हमें ऑफिस और बच्चों को स्कूल, कॉलेज और कोचिंग से दो दिन अवकाश के मिले तो बहुत दिन से देवास वाली माता के दर्शन का मन था, तो परिवार के साथ टैक्सी करके रविवार सुबह-सुबह निकल पड़े, जहाँ पहुंचकर माता के दर्शन कर असीम शांति का अनुभव हुआ। यह मंदिर हमारे मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित, जो कि भोपाल से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवास शहर औद्योगिक क्षेत्र और नोटों की छपाई के साथ ही देवास वाली माता मंदिर के नाम से भी सुप्रसिद्ध है। यह एक सुरम्य पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ से देवास शहर की खूबसूरती देखते ही बनती हैं। इस मंदिर को माँ चामुण्डा मन्दिर, माता का मंदिर, टेकरी माता मंदिर, माता मंदिर देवास और माँ चामुंडा टेकरी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के दर्शन करने सम्पूर्ण देश से श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं। मंदिर के दर्शन के लिए दो मार्ग हैं-एक सीढ़ियों और दूसरी पक्की सड़क, जो पहाड़ी के बीच से होकर मंदिर तक पहुँचती है। इस मंदिर को 52 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां टेकरी पर माता का रक्त गिरा था, जिसके कारण मां चामुंडा देवी यहां पर प्रकट हुई। चामुंडा देवी को सात प्रमुख देवियों में से एक माना जाता है। टेकरी पर स्थित तुलजा भवानी मंदिर की स्थापना मराठी राज परिवार द्वारा बताई जाती हैं, जिसे वे अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते थे। दोनों माता को सगी बहिने बताया जाता है। इस मंदिर को अनादि काल से निर्मित माना जाता जाता है, जहाँ भृतृहरि द्वारा तपस्या किये जाने का भी लेख मिलता है।
हमें ऑफिस और बच्चों को स्कूल, कॉलेज और कोचिंग से दो दिन अवकाश के मिले तो बहुत दिन से देवास वाली माता के दर्शन का मन था, तो परिवार के साथ टैक्सी करके रविवार सुबह-सुबह निकल पड़े, जहाँ पहुंचकर माता के दर्शन कर असीम शांति का अनुभव हुआ। यह मंदिर हमारे मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित, जो कि भोपाल से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवास शहर औद्योगिक क्षेत्र और नोटों की छपाई के साथ ही देवास वाली माता मंदिर के नाम से भी सुप्रसिद्ध है। यह एक सुरम्य पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ से देवास शहर की खूबसूरती देखते ही बनती हैं। इस मंदिर को माँ चामुण्डा मन्दिर, माता का मंदिर, टेकरी माता मंदिर, माता मंदिर देवास और माँ चामुंडा टेकरी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के दर्शन करने सम्पूर्ण देश से श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं। मंदिर के दर्शन के लिए दो मार्ग हैं-एक सीढ़ियों और दूसरी पक्की सड़क, जो पहाड़ी के बीच से होकर मंदिर तक पहुँचती है। इस मंदिर को 52 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां टेकरी पर माता का रक्त गिरा था, जिसके कारण मां चामुंडा देवी यहां पर प्रकट हुई। चामुंडा देवी को सात प्रमुख देवियों में से एक माना जाता है। टेकरी पर स्थित तुलजा भवानी मंदिर की स्थापना मराठी राज परिवार द्वारा बताई जाती हैं, जिसे वे अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते थे। दोनों माता को सगी बहिने बताया जाता है। इस मंदिर को अनादि काल से निर्मित माना जाता जाता है, जहाँ भृतृहरि द्वारा तपस्या किये जाने का भी लेख मिलता है।
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