सभी धर्मावलम्बी, किसी न किसी रूप में वर्ष में कभी न कभी उपवास अवश्य रखते हैं। इससे भले ही उनकी जीवनी-शक्ति का जागरण न होता होगा किन्तु धार्मिक विश्वास के साथ वैज्ञानिक आधार पर विचार कर हम कह सकते हैं कि इससे लाभ ही मिलता है। उपवास का वास्तविक एवं आध्यात्मिक अभिप्राय भगवान की निकटता प्राप्त कर जीवन में रोग और थकावट का अंत कर अंग-प्रत्यंग में नया उत्साह भर मन की शिथिलता और कमजोरी को दूर करना होता है ...................
शनिवार, 7 नवंबर 2020
व्रतों और मौसम के बीच सन्तुलन
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"शब्दों में जीवन, भावों में समाज — कविता, कथा और प्रकृति के स्पंदन से जागृत होती है संवेदना की सेवा।"।


4 टिप्पणियां:
बिल्कुल सही कहा आपने।
बहुत बढ़िया।
यथार्थपरक आलेख
साधुवाद 🙏
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
विचारणीय आलेख।
बहुत सुन्दर और तथ्यपरक लेख.
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