गणेशोत्सव सामाजिक एकाकार का उत्सव है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 18 सितंबर 2023

गणेशोत्सव सामाजिक एकाकार का उत्सव है

         

हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है। त्यौहार, पर्व और उत्सव हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है, जिसमें जनमानस घोर विषम परिस्थितियों में भी जीवन-यापन करते हुए पर्वों के उल्लास, उमंग में रमकर खुशी का मार्ग तलाश लेते हैं। आज ये पर्व भारतीयता की पहचान बन चुके हैं।  
मंगलकर्ता, विध्न विनाशक गणेश जी के जन्मोत्सव की धूम चारों ओर मची है। कभी महाराष्ट्र में सातवाहन, चालुक्य, राष्ट्रकूट और पेशवा आदि राजाओं द्वारा चलाई गई गणेशोत्सव की प्रथा आज महाराष्ट्र तक ही सीमित न होकर देश के कोने-कोने में ही नहीं अपितु कई दूसरे राष्ट्रों में भी मनाया जाने वाला पर्व बन बैठा है। गणेशोत्सव की धूम सार्वजनिक स्थलों में विद्युत साज-सज्जा के साथ छोटी-बड़ी सजी-धजी प्रतिमाओं के विराजमान होने से तो है ही साथ ही साथ घर-घर में विभिन्न सुन्दर आकार-प्रकार की प्रतिमाओं के विराजने से और भी बढ़ जाती है।
भगवान गणेश के कई अवतारों की कथाएं प्रचलित है, लेकिन मुख्य रूप से उनके 8 अवतार प्रसिद्ध हैं, जिसमें क्रमशः पहला अवतार ‘वक्रतुंड‘ जिसमें उनके द्वारा ‘मत्सरासुर‘ के अत्याचारों से देवताओं को मुक्ति दिलाने, दूसरे अवतार ‘एकदन्त जिसमें देवता और ऋषि-मुनियों को सताने वाले ‘मदासुर‘ को परास्त करने, तीसरे अवतार ‘महोदर‘‘ जिसमें ‘मोहासुर‘ को अपनी अमोघ शक्ति बल पर समर्पण करने को विवश करने, चौथे अवतार ‘गजान‘ जिसमें अधर्म, अनीति और अत्याचार के पर्याय बने ‘लोभासुर‘ के अभिमान को नष्ट करने, पांचवे अवतार ‘लम्बोदर‘ जिसमें सूर्य देव से निरोगी और अमरता का वरदान पाने वाले ‘क्रोधासुर‘ की क्रोधाग्नि को मिटाने, छठवें अवतार ‘विकट‘ में शिव से वरदान प्राप्त छल-कपट, ईर्ष्या -द्वेष, पाप-झूठ के पर्याय बने ‘कामासुर‘ को अपनी बुद्धिबल और नीतियुक्त वचनों से परास्त करने, सातवें अवतार ‘विध्नराज‘ जिसमें ‘ममासुर‘ के अत्याचारों से देव और ऋषि-मुनियों को मुक्ति दिलाने, आठवे अवतार ‘धूम्रवर्ण‘ जिसमें अहंकार के पर्याय ‘अहंकारसुर‘ के अहंकार के मर्दन कर लोक में सुख-शांति की स्थापना का उल्लेख मिलता है।
       हमारी संस्कृति में प्राचीन कथा सुविख्यात है कि गणपति से प्रार्थना कर महर्षि वेदव्यास ने लोक कल्याणार्थ 60 लाख श्लोकों के रूप में महाभारत की रचना की, जिसमें कहा जाता है कि इनमें से 30 लाख देवलोक, 14 लाख असुर लोक, 15 लाख यक्ष लोक और केवल 1 लाख पृथ्वी लोक पर हैं। महाभारत को वेद भी माना जाता है। इन सभी कथाओं पर यदि थोड़ा बहुत गहन विचार किया जाय तो एक बात जो समरूप दृष्टिगोचर होती है- वह यह कि भगवान गणेण जी ने समय-समय पर लोक जीवन में उपजी बुराईयों के पर्याय (प्रतीक) ‘असुर‘ की आसुरी शक्तियों का दमन कर लोक कल्याणर्थ अवतार लेकर सुख-शांति कायम कर यही सन्देश बार-बार दिया कि कोई भी बुराई जब चरम सीमा पर हो तो, उस बुराई का खात्मा करने के प्रयोजनार्थ जरूर आगे बढ़कर उसे खत्म कर लोक में सुख-शांति, समृद्धि कायम करना है।  
हर वर्ष लोक में व्याप्त ऐसी ही मोह, मद, लोभ, क्रोध, अहंकारादि आसुरी शक्तियों की समाप्ति की मंशा लेकर लिए शायद हम गणपति की स्थापना कर उनसे ज्ञान, बुद्धि देते रहने और सुख-शांति बनाए रखने के उद्देश्यार्थ उत्साहपूर्वक पूजा-आराधना कर उनके कृपा कांक्षी बनना नहीं भूलते हैं। भगवान श्रीगणेश हमारे प्रेरणा के श्रोत हैं- उनकी लम्बी सूंड हमें अपने चारों ओर की घटनाओं की जानकारी देने के साथ ही ज्यादा सीखने के लिए प्रेरित करती है। उनके बड़े-बड़े कान हमें नए विचारों और सुझावों को ध्यान और धैर्यपूर्वक सुनने की सीख देते हैं। उनका बड़ा मस्तक बड़ी और उपयोगी बातें सोचने के लिए प्रेरित करता है। उनकी छोटी-छोटी आँखे हमें अपने कार्यों को सूक्ष्म और उचित ढंग से शीघ्र पूर्ण करने हेतु प्रेरित करते हैं और उनका छोटा मुँह हमें इस बात का स्मरण कराता है कि हमें कम से कम बोलना चाहिए।
युगद्रष्टा लोकमान्य तिलक ने समाज को एकाकार करने के लिए गणेशोत्सव की जो परम्परा कायम की है, आइये उसे कायम रखें और हर्ष उल्लास से मनाएं। 
हर वर्ष फिर से गणपति जी विराजमान हों, इसलिए प्रेम व श्रद्धापूर्वक सब कहते हैं-
''गणपति बप्पा मोरिया, पुढ़च्यावर्षी लौकर या।''


......कविता रावत




33 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गणपति बप्पा मोरिया..

vijay ने कहा…

युगद्रष्टा लोकमान्य तिलक ने समाज को एकाकार करने के लिए गणेशोत्सव की जो परम्परा कायम की है, आइये उसे कायम रखें और हर्ष उल्लास से मनाएं।

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सुन्दर सामाजिक एकता का सार्थक सन्देश
................
हर वर्ष फिर से गणपति जी विराजमान हों, इसलिए प्रेम व श्रद्धापूर्वक सब कहते हैं-
''गणपति बप्पा मोरिया, पुढ़च्यावर्षी लौकर या।'

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

विसंग भारत सोरिया
जगा इसे, दिखा भोरिया
गणपित बप्‍पा मोरिया

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

गणपति बप्पा मोरिया.
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए ,,,

RECENT POST : समझ में आया बापू .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गणपति बाप्पा मोरया ...
गणेश जी के आठ अवतार ओर लोकमान्य जी का समाज को एकसाथ रखने का प्रयास ... देश भक्ति का भाव जगाने का प्रयास ... बहुत ही अच्छी पोस्ट ...
गणेश उत्सव की बधाई ओर शुभकामनायें ...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

गणपति बप्पा मोरिया

हिंदी साहित्य मार्गदर्शन ने कहा…

एक और बेहतरीन ज्ञानवर्धक रचना हमसे बांटने के लिए सदर आभार .

Pallavi saxena ने कहा…

गणपति बप्पा मोरिया...

Neeraj Neer ने कहा…

बहुत सुन्दर लेखन .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (09.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..ॐ गणेशाय नम;

Meenakshi ने कहा…

"उनकी लम्बी सूंड हमें अपने चारों ओर की घटनाओं की जानकारी देने के साथ ही ज्यादा सीखने के लिए प्रेरित करती है। उनके बड़े-बड़े कान हमें नए विचारों और सुझावों को ध्यान और धैर्यपूर्वक सुनने की सीख देते हैं। उनका बड़ा मस्तक बड़ी और उपयोगी बातें सोचने के लिए प्रेरित करता है। उनकी छोटी-छोटी आँखे हमें अपने कार्यों को सूक्ष्म और उचित ढंग से शीघ्र पूर्ण करने हेतु प्रेरित करते हैं और उनका छोटा मुँह हमें इस बात का स्मरण कराता है कि हमें कम से कम बोलना चाहिए।"
..ज्ञान, बुद्धि के प्रथम पूज्य हमारे गजानन महाराज से हमें बहुत सीखने को तो मिलता है लेकिन हम सांसारिक मोह माया में सब भूल जाते हैं ...''गणपति बप्पा मोरिया, पुढ़च्यावर्षी लौकर या।''

Surya ने कहा…

बहुत सुन्दर सामयिक आलेख
सुन्दर सन्देश
शुभकामनाए..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जय गणपति बप्पा ..... सुंदर पोस्ट

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुन्दर आलेख ,गणेश चतुर्थी की बधाई

Dr ajay yadav ने कहा…

अत्यन्त सुंदरलेख ,मन हर्षित हों गया |
जय गणपति बप्पा ....

आनन्द विक्रम त्रिपाठी ने कहा…

आदरणीय कविता जी भारतीय परंपरा का अमूल्य धरोहर है आपका ब्लॉग जो कि हमारी सामाजिक , धार्मिक परम्पराओं को जन जन तक पहुँचाने में जुटा हुआ है । गणपति जी महाराज का वर्णन आपने बहुत ही सुंदर ढंग से किया है ।

Asha Joglekar ने कहा…

गणेश जी के आठ अवतारों का अच्छा विवेचन। लोकमान्य तिलक जी ने इसे भारत वर्ष को एक करके उनमें राष्ट्रभावना जागृत करने के लिेये सार्वजनिक रूप से मनाना शुरू किया ये भी।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज मंगलवार (10-09-2013) को मंगलवारीय चर्चा 1364 --गणेशचतुर्थी पर विशेषमें "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
आप सबको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

देवदत्त प्रसून ने कहा…

यह पौराणिक जानकारी इतनी अच्छी लगी कि संकलन कर ली मैने |

Ramakant Singh ने कहा…

आपने सही कहा आध्यात्म से हम सबमें एकाकार की भावना आती है
श्री गणेशाय नमः

HARSHVARDHAN ने कहा…

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।।

नये लेख : विशेष लेख : विश्व साक्षरता दिवस

भारत से गायब हो रहे है ऐतिहासिक स्मारक और समाचार NEWS की पहली वर्षगाँठ।

राजीव कुमार झा ने कहा…

प्रशंसनीय प्रस्तुति.

Dolly ने कहा…

हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है। त्यौहार, पर्व और उत्सव हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है, जिसमें जनमानस घोर विषम परिस्थितियों में भी जीवन-यापन करते हुए पर्वों के उल्लास, उमंग में रमकर खुशी का मार्ग तलाश लेते हैं। आज ये पर्व भारतीयता की पहचान बन चुके हैं।
....................
एकता के सूत्र में बाँधने वाले हमारे ये त्यौहार हम भारतीयों की पहचान है ..............
..संग्रह योग्य आलेख के लिए आपका आभार
''गणपति बप्पा मोरिया, पुढ़च्यावर्षी लौकर या।''
जय श्री गणेश!!!!!!!!!!!!!!!

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट
''गणपति बप्पा मोरिया, पुढ़च्यावर्षी लौकर या।''

संजय भास्‍कर ने कहा…

गणपति बाप्पा मोरया ... लोकमान्य जी का समाज को एकसाथ रखने का प्रयास ...बहुत ही अच्छी पोस्ट ...
गणेश उत्सव की बधाई ओर शुभकामनायें ...

अनूप सिंह रावत " गढ़वाली इंडियन " ने कहा…

गणपति बाप्पा मोरया ...

Arogya Bharti ने कहा…

आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस पोस्ट को "आरोग्य भारती" की मासिक पत्रिका "आरोग्य संपदा" के अंक 57 सितम्बर २०१३ के पृष्ट 3 पर "पर्व चिंतन" में प्रकाशित किया है.
पत्रिका की एक प्रति आपको प्रेषित की जा रही है.
प्रेषक: संपादक आरोग्य संपदा

http://arvindsisodiakota.blogspot.com/ ने कहा…

प्रशंसनीय प्रस्तुति.

बेनामी ने कहा…

''गणपति बप्पा मोरिया"

Suman ने कहा…

बहुत सुन्दर आलेख ...

संतोष पाण्डेय ने कहा…

विघ्न विनाशक सभी कपर कृपा करें, ज्ञानवर्धक लेख .

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

ज्ञानवर्धक पोस्ट. दुर्गा पूजा की शुभकामनायें.

Pammi singh'tripti' ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 सितंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।