उन श्रीमहादेव का नित स्मरण करो
जो जगत के रक्षक हैं
पापों का नाश करने वाले हैं
गजराज चर्म पहने हुए
जिनके जटाजूट गंगा खेल रही है
उन श्रीमहादेव का नित स्मरण करो
जो जगत प्राणी रक्षक हैं
चन्द्र सूर्य अग्नि जिनके नेत्र हैं
जो कैलाशनाथ गणनाथ नीलकंठ हैं
वृषभ चढ़े अगणित रुपधारक
जगत आदिकारण प्रकाश स्वरूप हैं
उन पंचमुख महादेव का नित स्मरण करो
जो जगत के रक्षक हैं
जो परमात्मा एक जगत आदिकारण हैं
इच्छारहित निराकार ज्ञेय
जगत जनक पालनहार हैं
जिनमें सारा जगत समाया है
उन श्रीमहादेव का नित स्मरण करो
जो जगत के रक्षक हैं
जो न पृथ्वी जल अग्नि
न तंद्रा निद्रा न ग्रीष्म शीत हैं
जिनका न देश न वेश है
जो मूर्तिहीन त्रिमूर्ति हैं
उन भोलेनाथ का नित स्मरण करो
जो जगत के रक्षक हैं
जो अजन्मे नित्य कारण के कारण हैं
कल्याणस्वरूप प्रकाशक हैं
अज्ञान परे अनादि अनंत हैं
परम पावन अद्वैतस्वरूप है
उन श्रीमहादेव का नित स्मरण करो
जो जगत के रक्षक हैं
.... कविता रावत