वह खुश हो लेता है। 'हर बच्चे के लिए, हर अधिकार ' - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 14 नवंबर 2023

वह खुश हो लेता है। 'हर बच्चे के लिए, हर अधिकार '

छोटू की कोई अपनी बपौती नहीं, वह हक़ से कूड़े के ढ़ेर पर भी अपना अधिकार नहीं जता पाता. जब कभी उसने ऐसी हिमाकत करने की कोशिश की तो मोहल्ले भर के भुक्कड़ कुत्तों ने उसे खदेड़ने की एकजुट होकर पुरजोर कोशिश कर डाली। लेकिन हर बार हर किसी की चल जाय, ऐसा प्राय:नहीं होता । छोटू भी हार मानने वालों में नहीं। उसने भी इन भुक्कड़ कुत्तों की औकात जल्दी ही नाप ली । वह बखूबी समझ गया है कि ये आवारा कुत्ते पालतू हाइब्रिड कुत्तों की तुलना में कहीं ज्यादा समझदार और संवेदनशील हैं। उसने बस दो-चार बार कूड़े के ढ़ेर से मिले चंद रोटी, ब्रेड के टुकड़े इनके आगे डालकर पुचकार भर लिया है, बस फिर हो गयी दांत काटी रोटी वाली दोस्ती।
छोटू की अपनी कोई दुकान नहीं है। वह तो हर दिन ठेले से चाय ले जाकर आस-पास के सरकारी, गैर सरकारी दफ्तरों में चाय पिलाने में मस्त रहता है। दफ्तरों में कौन क्या काम करता है, क्या सोचता-विचारता है, क्या क़ानून-कायदा बनाता बिगाड़ता रहता है, वह इन सबके तीन पांच में कभी नहीं पड़ता। वह इन दफ्तरों की भाषा शैली से भले वाकिफ न हो पाता हो लेकिन अपनी कट चाय, फुल चाय ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को पिलाने के लिए किस भाषा शैली का प्रयोग करना है, वह बखूबी जानता है। अपने काम में बंधे, जुटे कर्मचारी उसके लिए कभी सोचे-विचारे, किसी तरह की मदद करे, इसकी वह कोई अपेक्षा नहीं रखता. सबको वह खुशमिजाज दिखता है, सभी की जुबां पर उसका नाम है, बस यही सोच वह खुश हो लेता है। 

छोटू शहर के व्यस्ततम बाजार में अपना कोई चायनीज फ़ूड जैसा स्टाल भी नहीं लगाता, फिर भी वह तो स्टाल पर चाउमीन, सांभर-बड़ा, इडली-डोसा, चाट, फुलकी की रंगत में रंगा हर आने-जाने वाले ग्राहकों की सेवा में तत्पर रहता है।

          ....कविता रावत