मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

नवरात्र-दशहरे के रंग बच्चों के संग
Tags
# नवरात्र-दशहरे के रंग बच्चों के संग
# लेख
Share This
About कविता रावत
लेख
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।
9 टिप्पणियां:
सुन्दर बहुत सुन्दर
माता रानी की जय!
जय माता रा नी की...
जय श्री राम....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (21-10-2015) को "आगमन और प्रस्थान की परम्परा" (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
माँ की शक्ति और भक्ति का उत्सव दुर्गोत्सव की धूम पर बच्चें क्या बड़े भी समय निकाल ही लेते हैं ...इन दिनों धूम मची है शहर में .......बहुत अच्छा लगा पढ़के
सुन्दर पोस्ट , बच्चे तो हर पर्व की रौनक होते हैं ।
बच्चों के बिना त्योहारों के कोई रंग नहीं होते हैं .........!
सच कहा। बच्चों के बिना तो त्यौहार फीके ही लगते हैं।
कविता जी मैं जानना चाहता हुं कि आपके साहित्य पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारो के लिए क्या राय है।
This was lovely thanks for sharing
एक टिप्पणी भेजें