सोचा मैंने बनाऊँ माटी की मूरत ऐसी
डूबूँ जिसको ढ़ालते-बनाते मैं ऐसे कि
दिखे मुझे वह सपनों की दुनिया जैसी
पर जरा सम्भलकरकहीं माटी न गिर जाय
गिरकर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
माटी संग पढ़ा, खेला-कूदा बड़ा हुआ मैं
गूँथ-गूँथ मैंने उसे इस तरह तैयार किया
जब वह न था अधिक तरल और सख्त
गूँथ-गूँथ मैंने उसे इस तरह तैयार किया
जब वह न था अधिक तरल और सख्त
तब मैंने उसे नरम आटा सा बना दिया
पर जरा सम्भलकर
कहीं देर न हो जाय
गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
पर जरा सम्भलकर
कहीं हंस न गिर जाय
गिरकर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
पर जरा सम्भलकर
कहीं देर न हो जाय
गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
सोचने लगा आखिर अब बनाऊँ तो क्या?
तितली, मोर, शेर, भालू या फिर घोड़ा?
तब थोड़ा सोच-विचार बाद मन में आया
क्यों न बनाऊँ एक हंस-परिवार का जोड़ा
कहीं हंस न गिर जाय
गिरकर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
बना हंस-परिवार तो विविध रंग मैं लाया
श्वेत वर्ण से मैंने फिर हंसों को नहलाया
अम्बर से रंग चुरा के मैंने सरोवर बनाया
मांग के धरती से फूल-पत्ती उसे सजाया
पर जरा सम्भलकर
कहीं रंग-फूल बिखर न जायबिखर कर फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
पहले जैसे न रह पाए
उमड़-घुमड़ उठे मन में खुशी के बदरा
जब देखी मैंने हो गई मूरत बन के तैयार
पर आह! पल में फिसली वह हाथों जो मेरे
टूटी-चटकी सारी मेहनत हुई मेरी बेकार
तभी तो कहता संभल जरा
हाथों मूरत न फिसल जाय
टूट-चटक फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
..अर्जित रावत
18 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर।
अर्जित को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
♥️🎂
बहुत भाग्यशाली हैं आप जो ऐसा प्रतिभाशाली पुत्र आपको मिला है। इस कविता में सम्पादन की कोई आवश्यकता नहीं है। यह निस्संदेह एक श्रेष्ठ रचना है।
अर्जित को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ और आशीर्वाद । बहुत सुंदर लिखा है ।
अर्जित को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। कविता बहूत अच्छी है,कविता दी।
बेटे को समर्पित बहुत सुंदर सारगर्भित रचना ।बेटे को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 🎂🎂💐💐
अर्जित भाई को जन्मदिन की हार्दिक हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं!हमेशा खुश रहें!हर उस ऊचाई को छुएं जहाँ तक जाने की चाह हो!
कविता की तारीफ ही क्या करे जैसा नाम वैसा काम आदरणीय मैम🙏
बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ लिखी है आपने। धन्यवाद। Zee Talwara
धन्यवाद ! मेरे बेटे ने लिखी है यह कविता
हार्दिक शुभकामनाएं
अर्जित को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ । बहुत सुंदर कविता है ।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-09-2021) को चर्चा मंच ‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’ (चर्चा अंक-4195) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मन की उथल-पुथल दर्शाती सुंदर रचना ! पूरे परिवार को बधाई, अर्जित को स्नेहाशीष
बहुमुखी प्रतिभा अर्जित करने वाले अर्जित को अन्नत शुभकामनायें।
अर्जित को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाये। रचना भी सुन्दर ।
गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
यही तो चिंता होती है कि यें इतने उत्तम विचारों के साथ बढ़ते हमारे नौनिहाल इस प्रतिस्पर्धी संसार में गिरकर कहीं टूट बिखर ना जायें और टूटें तो फिर वापस मजबूत मन से जुड़ भी सकें कहीं....
गूँथी माटी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए
गहन चिंतनपरक एवं सारगर्भित सृजन किया है प्रिय अर्जित ने...बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं उसे।
साथ ही जन्मदिवस की अनंत शुभकामनाएं एवं ढ़ेर सारा आशीर्वाद।
अर्जित को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत खूबसूरत रचना
सुंदर, सार्थक रचना !........
Mere Blog Par Aapka Swagat Hai.
बहुत सुन्दर अर्जित के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई , अर्जित को जन्म दिन की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई वह सदा खुश रहे स्वस्थ रहे दीर्घायु हो ऐसे ही खूब आगे बढ़े समाज को रोशन करे ।
एक टिप्पणी भेजें