सूरज की तपन गई बरखा बहार आयी - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

सूरज की तपन गई बरखा बहार आयी

सूरज की तपन गई बरखा बहार आयी
झुलसी-मुरझाई धरा पर हरियाली छायी
बादल बरसे नदी-पोखर जलमग्न हो गए
खिले फूल, कमल मुकुलित बदन खड़े हुए
नदियां इतराती-इठलाती अठखेलियां करने लगी
तोड़ तट बंधन बिछुड़े पिय मिलन सागर को चली
गर्मी गई चहुंदिशा शीतल मधुर, सुगंधित हुआ
जनजीवन उल्लसित, सैर-सपाटा मौसम आया
वन-उपवन, बाग-बगीचों में देखो यौवन चमका
धुली धूल धूसरित डालियां मुखड़ा उनका दमका
पड़ी सावनी मंद फुहार मयूर चंदोवे दिखा नाचने चले
देख ताल-पोखर मेंढ़क टर्र-टर्र-टर्र गला फाड़ने लगे
हरी-भरी डालियां नील गगन छुअन को मचल उठी
पवन वेग गुंजित-कंपित वृक्षावली सिर उठाने लगी
घर-बाहर की किचकिच-पिटपिट किसके मन भायी?
पर बरसाती किचकिच भली लगे बरखा बहार आयी!
...कविता रावत

18 टिप्‍पणियां:

Lokesh Nashine ने कहा…

वाहः
सुंदर अभिव्यक्ति

Sweta sinha ने कहा…

बहुत सुंदर रचना कविता जी।

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ प्रभात दीदी..
वाह....
सुन्दर विवरण
वर्षा का....
गोस्वामी तुलसी दास ने भी
वर्षा काल में वियोग का वर्णन किया है
यथा..
घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा॥
दामिनि दमक रह नघन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध बिद्या पाएँ।
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसें
सादर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

बरसात, भले ही इंतिहा मुसीबत लाती हो पर आकाश से झरता अमृत ही है

pritima vats ने कहा…

बहुत ही अच्छा लिखा है आपने कविता जी। हमारे ब्लाग पर भी आपका स्वागत है।

Rishabh Shukla ने कहा…

सुन्दर ....बरखा आयी ...........

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बरखा का बहुत सुंदर विवरण।

Unknown ने कहा…

बरखा धरती के लिए अमृत है ........ सुन्दर बरखा बहार

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

RIMJHIM BARKHA ME BHIGNE ME HI ANAND ATATA HAI.

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

कविता जी बहुत सुन्दर रचना ,शब्दों का संयोजन मौसम ए बहार का वास्तविक संकेत दे रहे हैं

'एकलव्य' ने कहा…

वाह ! क्या बात है प्रकृति को क्या सुन्दर शब्दों में ढाला है आभार ,"एकलव्य"

Prachi Digital Publication ने कहा…

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Anil Sahu ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Meena sharma ने कहा…

वर्षाकाल का सुंदर चित्रण !

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत ही सुन्दर बरखा बहार ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बरखा बहार आती है तो किच-पिच के साथ मधुर बयार भी ले के आती है ... गर्मी के मौसन कको सुहाना भी बनाती है ...
आपने हर पल को पकड़ने का प्रयास किया है रचना में ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

वन-उपवन, बाग-बगीचों में देखो यौवन चमका
धुली धूल धूसरित डालियां मुखड़ा उनका दमका
.....बरखा बहार क्या बात है.....बहुत सुन्दर :)