स्वतंत्रता खोने वाले के पास कुछ नहीं बचता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 13 अगस्त 2016

स्वतंत्रता खोने वाले के पास कुछ नहीं बचता है

जो अपना स्वामी स्वयं नहीं,
उसे  स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता है ।
जिसे अत्यधिक स्वतंत्रता मिल जाय,
वह सबकुछ चौपट करने लगता है 

फरिश्तों की गुलामी करने से,
शैतानों पर हुकूमत करना भला 
पिंजरे में बंद शेर की तरह जीने से,
आवारा पशु की तरह रहना  भला 

दासता की हालत में कोई नियम लागू नहीं होता है 
स्वतंत्रता खोने वाले के पास कुछ नहीं बचता है

दूसरों की गुलामी के निवाले से हृष्ट-पुष्ट हो जाने से,
स्वतंत्रता के साथ दुर्बल बने रहना भला 
झूठ-फरेब, भ्रष्टाचार, दुराचार-अनाचार भरी शान से
गरीब रहकर घर की रुखी-सूखी खाकर जीना भला 

                      .........कविता रावत

14 टिप्‍पणियां:

Jyoti Dehliwal ने कहा…

कविता जी, सही कहा आपने। स्वतंत्रता खोने वाले के पास कुछ नहीं बचता है। सुंदर प्रस्तुति।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही लिखा है .. आज़ादी पर पूरी तरह दूसरे की आज़ादी का ख्याल ख्याल रखते हुए ...
सच है की जब तक अंतस आज़ाद नहीं ... सच्ची आज़ादी नहीं ...

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

शब्दशः सत्य एवं पुष्ट ।

Roshan Chaudhray ने कहा…

wah! kya khub likha hai.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-08-2016) को "कल स्वतंत्रता दिवस है" (चर्चा अंक-2434) पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

बहुत खूब

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अच्‍छी बातें परोसीं।

Unknown ने कहा…

जो अपना स्वामी स्वयं नहीं,
उसे स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता है ।
ध्रुव सत्य
सादर

शुभा ने कहा…

एकदम सही.कहा.आपने कविता जी । सुदंर रचना ।

शुभा ने कहा…

एकदम सही.कहा.आपने कविता जी । सुदंर रचना ।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

सुंदर एवम् सत्य कथ्य..

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

स्वतंत्रता खो देने के बाद ही वैसे बहुत कुछ बचा रहे हैं लोग सुना है :)

सुन्दर प्रस्तुति ।

Asha Joglekar ने कहा…

सच कहा, सोने के पिंजरे से भला तिनके का घोसला।

Unknown ने कहा…

कटु सत्य तो यही है
सादर