जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता है
तभी वह बूढ़ा होने लगता है
बुढ़ापा मनुष्य के चेहरे पर उतनी झुरियाँ नहीं
जितनी उसके मन पर डाल देता है
अनुभव से बुद्धिमत्ता और कष्ट से अनुभव प्राप्त होता है
बुद्धिमान दूसरों की लेकिन मूर्ख अपनी हानि से सीखता है
जिसे सहन करना कठिन था उसे याद कर बड़ा सुख मिलता है
सुख दुर्लभ है इसीलिए उसे पाकर बड़ा आनन्द आता है
भाग्य विपरीत हो तो शहद चाटने से भी दांत टूट जाते हैं
जब शेर पिंजरे में बन्द हो तो कुत्ते भी उसे नीचा दिखाते हैं
...कविता रावत
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-01-2021) को "हो गया क्यों देश ऐसा" (चर्चा अंक-3952) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 19 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteVery Nice your all post. I Love it.
ReplyDeleteफ़्लर्ट शायरी
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कविता दी।
ReplyDeleteवाह!!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब....।
सत्य को सन्दर्भित करती अनोखी रचना..
ReplyDeleteसच है।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना आदरणीया
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली चिंतन - - नमन सह।
ReplyDeleteसत्य को बखूबी उजागर करती यथार्थपरक पंक्तियाँ। ।।। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया कविता रावत जी।
ReplyDeleteसार्थक संदेशयुक्त प्रेरक कथा 🌹🙏🌹
ReplyDeleteसच कहा आपने...बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
भाग्य विपरीत हो तो शहद चाटने से भी दांत टूट जाते हैं :)
ReplyDeleteऐसी ही एक कहावत बंगाल में भी है कि भाग्य खराब हो तो उन्नत पर बैठे हुए को भी कुत्ता काट खाता है
सत्य वचन।
ReplyDeleteसुंदर रचना कविता जी।
सादर।
जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता है
ReplyDeleteतभी वह बूढ़ा होने लगता है
प्रभावी, विचारोतेज्जक पंक्तियाँ.....
हर बात कितनी गहरी ... सत्य के कितनी करीब ...
ReplyDeleteसच है शेर पिंजरे में हो तो कोई भी भौंक सकता है ... बहुत लाजवाब लिखा है ...
Bahut
ReplyDeleteBalkul Hi Satya hai
बहुत खूब कविता जी, आपने बहुत खूबसूरती से बताया कि समय बड़ा बलवान...
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