बांध कलाई में राखी बहिना अपना प्यार जताती है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

बांध कलाई में राखी बहिना अपना प्यार जताती है

बहिन विवाहित होकर अपना
अलग घर-संसार बसाती है।
पति-बच्चे, पारिवारिक दायित्व
दुनियादारी में उलझ जाती है।।
सतत स्नेह, प्रेम व प्यार की
निर्बाध आकांक्षा मन में वह रखती है।
पर विवशताएं चाहते हुए भी
उसके अंतर्मन को कुण्ठित करती है।।
रक्षाबंधन-भैया दूज पर बहिन-भैया
मिलन के दो पावन प्रसंग आते हैं।
बहिन के लिए जो अद्भुत, अमूल्य,
अनंत प्यार को सन्देश लाते हैं।।
रक्षा पर्व पर बीते दिनों की आप बीती
बताने का सुगम सुयोग बनता है।
जहाँ बहिन-भैया को एक-दूजे का
सुख-दुःख बांटने का अवसर मिलता है।।
महीनों पहले से बहिन इस
पावन पर्व की प्रतीक्षा करती है।
बांध कलाई में राखी बहिना
अपना प्यार जताती है।।