जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है।
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। ।
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं।
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं। ।
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है ।
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है। ।
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है।
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है । ।
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है।
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है । ।
बड़े-बड़े भार छोटे-छोटे तारों पर लटकाए जाते हैं ।
बड़े-बड़े यंत्र भी छोटी से धुरी पर घूमते हैं । ।
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है ।
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है। ।
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है।
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है। ।
..कविता रावत
78 टिप्पणियां:
सुन्दर रचना
badhiya
uttam kavya
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है...
bahut hi badhiyaa
शाश्वत सत्य. मन को आलोड़ित करता एक सुन्दर आलेख. बहुत बहुत आभार !
सुन्दर...बधाई
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है !
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
...बहुत दूर की कौड़ी बटोर लाई हैं आप ...
लाजवाब समसामयिक प्रासंगिक सटीक रचना के लिए बधाई!.
bhaut hi sundar...
हर स्थिति बदलती है. सकारात्मक सोच होनी चाहिए. बढ़िया रचना.
sachchi bat kahi hai aapne.
बहुत सुंदर,मनोभावों और शब्दों का कमाल चित्रण किया है.
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
sach mei bohot sunder likha h aapne
जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
सुन्दर रचना
सार्थक भावाभिव्यक्ति के लिए आभार
बेहतरीन रचना ....
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
सार्थक प्रस्तुति...
सादर बधाई...
कविता में बहुत सही बातें कही हैं ।
बढ़िया ।
सुन्दर व सार्थक रचना..आभार
बेहद सुंदर रचना बहुत बढ़िया ....
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है...
...अत्यंत प्रभावशाली अभिव्यक्ति..
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
..यही एकता की शक्ति आज देश में हर तरफ नज़र आ रही है.. शानदार रचना
"श्रीमती कविता रावत जी"...आपने मेरी रचना "सदा तुम नज़र आये" मे अपनी प्रतिक्रिया में बहुत बड़ी बात कह दी...समझ नही आ रहा आपको कैसे आभार प्रकट करूँ...किन्तु आपने जो बात कही है उसे मैं जीवन भर याद रखुंगा..बहुत-बहुत धन्यवाद....मेरे ब्लाग पर आपका सदैव स्वागत है...
रचना तो आपने बहुत सुन्दर लिखी है।
मगर तीन तार के जनेऊ को तो लोग त्याग ही चुके हैं।
इसमें आपका चिन्तन मुखर हुआ है।
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
जीवन दर्शन से भरी पंक्तियाँ ....!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बहुत सुन्दर , गतिशील विचारों का प्रवाह अच्छा लगा ...
बधाईयाँ जी .../
Abhaar uprokt post hetu........
P.S.Bhakuni
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
बहुत सुन्दरसार्थक प्रस्तुति...
सादर बधाई
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
..सत्य वचन ..बहुत बधाई
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है !
..बुरे वक्त पर सबकुछ उल्टा होता है कोई नहीं पूछता किसी को..
बढ़िया सीख भरी रचना हेतु बधाई
जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
..its so really nice poem mam!
Thanks
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
bahut sahi kaha aapne...
कवित जी
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
संघे शक्ति कलियुगे।
सुंदर सन्देश देती रचना और आज की जरूरत भी.
ताकत की अहमियत जताती हुई बहुत सुंदर रचना लिखी है, कविता जी.
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
...very nice creation........ thanks
सही तथा अच्छी बातें
जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
..सुंदर सुंदर सन्देश देती रचना...
सच है हर चीज़ ला अपना अपना महत्व है .... कोई भी वस्तु छोटी नहीं है ... सुन्दर सन्देश छिपा है ...
कविता जी आपका परिचय पढ़ कर मन भावुक सा हो गया.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
कविता जी सब कुछ समझ आया , पर तीन धागे का मतलब क्या समझू ? ब्रह्मा , विष्णु और महेश या और कुछ ?
Beautiful n useful information.
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है
..सही तथा सुन्दर सन्देश देती रचना आज की जरूरत है..
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है..
baat pate ki hai aur sundar bhi .
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है !
..सही लिखा आपने.. बढ़िया प्रशंनीय रचना
बधाई
जन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.
बेहतरीन रचना है......बधाई......
मेरे अनुसार भी ...
रह अभय क्यू भय से यू भवभीत होता है....
एकाकी है तो अम्बर भी हमारा मीत होता है....
भला क्यू हम अँधेरी कोठरी में बैठ के रोयें....
सत्य पर चलने वालों हित विजय का गीत होता है....
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
प्रेरणा देने वाली सशक्त कविता।
sachchi baat
" संघे शक्ति कलियुगे " की सुंदर व्याख्या करती एक सशक्त प्रस्तुति !
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है...
...शाश्वत सत्य वचन
सुन्दर...बधाई
सुंदर सन्देश देती सार्थक रचना ......
bodhatmak kavita....!
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
एक चीज और, मुझे कुछ धर्मिक किताबें यूनीकोड में चाहिये, क्या कोई वेबसाइट आप बता पायेंगें,
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
kitti pyari rachna..badhai.
badiya baaton ka samavesh kiya hai aapne..badhai
‘सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है ’
सच कहा, वक्त अच्छा हो तो कोई कुछ नहीं बिगाड सकता- किसी की बद्दुआ भी नहीं॥
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
ek ek pankti saarthak achchha chintan
Very nice .Thanks.
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना!
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने..
बहुत दिन से फेसबुक पर नज़र नहीं आयी आप..व्यस्त हैं शायद...
गणेश चतुर्थी की शुभकामना
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
कविता में यथार्थ के तत्व मौजूद हैं।
सच कहा आपने तिहरे धागे को तोडना आसान नही होता है।
solah aane sach sabhee baate.
sathak lekhan.
aabhar
kavita mein bahut achha moral dekhne ko mila..
Madam Happy Teacher's day........
Very well written, strikes the heart...
Lovely blog, my first visit, I loved it!!
Have a wonderful day:)
बहुत सुन्दर कहावतें !
bahut umda rachna badhai..........
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने.......प्रशंनीय रचना
kavita ji
bahut hi shandar prastuti lagi aapki .sach ko darshati hui tatha darshnikta se bhari post bahut se bhao ko man me jagrit karta hai .
bahut hi badhiya abhivykti
badhai-------
poonam
"निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है"
क्या बात है !
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
...बहुत सुन्दर..
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
..bilkul sahi baat likhi hai apne..
सच्ची, अच्छी और गहरी बात
बहुत सुंदर
सुन्दर भावपूर्ण रचना...
बहुत सुन्दर बेजोड़ रचना..
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