

भगवान श्री गणेश जीवन में श्रेष्ठ और सृजनात्मक कार्य करने की प्ररेणा देते हैं। उनकी अनूठी शारीरिक संरचना से हमें बड़ी सीख देती है। जैसे- उनका बड़ा मस्तक बड़ी और फायदेमंद बातें सोचने के लिए प्रेरित करता है तो छोटी-छोटी आंखे हाथ में लिए कार्यों को उचित ढंग से और शीघ्र पूरा करने एवं हिलती-डुलती लम्बी सूूंड हमेशा सचेत रहने की ओर इशारा करती हैं। उनके सूप जैसे बड़े कान हमें नये विचारों और सुझावों को धैर्यपूर्वक सुनने की सीख देते हैं तो लम्बी सूंड हमें अपने चारों ओर की घटनाओं की जानकारी और ज्यादा सीखने के लिए प्रेरित करती हैं । उनका छोटा मुंह हमें कम बोलने की याद दिलाता है तो जीभ हमें तोल मोल के बोल की सीख देती है।
सभी को गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
....कविता रावत
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-09-2015) को " माँ बाप बुढापे में बोझ क्यों?" (चर्चा अंक-2103) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गणपति बाप्पा मोरया .....
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी पोस्ट ...
श्री गणेश उत्सव की बधाई ओर शुभकामनायें .
इन्सान में सीखने की चाह हो वह बहुत कुछ सीख सकता है हर किसी से ..... फिर भगवान गणपति तो हैं ही ऐसे देवता जो ज्ञान के भण्डार हैं ...
ReplyDeleteगणपति बप्पा की जय हो ....
विघ्न हर्ता सुख दाता भगवान श्री गणेश सबका कल्याण करें जय श्री गणेश!
ReplyDeleteजय श्री गणेश!
ReplyDeleteबहुत सारगर्भित आलेख...गणेशोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएं!
ReplyDeleteगणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये।
ReplyDeleteविघ्न विनाशक गणराजा सभी पर कृपा करें...
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आयकर और एनआरआई ... ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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ReplyDeleteआप की लिखी ये रचना....
20/09/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...
बहुत सुन्दर व ज्ञानवर्धक आलेख। निश्चित ही यह उपाय हमें जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देते हैं। सच्ची धार्मिक आस्था होनी उतनी ही जरूरी है जितनी श्वासों के लिए शुद्ध वायु।
ReplyDeleteकविता जी गणेश चातुर्थी की आप को भी बहुत बहुत शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteगणेशोत्सव पर ज्ञानवर्धक पोस्ट अच्छी लगी
ReplyDeletehappy ganesh saptami
ReplyDeleteजय गणेश जी ... बहुत विस्तार से गणेश जी के बारे में लिखा है जिसको आज की पीढ़ी को जानना जरूरी है ...
ReplyDeleteआको और परिवार में सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं ...
सिद्धि - बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये नमः ।
ReplyDeleteसुन्दर , सार - गर्भित प्रस्तुति ।
कविता जी, बहुत सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर और ज्ञानवर्द्धक पोस्ट.
ReplyDeleteनई पोस्ट : प्रकृति से साहचर्य का पर्व : करमा
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ReplyDeleteEbook Publisher
प्रशंसनीय
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ........
ReplyDeleteजय श्री गणेश!!!
आपको गणेष उत्सव की ढेरों बधाईयां।
ReplyDeleteगणेश चातुर्थी की आप को भी बहुत बहुत शुभ कामनाएँ।
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