मरुस्थली अन्तःस्थल में भरें संवेदना
सहयोग, त्याग, उदारता से भरे मन
परस्पर विरोध-विग्रह दूर हों सभी के
कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन
बीज सा गलकर फिर बने वृक्ष
धरकर परमार्थव्रत करें नवसर्जन
समभाव दिखे सबको दुःख-सुख
कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन
सभी ब्लॉगर्स और पाठकों को नवोदित वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें