वर्षा ऋतु को ‘चौमासा‘ कहा जाता है। आयुर्वेदज्ञों ने इस ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा के लिए 'ऋतुचर्या' के कुछ नियम बनाये हैं। उनका पालन करने पर इस ऋतु में स्वस्थ रहा जा सकता है। वर्षा ऋतु में वात दोष कुपित होता है, अतः बुजुर्गों और वातजन्य रोगों के मरीजों को विशेष रूप से वातवर्धक खानपान और रहन-सहन से बचना चाहिए।
सम्भावित रोग
पाचन शक्ति का कम होना, शारीरिक कमजोरी, रक्तविकार, वायुदोष, जोड़ों का दर्द, सूजन, त्वचाविकार, दाद कृमिरोग, ज्वर, मलेरिया, पेचिस तथा अन्य वायरस एवं जीवाणुजन्य रोग होने की सम्भावना रहती है।
प्रयोग करें
- अम्ल, नमक, चिकनाई वाला भोजन करना हितकर है।
- पुराने चावल, जौ, गेहूँ आदि का सेवन करना चाहिए।
- घी व दूघ का प्रयोग भोजन के साथ करना चाहिए।
- कद्दू, परवल, करेला, लौकी, तुरई, अदरक, जीरा, मैथी, लहसुन का सेवन हितकर है।
- छिलके वाली मूंग की दाल का सेवन करना चाहिए।
- बाहर से घर में वर्षा से भीगकर लौटने पर स्वच्छ जल से स्नान अवश्य करें।
- वर्षा ऋतु में भोजन बनाते समय आहार में थोड़ा सा मधु (शहद) मिला देने से मंदाग्नि दूर होती है व भूख खुलकर लगती है। अल्प मात्रा में मधु के नियमित सेवन से अजीर्ण, थकान और वायुजन्य रोगों से भी बचाव होता है।
- तेलों में तिल का सेवन उत्तम है। यह वात रोगों का शमन करता है।
- भोजन में नींबू का प्रयोग प्रतिदिन करना चाहिए।
- नींबू वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियों में बहुत ही लाभदायक है।
- फलों में आम तथा जामुन सर्वोत्तम माने गए हैं। आम आंतों को शक्तिशाली बनाता है। चूसकर खाया हुआ आम पचने में हल्का, वायु तथा पित्तविकारों का शमन करने वाला होता है।
- वर्षाकाल में रसायन के रूप में बड़ी हरड़ का चूर्ण व चुटकी भर सेंधा नमक मिलाकर ताजे जल के साथ सेवन करना चाहिए।
- मच्छरों के काटने पर उत्पन्न मलेरिया आदि रोगों से बचने के लिए मच्छरदानी लगाकर सोएं। चर्मरोग से बचने के लिए शरीर की साफ सफाई का भी ध्यान रखें।
- वर्षा ऋतु में सूती व हल्के वस्त्र पहनें।
- आलू, अरबी जैसे कन्दशाक, चावल, भिन्डी, मटर, पत्ता गोभी, फूलगोभी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- गरिष्ठ बासी, अधिक मसालेदार व ठंडी तासीर वाले भोजन का सेवन न करें।
- दही, मांस, मछली का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अधिक तरल पदार्थ व मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दिन में सोना व रात्रि जागरण नहीं करना चाहिए।
- ओंस में खुले स्थान में नहीं सोना चाहिए।
- अत्यधिक ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक व आइस्क्रीम के सेवन से बचना चाहिए।
- अधिक व्यायाम, अधिक शारीरिक श्रम व अधिक धूप का सेवन न करें।
- स्नान के तुरन्त बाद गीले शरीर पंखे की हवा में नहीं जाना चाहिए।
- भोजन निश्चित समय पर ही करना चाहिए, अधिक देर तक भूखे नहीं रहना चाहिए।
- पित्तवर्द्धक पदार्थों का सेवन नहीं करें। गाय, भैंस कच्ची घास खाती है। इसकी वजह से उनका दूध दूषित रहता है। अतः श्रावण मास में दूध एवं पत्तेदार हरी सब्जियां तथा भादों में छाछ का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है।
- सीलन भरे, बदबूदार, अन्धेरे और गन्दे स्थान पर रहना या ज्यादा देर ठहरना इन दिनों में उचित नहीं होता।
30 टिप्पणियां:
आभार
बहुत सुन्दर जानकारी।धन्यवाद।
बहुत सुन्दर जानकारी।धन्यवाद।
बरसात बीमारियो का मौसम है , जितना बच सकते हैं बचना चाहिए , उपयोगी टिप्स देने के लिए आभार !
बरसात में स्वस्थ रहने के लिए बड़े काम के सबक है ये .....
बरसाती मौसम और बीमारियों का साथ पुराना है.
इन बीमारियों से बचने के उपाय उपयोगी आलेख.
जरूर याद रखेंगे ये जरुरी सबक.......आभार!!!
बहुत उपयोगी संग्रहणीय टिप्स हैं ................
Came here after a very long time Kavita ji and I missed you all the while. Thanks for this informative post.
बहुत अच्छी जानकारी |
चौमासा बीमारियों का मौसम है ख़ास कर शहरों में जहां पानी की निकासी नहीं होती ... गन्दगी भी ज्यादा रहती है ... इसलिए इस मौसम में खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए ... मछरों से भी बचाव रखना जरूरी है इस समय ...
बहुत ही अच्छा आलेख ....
informative post.... abhar
उपयोगी जानकारी
jaankari ke liye shukriya.
पीएम और देशवासियों के नाम खुला ख़त।
upyogi jankari ...
अच्छी जानकारी दी आपने...........आभार
http://savanxxx.blogspot.in
जागरूक करती पोस्ट...आभार।
प्रिंट आउट ले लिया है घर में सभी को पढ़ाऊगा।
बहुत सुंदर और उपयोगी जानकारी
बहुत उपयोगी और बेहतरीन जानकारी ............
स्वास्थ के लिए उपयोगी पोस्ट
बहुत उपयोगी !
उपयोगी जानकारी के लिए आभार ।
एक जरूरी पोस्ट !
बहुत उपयोगी जानकारी...
बहुत अच्छी उपयोगी जानकारी |
मेरे ख्याल से साफ़ पानी का ध्यान रखना बेहद जरुरी है. आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है. शुक्रिया आपका..
sundar jankari ...
कविता जी किसी त्रासदी के पश्चात् भयभीत,क्रोधित या लाचार होने के बजाय अपनी संवेदना को समाज के साथ जोड़ कर उसके साथ जुड़ने का आपका प्रयास निश्चित ही सराहनीय एवं उत्प्रेरक है।
वर्षा ऋतु में नींबू का सेवन किन विधियों से करें इसकी जानकारी दे सकें तो अति उत्तम होगा।
मैं हर मौसम में प्रतिदिन प्रातः तेजपत्ता, दालचीनी तथा चाय पत्ती पानी में उबाल कर उस में नीबू डाल कर शहद और चीनी मिला कर खाली पेट सेवन करता हूँ। नीबू के इस प्रकार से सेवन के बारे में आपकी राय चाहता हूँ।कृपया मार्गदर्शन करें। शुभकामनायें।
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