहा है ..क्या करे दादी नानियों की कहानियां सुनने में उनको कोई रूचि नहीं.....
एक बुलंद स्वर में बहुत कुछ कह गयी यह रचना ....

ZEAL ने कहा…

badalte vaqt ki dhukhad tasveer... kaash naya bhi ho lekin purana hamse door na ho...

Jay dev ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति .....सफल प्रयाश

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

रेखा ने कहा…

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती

गजब की पंक्तियाँ लिखी है आपने ...बेहतरीन और लाजबाब

रचना दीक्षित ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती.

बहुत सुंदर निष्कर्ष निकाला है आजकल के माहौल में बिग बोस के गाली गलौज समाज को क्या शिक्षा देते है जरूर विचार करने योग्य है.

संवेदनशील प्रस्तुति.

Rakesh Kumar ने कहा…

आपकी कविता दुबारा पढ़ी बहुत ही अच्छी लगी
पर आप मेरे ब्लॉग पर नही आयीं,यह अच्छा नही लगा.

एक महीने में बस एक पोस्ट ही लिखने की सोचा है
उसपर भी आप जैसी प्रभु भक्त और प्रेमी न आयें,
इससे मुझे बहुत निराशा होगी,कविता जी.
मैं यह भी नही कह सकता की आप मुझ से नाराज हैं.

मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं आपके ब्लॉग की टिप्पणियों
का अर्ध शतक पूरा कर रहा हूँ.मुझे बधाई देने ही आजाईयेगा न.

आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ,कविता जी.
मेरी बातों का बुरा न मान लीजियेगा,प्लीज.

Satish Saxena ने कहा…

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती

यह रचना संग्रह करने लायक है कविता जी !
एक एक पंक्ति दिल में उतर गयी ....

ANU ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
.....सचमुच दादी - नानी की कहानियाँ
बच्चो की किलकारियाँ
सब बातें पुरानी हो, कही खोती जा रही है !
सुन्दर प्रस्तुति !

shailendra ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती

.सटीक और असरदार सुन्दर रचना

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती

क्या बात है !
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बेहतरीन बहुत सुंदर रचना,...

नये पोस्ट की चंद लाइनें पेश है.....

पूजा में मंत्र का, साधुओं में संत का,
आज के जनतंत्र का, कहानी में अन्त का,
शिक्षा में संस्थान का, कलयुग में विज्ञानं का
बनावटी शान का, मेड इन जापान का,

पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

la jabab sundar prastuti .... badhai.

***Punam*** ने कहा…

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती

poori ki poori rachna bahut khoobsooti ke saath aaj ke haalat ko bayan karti hai...!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती ...

वाह कमाल का शेर कहा है आपने ... हकीकत बयान कर रहा है ...

Hemant ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

बेहतरीन बहुत सुंदर रचना,...

Urmi ने कहा…

बहुत खूब लिखा है आपने! उम्दा रचना! बधाई!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/

PS ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
....अब तो बिगबॉस वाला ही जमाना आ गया है बेचारी दादी-नानी की कहानियाँ बहुत पुराणी हो चली है...
बहुत शानदार रचना

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अच्छी सच्ची रचना...बधाई

नीरज

Arvind Mishra ने कहा…

जी सच कहा कहकहे ही तो कम पड़ते गए त्रासद जिन्दगी में ...प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

‘जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती’

शायद इस मिसरे में तब्दीलियों की दरकार है कविताजी।

Sumit Madan ने कहा…

ekdam ekdam jhkkas wali kavita sach me apne aage aane wali peedhi ko dadi nani k pyar se hi bada krna hia :)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति,....
मेरे पोस्ट के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे

Apanatva ने कहा…

sunder abhivykti .
vyastata to kabhee aswasthta hee tatsthata ka karan rahee .
aaj irada hai sabhee puranee rachanae jo choot gayee hai unhe bhee padne ka.

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बिलकुल जीवन की सत्यता को उजागर करती पोस्ट.... सुंदर बहुत ही विचारनीय पोस्ट. जीवन की कडवी हकीकत कहती हुई. .... सुंदर प्रस्तुति.प्रस्तुति.

बेनामी ने कहा…

बहुत उम्दा रचना..

aarkay ने कहा…

वर्तमान परिवेश और परिस्थितियों पर सटीक काव्यात्मक टिपण्णी !
कविता बहुत सुंदर बन पाई है. बधाई !

vikram7 ने कहा…

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
भाव पूर्ण बेहतरीन रचना

बेनामी ने कहा…

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती ...

वाह कमाल का शेर कहा है आपने ...
बेहतरीन रचना

Meenakshi ने कहा…

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
Wah! Kya gazab kee rachana hai.

Rishi ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति,....

Darwan Naithwal ने कहा…

bhut khoob.......

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की इस ख़ास पेशकश :- २०११ के इस अवलोकन को मैं एक पुस्तक का रूप दूंगी , लिंकवाली पूरी रचना होगी ... यदि आप में से किसी को आपत्ति हो तो यहाँ या फिर मेरी ईमेल पर स्पष्ट कर दें ... और हाँ किसी को यह पुस्तक उपहार स्वरुप नहीं दी जाएगी ....अतः इस आधार पर निर्णय लें ... मेरा ईमेल है :- rasprabha@gmail.com .

#vpsinghrajput ने कहा…

मेरा ईमान भी अब बुझी हुई राख की तरह है
जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।
मेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,नई रोशनी में सारा जग जगमगा गया |
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
* नया साल मुबारक हो आप सभी को *

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती


बेहद खूबसूरती से कही गई जिंदगी की ये सच्चाई ...वाह बहुत खूब

आने वाला नववर्ष आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय हो

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

कुछ तो होता होगा असर दुआओं का भी
सिर्फ दवाओं से ठीक बीमारियाँ नहीं होती
बहुत खूब और चित्र देख अपने गाँव के घर की याद आ गई ! आपको भी नव-वर्ष २०१२ की हार्दिक शुभकामनाये !

अशोक सलूजा ने कहा…

एक से बड कर एक ....

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती||

नव-वर्ष की शुभकामनाएँ |

Bhawna Kukreti ने कहा…

aapke blog par pahli baar aa rahi hoon aur bahut prabhavit hui hoo. aapki is gajal ka ullekh maine apne blog me bhi kiya hai.aapko saparivaar nav varsh ki subhkaamna .

kshama ने कहा…

Naye saal kee anek shubh kamnayen!

राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' ने कहा…

कविता जी बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भाव, बेहतरीन पंक्तियाँ
मेरा ईमान भी अब बुझी हुई राख की तरह है
जिसमें कभी न आंच और न चिंगारियाँ होती

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

sushila ने कहा…

वाह कविता जी ! बहुत सुंदर ग़ज़ल है ! हर शेर बेहतरीन !
आपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ !

amit kumar srivastava ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

Bharat Bhushan ने कहा…

आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Rakesh Kumar ने कहा…

नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

AMBRISH MISRA ( अम्बरीष मिश्रा ) ने कहा…

समय बदल गया ,
लोग बदल गये ,
सोच बदल गयी ,

नही बदला तो ,
मन जो व्याकुल है
भारत और इंडिया के जंजाल मे ,

इंडिया पाश्चात संस्कृति का अदभुत चेहरा है
जहाँ व्यबसाय और गुंडो का पहरा है ,

भारत मे जहाँ समाज है
उसकी लूट मे सब बर्बाद है

क्योंकि मुझे मेरे भारतीय होने पर गर्व है और हमारा नववर्ष पतझड़ में नहीं वसन्त ऋतु में आता है इस बार स्वदेशी नववर्ष विक्रमी सम्वत- 2069 , अंग्रेजी केलेंडर के अनुसार 22 मार्च 2012 (वीरवार), गुरुवार शाम 07 :10 बजे शुरू हो रहा है और हम बड़ी धूम धाम से 22 मार्च को वसन्त ऋतु में अपना नववर्ष मनाएँगे !

CA. ANURAG TIWARI ने कहा…

पहली बार आपका ब्लौग देखा। आपके द्वारा रचित कवितायें बहुत अच्छी लगीं ।
नव वर्ष की शुभ कामनायें । अनुराग तिवारी

बेनामी ने कहा…

जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती

चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था
मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती
बहुत खूब गजब रचना..
नए साल की शुभकामनायें!

बेनामी ने कहा…

कुछ कम पढ़े तो कुछ अधिक ही पढ़ गए हम
वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती
बहुत बढ़िया रचना
नए साल के हार्दिक शुभकामना..

dinesh aggarwal ने कहा…

बेहतरीन रचना।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.......

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

नव वर्ष मंगलमय हो !
बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ....

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

"जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती"
बहुत खूब ! कडवी हकीकत बयान करती सुंदर कविता।

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

नव वर्ष की मंगकामनाएं।

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

आपको व आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं।

Jeevan Pushp ने कहा…

आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
आभार !

Dr.R.Ramkumar ने कहा…

आपको व आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं।

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
नव वर्ष की शुभकामनायें|

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

ZEAL ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

HAPPY NEW YEAR KAVITA JI

sangita ने कहा…

ati samvedan sheel rchna hae ......... jivan ki anekanek dushvariyan hi to jivan ke sahi arth smjha jati haen .bdhai

Vandana Ramasingh ने कहा…

bahut sundar kathy

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बहुत सुंदर रचना...
आपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !

बेनामी ने कहा…

बेहतरीन रचना।
आपको व आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं।

Dolly ने कहा…

"जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती
हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती"
बहुत खूब ! जिंदगी के कठिन राहों से गुजरने वालों की ही आखिर में पूछ परख होती है... ..
मैडम आपको और पूरे परिवार को नए साल की शुभकामनायें.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

एक से बढ़कर एक पन्तियाँ बहुत सुंदर रचना,....

WELCOME to new post--जिन्दगीं--

Unknown ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

Kavita ji ..nav varsh par hardik mangal kaamnayen... aur yah rachna bhi hamesha kee tarah umda.. she'r lajwaab

बेनामी ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत....हर शेर उम्दा......दाद कबूल करे|

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

anita agarwal ने कहा…

नव वर्ष मंगलमय हो
बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति,बढ़िया प्रस्तुति,....
welcome to new post--जिन्दगीं--

Udan Tashtari ने कहा…

काश कि वो कहकहा लगे और सन्नाटा टूटे....

नववर्ष शुभ हो!!

chris ने कहा…

Hello from France
Thanks to your comment on my blog, I discovered yours
But I find it hard to read! if you write Hindi, google, translation, I could read, like right now on your site
A translator is not 100% effective but it can play all the same and understand.
I am delighted that India visit my blog.
You put a very fine text on Bhopal, it was a great world tragedy.
Here in France we had two hours of television for this city and especially that there are still risks.
The planet is really sick because of the human being.
I wish you a very pleasant day especially since it is the w-end, the rest does not hurt
kisses
Chris
my sites
http://sweetmelody87.blogspot.com/
http://joyeux-noel-sweetmelody.blogspot.com/

a small gift for you
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फ्रांस से नमस्ते
मेरे ब्लॉग पर अपनी टिप्पणी के लिए धन्यवाद, मैं तुम्हारी खोज
लेकिन मैं यह मुश्किल पढ़ने के लिए मिल! यदि आप हिन्दी लिखने के लिए, गूगल, अनुवाद, मैं, की तरह अपनी साइट पर अभी पढ़ सकता है
एक अनुवादक नहीं 100% प्रभावी है, लेकिन यह सब एक ही खेलते हैं और समझ सकते हैं.
मैं खुश हूँ कि भारत अपने ब्लॉग पर जाएँ.
आप भोपाल पर एक बहुत ही सुन्दर पाठ कहें, यह एक महान दुनिया त्रासदी थी.
यहाँ फ्रांस में हम इस शहर के लिए टेलीविजन के दो घंटे की थी और विशेष रूप से वहाँ अभी भी जोखिम है कि.
ग्रह वास्तव में इंसान की वजह से बीमार है.
मैं एक बहुत ही सुखद दिन आप चाहते हैं, खासकर के बाद से यह w के अंत है, बाकी चोट नहीं करता है
चुम्बन
क्रिस
मेरे साइटों
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तुम्हारे लिए एक छोटा सा उपहार
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shashi purwar ने कहा…

namaskar kavita ji
bahut khoob .accha likha aapne .bhopal gas kand ki yaad punah taza ho gayo .woh manjar bahut bhayanak tha .........! sunder prastuti .
mere blog par aapka swagat hai ....:)

बेनामी ने कहा…

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती
कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती
वाह जी! बहुत खूब कही आपने...
नववर्ष शुभ मंगलमय हो!!

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

har sher bahut anokha aur khaas...

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर
शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

कोई कहकहा लगाओ के अब सन्नाटा खत्म हो
एक-दो बच्चों से अब किलकारियाँ नहीं होती

shubhkaamnaayen.

vidha ने कहा…

ek jagruk nagrik ki soch apki kavita me ubharti hai.

Unknown ने कहा…

bahot khub ,bahot hi sndar chitran hai :))

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना ।
मेरी रचना भी देखें ।
मेरी कविता:मुस्कुराहट तेरी

Mamta ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
नव वर्ष मंगलमय हो

Amrita Tanmay ने कहा…

हार्दिक शुभकामनायें..

virendra sharma ने कहा…

बहुत खूब कविता रावत जी बेहतरीन रचना व्यंग्य करती आज के परिवेश और सामाजिक बुनावट पर .

बेनामी ने कहा…

bahut achha likha hai.. achha laga blog padh kar ke...
happy new year 2012

Carolina ने कहा…

It is a pleasure for me to know your interesting blog. Happy New Year & Hugs from Argentina.

Unknown ने कहा…

vah ! bus vah!

Surya ने कहा…


एक ही शब्द निकल रहा बस वाह! वाह!!
बहुत शानदार रचना .....

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत गहन भाव लिए गजल .एक एक शेर दिल को छू गया .बधाई
New post : दो शहीद

Arogya Bharti ने कहा…

बहुत शानदार रचना!

Shailendra Singh Negi ने कहा…

sb

Mankirat ने कहा…

Very Nice Poem.
general knowledge
True Poem Lines.