मतलबी दुनिया में एक दिन सबका आता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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रविवार, 21 मार्च 2021

मतलबी दुनिया में एक दिन सबका आता है


 न लालच, गुस्सा न शिकायत 

एक समभाव वाला जीव वह

भारी मेहनत करने के बाद भी

रूखा, सूखा खाकर खुश रहता है 

दुनिया भर का अत्याचार सहता है 

जुग-जुग से लोगों की सेवा करता है 

भला करके भी बुरा बनता है 

संत ऋषि विद्वानों से कम नहीं वह

तभी तो ज्ञानी ध्यानी भी कई लोगों को 

उसकी संज्ञा देकर सम्मानित कर देते हैं 

स्वभाव उसका इतना सरल कि

मेहनत करे वह और मौज करें दूसरे  

वह मान सम्मान के लिए कभी नहीं मरता 

वह मरता है तो सिर्फ काम के लिए 

यदि मान सम्मान के लिए मरता तो 

आज उसका भी एक बड़ा नाम होता 

उसका परिचय वेद पुराण उपनिषद से लेकर

बाइबिल, कुरान सब जगह सहज मिलता है 

बावजूद कभी सम्मान का हकदार न बन पाया 

उल्टा किसी को नीचे गिराना हो

नीचा दिखाना हो या खीझ उतारनी हो 

बेहिचक उसकी संज्ञा दे दी जाती है  

उसके जैसा काम बड़े से बड़े 

महंगे घोड़े भी नहीं कर सकते

कारण उनमें वैसा आत्मविश्वास नहीं मिलता  

वे खीझ सकते हैं, चौंक सकते हैं 

उनकी याददाश्त जवाब दे सकती है 

वे रास्ता भटक सकते हैं 

पर वह भारी काम करने 

दुनिया भर का बोझ उठाने  

और अत्याचार सहने के बाद भी  

सदियों से न खीझा, चौंका न रास्ता भटका है 

वह आदमी की तरह कानों का कच्चा भी नहीं

वह मीलों दूर से भी अपने लोगों की बातें 

साफ-साफ, सुन-समझ लेता है 

जिंदगी के कठिन राहों में अच्छे-खासे लोग भी 

रास्ता भूल जाते हैं, भटक जाते हैं 

लेकिन एक वही है जो कई वर्ष बाद भी 

न अपना रास्ता भूलता न भटकता है 

वह घोड़ों की तरह चढ़ाई चढ़नेे के बाद 

सरपट भागने वालों में भी नहीं होता

हाँ, एक बात जरूर खटकती है उसकी 

वह कभी-कभी ढ़ीठ  बन जाता है 

जल्दी किसी पर विश्वास नहीं कर पाता

पर जब किसी पर विश्वास कर लेता है 

तो आखिरी सांस तक उसे निभाता है 

आज इसका कल उसका स्वभाव नहीं 

वह हरदम कर्मठ, समर्पित, सीधे शांत भाव से 

सदा ही अपना काम करने वालों में से है

भले ही उसके भाग्य में न अश्वमेघ यज्ञ 

और न गौ न नाग-पूजा जैसा कुछ लिखा रहा

लेकिन मतलबी दुनिया में जब-जब उसका दिन आया 

तब-तब उसे मतलब के लिए सबने अपना बाप बनाया  

...कविता रावत 

14 टिप्‍पणियां:

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

आपने जो कहा, वह अक्षरशः सत्य है कविता जी ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

गर्दभ महिमा अपरंपार

Jyoti Dehliwal ने कहा…

वा व्व कविता दी, गर्दभ की भी ऐसी महिमा बताई जा सकती है! बहुत सुंदर।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

लाजवाब,सारगर्भित कविता। उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

शुभा ने कहा…

वाह!,कविता जी ,क्या बात है ,बेहतरीन .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इंसान अपने स्वार्थ में न जाने क्या क्या कर बैठता ।। सटीक व्यंग्य । सबके दिन आते , इसका भी आता

Anita ने कहा…

वाह ! गदर्भराज के बारे में समुचित जानकारी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर।
गहन अभिव्यक्ति।

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुंदर सृजन।
सादर

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

बेहतरीन , सारगर्भित रचना जी ।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर रचना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बिलकुल सच .... जो चित्र आपने खींचा है वो सहज ही उसकी और ले जाता है ... और समय देखिये, इतना कुछ करके भी उसको उचित मान नहीं मिलता ... शायद मानदंड बदल गए हैं आज ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बिलकुल सच....भावो को बिम्बो के माध्यम से सहेजा है सुन्दर प्रस्तुति।

Top Site ने कहा…

nice blog