जब भी कोई हमारे घर के बाग-बगीचे से सटे सड़क से आते जाते समय उसकी हरी भरी घनेरी हरियाली देखकर उसमें लगे पेड़-पौधों (विशेष रूप से आयुर्वेद में काम आने पौधों ) के बारे में चर्चा करता है तो मन को बड़ी खुशी मिलती है। हमारे लिए खुशी का एक बहुत बड़ा कारण ये भी है कि शहर में जहां अधिकांश बाग-बगीचे लोगों के उनके अपने स्वयं के निजी घरो में ही देखने को मिलते हैं वहीं अगर सरकारी बड़े बड़े बंगले छोड़ दिए जाय तो दूसरे छोटे बड़े बहुत कम सरकारी मकानों में बाग बगीचे देखने को मिलेंगे। हमारा कई वर्ष का अनुभव है कि इसका सबसे बड़ा कारण इनमें रहने वाले अधिकांश लोगों की ये सोच का होना है कि सरकारी मकान में तो कुछ दिन रहना है, फिर क्यों बेकार की मेहनत करना। इसके अलावा कई लोगों को तो पेड़-पौधों से बिल्कुल भी लगाव नहीं रहता, जो दूसरे लोगों को भी पेड़-पौधों के होने से सांप, बिच्छू, मच्छरों के साथ ही उनसे गिरने वाली पत्तियों आदि की साफ सफाई का झंझट बताकर उन्हें न लगाने की सलाह देकर हतोत्साहित करते रहना है। ऐसे ही कटु अनुभवों के बावजूद हमें गहरी दिली खुशी होती है कि हमने अपने सरकारी घर के बाहर बेकार पड़ी लगभग ढाई तीन स्क्वायर फीट ऊबड़-खाबड़ बंजर भूमि में फूल फल के पौधे ही नहीं अपितु औषधीय पौधों से ऐसा हरा भरा कर सजाया है कि जो भी एक नजर घुमाता है, वह देखता ही रह जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज हम हमारे बाग-बगीचे की सबसे बड़ी उपलब्धि इसमें उगाए हमारे कई तरह के औषधीय पौधों में से एक ऐसी तुलसी है, जिसे वन तुलसी, अरण्य तुलसी, ब्रह्म तुलसी या कठेरक के नाम से जाना जाता है। इस तुलसी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि लोगों को तुलसी के मुख्य दो प्रकार रामा और श्यामा के बारे में ही पता होता है और वे इन्हें ही उगाते और पूजते हैं।
आज हमें यह बताते हुए बड़ी प्रसन्नता है कि हमने अपने इस बाग-बगीचे में ग्रीस की 10 फीट 2 इंच गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज तुलसी को पीछे छोड़ते हुए लगभग 11 फीट तक के एक नहीं दो-दो तुलसी के पौधे बड़े कर लिए हैं, जो आगे भी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं।
यहां हम यह बताते चले कि इस तुलसी को हमने एक छोटी सी कटिंग लगाकर उगाई, जिसे पाल पोस कर हमने बड़ा किया और फिर उससे बीज निकालकर आज हमने सैकड़ों तुलसी के पौधे उगाए हैं, जिन्हें हम लोगों में बांटते रहते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये भी है कि जहां दूसरी तुलसी ठंड में सुख जाती है, उसे पाला मार देता है, वहीं यह हर मौसम में हरी भरी बनी रहती है। यह तुलसी रामा और श्यामा तुलसी की तरह ही तमाम औषधीय गुणों से भरपूर होती है। तुलसी कितनी गुणकारी होती है, इसे सर्वसाधारण तक पहुंचाने के लिए चरक संहिता में लिखा है कि-"हिक्काज विषश्वास पार्श्व शूल विनाशिनः ।
पित्तकृतत्कफवातघ्न सुरसः पूर्ति गन्धहा ॥"
"तुलसी कटुका तिक्ता हृदयोष्णा दाहिपित्तकृत ।
दीपना कष्टकृच्छ स्त्रापार्श्व रुककफवातजित ॥"
तत्रे कस्तुलसी वृक्षस्तिष्ठति द्विज सत्तमा ।
यत्रेव त्रिदशा सर्वे ब्रह्मा विष्णु शिवादय ॥"
...कविता रावत
अर्थात तुलसी हिचकी, खाँसी, विष विकार, पसली के दर्द को मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित कफ तथा वायु का शमन होता है। यह दुर्गंध को भी दूर करती है।'
प्रसिद्ध ग्रंथ 'भाव प्रकाश' में भी तुलसी के बारे में उल्लेख किया गया है कि"तुलसी कटुका तिक्ता हृदयोष्णा दाहिपित्तकृत ।
दीपना कष्टकृच्छ स्त्रापार्श्व रुककफवातजित ॥"
अर्थात तुलसी कटु, तिक्त हृदय के लिए हितकर, त्वचा के रोगों में लाभदायक, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली, मूत्र विकार मिटानी वाली है, यह कफ और वात संबंधी विकारों को ठीक करती है।
तुलसी की गुणकारी उपयोगिता ने उसे पूजनीय बनाया है, तभी तो पुराणकारों ने इसमें समस्त देवताओं का निवास बतलाते हुए उसकी पूजा कर अनायास ही सभी देवों की पूजा का लाभ प्राप्त करने हेतु महामंडित करते हुए बताया है कि जिस स्थान पर तुलसी का एक पौधा रहता है, वहाँ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ समस्त देवता निवास करते हैं।
"तुलसस्यां सकल देवाः वसन्ति सततं यतः । अतस्तामचयेल्लोकः सर्वान्देवानसमर्चयन ।।तत्रे कस्तुलसी वृक्षस्तिष्ठति द्विज सत्तमा ।
यत्रेव त्रिदशा सर्वे ब्रह्मा विष्णु शिवादय ॥"
...कविता रावत
आइए विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर आप भी हमारे हरे-भरे बाग-बगीचे की सैर करते हुए सुखद अनुभूति की अनुभव कर अपने विचार शेयर करे,,,