दाम करे सब काम - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

दाम करे सब काम



दाम करे सब काम
पैसा मिलता घोड़ी चलती
पार लगावे नैया
बाप बड़ा न भैया
सबको प्यारा है रुपैया!
मेला लगता उदास
जब पैसा न होता पास
ठन-ठन गोपाल का
कौन करता विश्वास!
वह भला मानस कैसा!
जिसकी जेब में न हो पैसा
कौन बैठता उसके पास
मुखड़ा जिसका दिखता उदास
बिन कर, पग, पर उड़ता-फिरता
अजब- गजब रंग दिखाता है पैसा
कब किस को, कितना उठावे-गिरावे
बिन बोल, सर्वत्र बोल रहा है पैसा!

Kavita Rawat

6 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

sabse badaa rupaiyaa

मस्तानों का महक़मा ने कहा…

बहुत अच्छे।
मानने वाली बात है।

मनोज कुमार ने कहा…

जो सच है, सो है। अब आज की हक़ीक़त तो यही है।

Apanatva ने कहा…

bilkul kharee baat . kya aap Bhagvat Rawat se parichit hai ? yoo hee pooch liya agar janatee hai to bataiyega jaroor .

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

दाम करे सब काम
पैसा मिलता घोड़ी चलती
पार लगावे नैया
बाप बड़ा न भैया
सबको प्यारा है रुपैया!

बहुत खूब ....!!

विजय मधुर ने कहा…

jeewan kee hakikat ko kish tarh shbdo me dhala hai...