उत्तराखंडी पारंपरिक होली लोक गीत। UK Traditional Holi Folk Song । - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 25 मार्च 2024

उत्तराखंडी पारंपरिक होली लोक गीत। UK Traditional Holi Folk Song ।

दरसन दीज्यो माई आंबे, झुलसी रहो जी
तीलू को तेल कपास की बाती
जगमग जोत जले दिन राती, झुलसी रहो जी
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जल कैसे भरूं जमुना गहरी
जल कैसे भरूं जमुना गहरी
खड़े भरूं तो सास बुरी है
बैठे भरूं तो फूटे गगरी , 
जल कैसे भरूं जमुना गहरी                   
ठाडे भरूं  तो कृष्ण जी  खड़े हैं
बैठे भरूं तो भीगे चुनरिया , 
जल कैसे भरूं जमुना गहरी                       
भागे चलूँ तो छलके गगरी , 
जल कैसे भरूं जमुना गहरी                       
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हर हर पीपल पात जय देवी आदि भवानी
कहाँ तेरो जनम निवास,  जय देवी आदि भवानी
कांगड़ा जनम निवास , जय देवी आदि भवानी
कहाँ तेरो जौंला निसाण , जय देवी आदि भवानी
कश्मीर जौंल़ा निसाण , जय देवी आदि भवानी
कहाँ तेरो खड्ग ख़पर, जय देवी आदि भवानी
बंगाल खड्ग खपर, जय देवी आदि भवानी
हर हर पीपल पात जय देवी आदि भवानी
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चम्पा चमेली के नौ दस फूला ,
चम्पा चमेली के नौ दस फूला
पार्वती ने गुंथी हार शिवजी के गले में बिराजे ,
चम्पा चमेली के नौ दस फूला
कमला ने गुंथी हार ब्रह्मा के गले में बिराजे ,
चम्पा चमेली के नौ दस फूला
लक्ष्मी ने गुंथी हार विष्णु के गले में बिराजे ,
चम्पा चमेली के नौ दस फूला
सीता ने गुंथी हार राम  के गले में बिराजे ,
चम्पा चमेली के नौ दस फूला
राधा ने गुंथी हार कृष्ण के गले में बिराजे
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मत मरो मोहनलाला  पिचकारी
काहे को तेरो रंग बनो है
काहे को तेरी पिचकारी बनी है,
मत मरो मोहनलाला  पिचकारी

लाल गुलाल को रंग बनी है
हरिया बांसा की पिचकारी
मत मरो मोहनलाला  पिचकारी

कौन जनों पर रंग सोहत है
कौन जनों पर पिचकारी
मत मरो मोहनलाला  पिचकारी

राजा जनों पर रंग सोहत है
रंक जनों पर पिचकारी ,
मत मरो मोहनलाला  पिचकारी
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हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष ...........1
बामण जीवे   लाखों बरस
बामणि जीवें लाखों बरस...........2
जिनके  गोंदों में लड़का खिलौण्या
ह्व़े जयां उनका नाती खिलौण्या ...........3
जौंला द्याया होळी का दान
ऊँ थै द्याला श्री भगवान ...........4
एक लाख पुत्र सवा लाख नाती
जी रयाँ पुत्र अमर रयाँ नाती ...........5
हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष

डॉ. शिवानंद नौटियाल जी द्वारा रचित पुस्तक  'गढवाल के नृत्य गीत' से साभार