समीक्षा - कविता रावत का रचना संसार - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 24 जनवरी 2022

समीक्षा - कविता रावत का रचना संसार




समीक्ष्य कृतियाँ -

1 - होठों पर तैरती मुस्कान

2 - लोक उक्ति में कविता

3 - कुछ भूली-बिसरी यादें

4 - कुछ खट्टे-मीठे पल

कविता रावत के लेखन में नियमितता रही है और उन्होंने हिन्दी साहित्य की कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है। उन्होंने सामाजिक व्यंग्य भी लिखें हैं। कविता, कहानी, संस्मरण भी खूब लिखे हैं।

 कहानी संग्रह होठों पर तैरती मुस्कान को मिनी कहानी संग्रह कहा जा सकता है, चूंकि संग्रह में 5 कहानियाँ हैं पहली कहानी, जिसके नाम पर संग्रह का शीर्षक है , सरकारी कार्यालयीन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है कहानी मजेदार है और अंदाजे-बयां में कोई अतिरिक्त शिल्पकारी नहीं है, तो मामला पठनीय और आनंददायी है

संग्रह की एक कहानी - घुटन- ध्यान आकर्षित करती है कहानी क्या है, बाल मन के मनोविज्ञान का दर्शन है कविता रावत इस संक्षिप्त सी कहानी में - एक बच्चे के घर से भाग जाने वाली - एक छोटी सी घटना को लेकर बाल-मन के उधेड़बुन को बड़ी शिद्दत से, बड़े करीने से बयान किया है. कहानी में कोई ट्विस्ट और टर्न नहीं है, मगर फिर भी कहानी का अंत आपको उस स्थान पर छोड़ता है, जहाँ आप विचारों के भंवर में फंस जाते हैं और इस बेदर्द दुनिया की बेरूखी पर अपने कसैले हुए मन को सांत्वना देने की निष्फल कोशिश करते रह जाते हैं

अन्य कहानियाँ भी सामाजिकता के ताने-बाने के इर्द-गिर्द बुनी गई हैं और पाठक को कोई न कोई संदेश देने में सफल रही हैं

कविता संग्रह - लोक उक्ति में कविता- एक नए अंदाज का कविता संग्रह है. यूँ तो संग्रह में कोई आधा सैकड़ा कविताएं हैं, मगर प्रत्येक कविता में दर्जनों सूक्तियाँ, सुविचार, लोकोक्ति आदि संग्रहित हैं दरअसल, लोकोक्तियों को कविताओं के माध्यम प्रस्तुत करने का यह अनूठा-सा प्रयास है लिहाजा, कुछ कविताएं सीधी-सपाट सी हो गई हैं, मगर वो अपने उद्देश्य - संदेश को संप्रेषित करने में सफल रही हैं  उदाहरणार्थ -

बुरी आदत

हाथी को कितना भी नहला दो वह अपने तन पर कीचड़ मल देगा

भेड़िये के दांत भले ही टूट जाए, वह अपनी आदत नहीं छोड़ेगा.

संग्रह में लोकोक्तियाँ प्रचुर मात्रा में संग्रहित हैं और संभवतः इन्हें प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लक्ष्य को लेकर कर सरल भाषा में लिखा गया है, इस लिहाज से संग्रह अपने उद्देश्य में सफल है

संस्मरण संग्रह - कुछ भूली-बिसरी यादें - अपने दैनन्दिनी जीवन के हर पहलू के जिए हुए खट्टे-मीठे पलों को उसी रूप में पाठकों तक पहुँचाने का एक सफल प्रयास प्रतीत होता है संस्मरण में गांव की शादी-ब्याह की रंगत के दिलचस्प किस्से हैं तो गेंहू चने से भरे लदे खेतों में बिताए एक दिन का लाजवाब विवरण. शहरीकरण के दौर में जब व्यक्ति गांव और खेतों से दूर होता जा रहा है तो ऐसे संस्मरणों के सहारे ही, पाठकों के मन में गांव फिर से सजीव हो पा रहे हैंसुबह की सैर और तंबाकू पसंद लोग शीर्षक संस्मरण में जहाँ उन्होंने समाज के आचार-व्यवहार और आदतों पर व्यंग्य कसा है तो घर में किलकारी की गूँज शीर्षक संस्मरण में स्री-मन के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला है, जहाँ सृष्टि के सृजन की परिकल्पना स्त्री के बिना अधूरी है संग्रह में भोपाल गैस त्रासदी के बारे में भी दो संस्मरण हैं जो पाठकों को इस विभीषिका के कुछ अनछुए पहलुओं से अवगत कराते हैं

कविता रावत के यात्रा संस्मरण दिलचस्प होते हैंयात्रा संस्मरण संग्रह - कुछ खट्टे-मीठे पल - भी दिलचस्प यात्रा संस्मरणों का दिलचस्प संग्रह है आमतौर पर यात्राएँ दिलचस्प और घटनाओं से भरपूर होती हैं, मगर उन्हें दिलचस्प और पठनीय अंदाज में प्रस्तुत करना दीगर बात है कविता रावत अपने इस प्रयास में भरपूर सफल रही हैं गांव में देवी पूजन - अष्टबलि नामक संस्मरण में शहर से गांव तक पहुँचने, देवी पूजन अनुष्ठान में शामिल होने तक जो भी घटनाएँ हुईं उनका आंखों देखा हाल बेहद खूबसूरती से परोसा गया है संस्मरण में 11 यात्राओं के विवरण सहेजे गए हैं और उनमें पहाड़ी-वादियों की यात्राओं (पचमढ़ी यात्रा) से लेकर धार्मिक (वैष्णो देवी ,शिर्डी धाम ) और ऐतिहासिक स्थलों (प्रेम नगर की हसीन वादियों) में की गई यात्राओं के विवरण तो हैं ही, नानी बनने की खुशखबरी में की गई यात्रा का बेहद दिलचस्प, मार्मिक विवरण भी है

कविता रावत का लेखन प्रवाह बना रहे, निरंतर, उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसर रहे इस हेतु शुभकामनाएँ