माटी की मूरत - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

सोमवार, 20 सितंबर 2021

माटी की मूरत


गीली सी मिट्टी से भर के अपनी मुट्ठी 
सोचा मैंने बनाऊँ माटी की मूरत ऐसी 
डूबूँ जिसको ढ़ालते-बनाते मैं ऐसे कि 
दिखे मुझे वह सपनों की दुनिया जैसी 
पर जरा सम्भलकर
कहीं माटी न गिर जाय
गिरकर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

माटी संग पढ़ा, खेला-कूदा बड़ा हुआ मैं
गूँथ-गूँथ मैंने उसे इस तरह तैयार किया
जब वह न था अधिक तरल और सख्त
तब मैंने उसे नरम आटा सा बना दिया
पर जरा सम्भलकर
कहीं देर न हो जाय
गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

सोचने लगा आखिर अब बनाऊँ तो क्या? 
तितली, मोर, शेर, भालू या फिर घोड़ा?
तब थोड़ा सोच-विचार बाद मन में आया 
क्यों न बनाऊँ एक हंस-परिवार का जोड़ा 
पर जरा सम्भलकर
कहीं हंस न गिर जाय
गिरकर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

बना हंस-परिवार तो विविध रंग मैं लाया
श्वेत वर्ण से मैंने फिर हंसों को नहलाया
अम्बर से रंग चुरा के मैंने सरोवर बनाया 
मांग के धरती से फूल-पत्ती उसे सजाया  
पर जरा सम्भलकर
कहीं रंग-फूल बिखर न जाय
बिखर कर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

उमड़-घुमड़ उठे मन में खुशी के बदरा  
जब देखी मैंने हो गई मूरत बन के तैयार 
पर आह! पल में फिसली वह हाथों जो मेरे 
टूटी-चटकी सारी मेहनत हुई मेरी बेकार
तभी तो  कहता संभल जरा 
हाथों मूरत न फिसल जाय
टूट-चटक फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

..अर्जित रावत  


आज 20 सितम्बर को मेरे बेटे अर्जित का जन्मदिन हैं।  क्योँकि अभी उसकी कक्षा 10वीं की छःमाही परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए हमें उसके कहने पर एक दिन पहले ही रविवार को उसका जन्मदिन मनाना पड़ा।  जन्मदिन मनाकर उसे ख़ुशी मिली तो हमें इस बात का बड़ा सुकून मिला कि उसे पढ़ाई का महत्व समझ आता है।  इस दौरान मैं सोच रही थी कि इस शुभ-अवसर पर क्या लिखूं तो मुझे 'मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिंदी भवन, भोपाल द्वारा दिनांक 7 सितम्बर को 'महादेवी वर्मा सभागृह' में आयोजित 'अंतर विद्यालयींन काव्य पाठ प्रतियोगिता' में उसके द्वारा स्व रचित 'माटी की मूरत' रचना का स्मरण हुआ तो सोचा क्यों न इसे ही पोस्ट करती चलूँ और इस बारे में आपके आशीर्वचनों व विचारों से अवगत हो सकूँ।मुझे प्रसन्नता होगी यदि कोई बाल साहित्यकार इस कविता को सम्पादित कर कमेंट बॉक्स में पोस्ट कर भेज दें, ताकि इससे अन्य बाल रचनाकारों को भी प्रोत्साहित किया जा सके।   






18 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुंदर।
अर्जित को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
♥️🎂

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

बहुत भाग्यशाली हैं आप जो ऐसा प्रतिभाशाली पुत्र आपको मिला है। इस कविता में सम्पादन की कोई आवश्यकता नहीं है। यह निस्संदेह एक श्रेष्ठ रचना है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अर्जित को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ और आशीर्वाद । बहुत सुंदर लिखा है ।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

अर्जित को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। कविता बहूत अच्छी है,कविता दी।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बेटे को समर्पित बहुत सुंदर सारगर्भित रचना ।बेटे को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 🎂🎂💐💐

Manisha Goswami ने कहा…

अर्जित भाई को जन्मदिन की हार्दिक हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं!हमेशा खुश रहें!हर उस ऊचाई को छुएं जहाँ तक जाने की चाह हो!
कविता की तारीफ ही क्या करे जैसा नाम वैसा काम आदरणीय मैम🙏

Zee Talwara ने कहा…

बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ लिखी है आपने। धन्यवाद।   Zee Talwara

कविता रावत ने कहा…

धन्यवाद ! मेरे बेटे ने लिखी है यह कविता

PRAKRITI DARSHAN ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं

Surendra Singh Bhamboo ने कहा…

अर्जित को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ । बहुत सुंदर कविता है ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-09-2021) को चर्चा मंच       ‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’  (चर्चा अंक-4195)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मन की उथल-पुथल दर्शाती सुंदर रचना ! पूरे परिवार को बधाई, अर्जित को स्नेहाशीष

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

बहुमुखी प्रतिभा अर्जित करने वाले अर्जित को अन्नत शुभकामनायें।

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

अर्जित को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाये। रचना भी सुन्दर ।

Sudha Devrani ने कहा…

गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
यही तो चिंता होती है कि यें इतने उत्तम विचारों के साथ बढ़ते हमारे नौनिहाल इस प्रतिस्पर्धी संसार में गिरकर कहीं टूट बिखर ना जायें और टूटें तो फिर वापस मजबूत मन से जुड़ भी सकें कहीं....
गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
गहन चिंतनपरक एवं सारगर्भित सृजन किया है प्रिय अर्जित ने...बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं उसे।
साथ ही जन्मदिवस की अनंत शुभकामनाएं एवं ढ़ेर सारा आशीर्वाद।

MANOJ KAYAL ने कहा…

अर्जित को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। 
बहुत खूबसूरत रचना

Sanju ने कहा…

सुंदर, सार्थक रचना !........
Mere Blog Par Aapka Swagat Hai.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

बहुत सुन्दर अर्जित के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई , अर्जित को जन्म दिन की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई वह सदा खुश रहे स्वस्थ रहे दीर्घायु हो ऐसे ही खूब आगे बढ़े समाज को रोशन करे ।