चलते रहते हैं हम सब अपनी राहों में - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

रविवार, 20 सितंबर 2020

चलते रहते हैं हम सब अपनी राहों में


चलते रहते हैं हम सब अपनी राहों में

जो जाते हैं हमारे लक्ष्य तक

चलते-चलते हम गिरगें और उठेंगे

पर नहीं छोड़ेंगे ये डगर


तो चलते रहेंगे हम

आगे बढ़ेंगे हम

चाहे खुशियां आए या गम

गिरना हो या उठना

चलते हमें रहना

क्योंकि हमें पहुंचना है अपने लक्ष्य तक


जीवन भी बिल्कुल ऐसा है

चलता वो जाता है, चाहे तुम कैसे भी

उसे जीयो तुम, ये पता होना चाहिए

कि क्या तुम कर रहे हो


पीछे मत हटो आगे ही बढ़ते जाना

क्योंकि तुम्हें है अपना लक्ष्य पाना

चक्र है जीवन ये, जीवन ही चक्र है

जो चले हमेशा हमेशा से


हार मत माने तुम

आगे ही बढ़ो तुम

क्योंकि तुम्हें है अपने लक्ष्य को पाना

तुम्हारा लक्ष्य तुमसे कितना ही दूर हो

कभी तुम हार मत मानना


गिरना और उठना तो एक चक्र है

जो चलता ही रहता जब तक तुम पहुंच

न जाओ अपने लक्ष्य पर और पाओ उसे 

क्योंकि तुम्हें है बढ़ते जाना


यही है जीवन की राह, यही है जीवन का राज

यही है जीवन का सार पोकेमॉन चक्र 

 
....... अर्जित रावत 

आज मेरे बेटे का जन्मदिन है।  सोच रही थी कि इस अवसर पर ब्लॉग में उसके लिए क्या लिखकर पोस्ट करूँ। इसी उधेड़बुन में अभी हाल ही में उसका अपने  पोकेमॉन चक्र सीरियल पोकेमॉन चक्र सीरियल के लिए लिखा शीर्षक गीत याद आया तो सोचा क्यों न इसे ही पोस्ट कर दूँ। उसका लिखा मेरे मन को भाता है और जब वह अपने लिखे को गुनगुनाता भी है तो मन को और भी अच्छा लगता है। ख़ास बात यह है कि वह अपने लिखे में किसी को भी हस्तक्षेप करने नहीं देता।