एक बार मैं एक आध्यात्मिक संगोष्ठी में सम्मिलित हुआ। मंच से जब एक बुजुर्ग महात्मा ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें वृद्धाश्रमों की बहिष्कार करना चाहिए तो वहाँ बैठे सभी श्रोतागण अचम्भित होकर उनका मुंह ताकते हुए आपस में खुसुर-फुसर करने लगे। लोगों को ऐसा करते हुए देख महात्मा ने समझाया कि यदि हम अपने बच्चों के हृदय में प्यार, प्रेम, नम्रता, सहनशीलता की भावनाओं को जागृत कर उन्हें सत्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करेंगे, उनमें बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार करने की भावना उत्पन्न करेंगे, तो फिर किसी भी बच्चे को अपने माँ-बाप को वृद्धाश्रमों के दरवाजे तक धकेलने की आवश्यकता ही नहीं पडे़गी। वह उन्हें अपना पूजनीय व मार्गदर्शक समझेगा और जब ऐसा संभव होगा तब एक नए समाज का निर्माण होगा, जहांँ बुजुर्गों को कोई भी बोझ नहीं अपने जीवन का सुकून समझेगा। उन्होंने आगे बताया कि आज समाज में कई प्रकार के दूषित वातावरण निर्मित हो रहे हैं। लोग गुणों की नहीं बल्कि अवगुणों की नकल कर खुश हो रहा है। अपने को ऊपर उठाने के स्थान पर दूसरे को गिराने में अपनी शक्ति जाया कर रहा है। आज का अधिकांश युवा स्वयं क्या रहा है, यह वह देखने में असमर्थ है, लेकिन अपने माँ-बाप से यह कहने से नहीं हिचकिचा रहा है कि उन्होंने उसके लिए क्या किया? वे जब उसे समझाकर कहते कि उनके समय में सोना, चांदी इतने तौला था, जमीन-जायदाद इतनी एकड़/गज रुपए थी, तो वे बिना सोचे-समझे कहने बैठ जाते कि उन्होंने तब क्यों नहीं खरीदा? यदि वे ऐसा कर लेते तो उन्हें आज ये दिन नहीं देखने पड़ते? वे यह समझना ही नहीं चाहते कि उस समय पैंसों की क्या कीमत हुआ करती थी। तब लोगों की तनख्वाह ही सैकड़ों में भी नहीं हुआ करती थी, जबकि आज लाखों के होने के बावजूद भी जिसे पूछो कि क्या हाल है, वह एक ही जवाब देता कि मत पूछो, मंहगाई के मारे घर-परिवार चलाना मुश्किल हो रखा है। खर्चें बहुत और आमदनी कम है। हर व्यक्ति पहले की तरह ही आज भी उसी तरह परिवार की जिम्मेदारियों में व्यस्त है कि उसे वर्तमान की जरूरतों को पूरा करना बड़ा मुश्किल लग रहा है तो भविष्य के बारे में वे कहां से सोचेगा? आज भले ही वैज्ञानिक युग है, विज्ञान कहाँ से कहाँ पहुंच गया हो, लेकिन आज के इस भौतिकवादी युग में मानव मूल्यों का कितना हृास हुआ है, इसका विज्ञान समझने की आवश्यकता है।हर व्यक्ति यदि आज एकाग्रचित होकर विचार-मंथन करें तो उन्हें स्वतः इस बात का आभास हो जाएगा कि उनकी जो सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति है वह उनके बुजुर्गों की देन है, उनके ही आशीर्वाद का प्रतिफल है।
आज विश्व में बुजुर्गों की देखभाल के नाम पर कई सामाजिक संस्थाएं स्थापित हो चुकी है कि जहां बुजुर्गों के सम्मान के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और रहन-सहन की बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। बावजूद इसके दुःखद बात यह है कि जो बच्चे अपने बुजुर्गों को बोझ समझ लेते हैं वे यह क्यों भूल जाते हैं कि एक दिन उन्हें भी इसी तरह उनके बच्चे भी जब इन सामाजिक संस्थाओं के हवाले कर उनसे मुंह मोड़ लेगें, तब उन पर क्या गुजरेगी? आज हम सभी का दायित्व है कि हम अपने बच्चों में वह संस्कार जाग्रत करें, जिससे वे अपने बुजुर्गों को अपने ऊपर बोझ नहीं बल्कि मार्गदर्शक समझे, ताकि उनके अनुभवों का लाभ हमेशा मिलता रहे। हम अपने बुजुर्गों का हृदय की गहराईयों से सत्कार करेंगे तो वह भी हृदय की अतल गहराईयों से हमें अपना आशीर्वाद देंगें, जिससे हमारे जीवन में हमेशा सुकून बना रहेगा। हमें नहीं भूलना चहिए कि जब बुजुर्गों का मार्गदर्शन मिलता है तो युवाओं में की शक्ति दुगुनी हो जाती है और तभी नव निर्माण होता है। इस संदर्भ में हम सभी ने इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण पढ़े या सुने हैं, जब बुजुर्गों के अनुभवों से अनेक लाभ समाज को मिले हैं। आज विश्व में जितनी भी धरोहर हैं या स्मारक हैं, उनके पीछे हमारे बडे़ बुजुर्गों द्वारा अपनी युवावस्था में किए गए ऐसे उल्लेखनीय और अनुकरणीय कार्यों का लेखा-जोखा है, जो हमें हमेशा यह प्रेरणा देते हैं कि हमें अपना मनुष्य जीवन यूं ही व्यर्थ नहीं गवांना चाहिए और कोई भी कार्य करने से पहले बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए क्योंकि इससे जीवन में जो सुकून मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।
महिपाल सिंह, प्रेम नगर - दिल्ली
टीप: हमारे 'अतिथि लेखन' कॉलम हेतु आपकी रचनाएँ सादर आमंत्रित हैं। कृपया अपनी रचनाएँ हमें ईमेल (kakhushi2003@gmail.com ) द्वारा प्रेषित करें।
10 टिप्पणियां:
बुजुर्गों को सम्मान मिले अपने घर परिवार से अधिकारों के साथ उचित देखभाल मिले यह सभ्य समाज के लिए निन्तात आवश्यक है । सारगर्भित और चिन्तन परक लेख ।
बहुत सुंदर आलेख
भावनाओं को समेटे हुए
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-6-22) को "घर फूँक तमाशा"(चर्चा अंक 4465) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
The information you have produced is so good and helpful, I will visit your website regularly.
सुन्दर और विचारोत्तेजक आलेख !
Great
Great article. Your blogs are unique and simple that is understood by anyone.
I feel very grateful that I read this. It is very helpful and very informative and I really learned a lot from it.
These are genuinely fantastic ideas about blogging really. You have touched some very nice points here. Please keep up this good writing.
These spins 토토사이트 are usually for a selected recreation or a choose few video games. Playing free on-line pokies doesn’t get much better than that. Roulette certainly one of the|is among the|is likely considered one of the} most trendy and complex on line casino video games that supply massive profitable alternatives. The recreation was originally performed by the European nobility, which isn't the case anymore.
एक टिप्पणी भेजें