चलते रहते हैं हम सब अपनी राहों में
जो जाते हैं हमारे लक्ष्य तक
चलते-चलते हम गिरगें और उठेंगे
पर नहीं छोड़ेंगे ये डगर
तो चलते रहेंगे हम
आगे बढ़ेंगे हम
चाहे खुशियां आए या गम
गिरना हो या उठना
चलते हमें रहना
क्योंकि हमें पहुंचना है अपने लक्ष्य तक
जीवन भी बिल्कुल ऐसा है
चलता वो जाता है, चाहे तुम कैसे भी
उसे जीयो तुम, ये पता होना चाहिए
कि क्या तुम कर रहे हो
पीछे मत हटो आगे ही बढ़ते जाना
क्योंकि तुम्हें है अपना लक्ष्य पाना
चक्र है जीवन ये, जीवन ही चक्र है
जो चले हमेशा हमेशा से
हार मत माने तुम
आगे ही बढ़ो तुम
क्योंकि तुम्हें है अपने लक्ष्य को पाना
तुम्हारा लक्ष्य तुमसे कितना ही दूर हो
कभी तुम हार मत मानना
गिरना और उठना तो एक चक्र है
जो चलता ही रहता जब तक तुम पहुंच
न जाओ अपने लक्ष्य पर और पाओ उसे
क्योंकि तुम्हें है बढ़ते जाना
यही है जीवन की राह, यही है जीवन का राज
यही है जीवन का सार पोकेमॉन चक्र
....... अर्जित रावतआज मेरे बेटे का जन्मदिन है। सोच रही थी कि इस अवसर पर ब्लॉग में उसके लिए क्या लिखकर पोस्ट करूँ। इसी उधेड़बुन में अभी हाल ही में उसका अपने पोकेमॉन चक्र सीरियल पोकेमॉन चक्र सीरियल के लिए लिखा शीर्षक गीत याद आया तो सोचा क्यों न इसे ही पोस्ट कर दूँ। उसका लिखा मेरे मन को भाता है और जब वह अपने लिखे को गुनगुनाता भी है तो मन को और भी अच्छा लगता है। ख़ास बात यह है कि वह अपने लिखे में किसी को भी हस्तक्षेप करने नहीं देता।