हमारा घर चार मंजिला इमारत के भूतल पर स्थित है। प्रायः भूतल पर स्थित सरकारी मकानों की स्थिति ऊपरी मंजिलों में रहने वालों के जब-तब घर भर का कूड़ा-करकट फेंकते रहने की आदत के चलते किसी कूड़ेदान से कम नहीं रहती है, फिर भी एक अच्छी बात यह रहती है कि यहां थोड़ी-बहुत मेहनत मशक्कत कर पेड़-पौधे लगाने के लिए जगह निकल आती है, जिससे बागवानी का शौक और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने का काम एक साथ हो जाता है। बचपन में जब भी बरसात का मौसम आता तो हम बच्चे खेल-खेल में इधर-उधर उग आये छोटे-छोटे पौधे लाकर अपने घर के आस-पास रोपकर खुश हो लेते थे। तब हमें पता नहीं था कि पेड़-पौधे पर्यावरण के लिए कितना महत्व रखते हैं, किन्तु आज जब महानगरों के विकास के नाम पर पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण संकट गहराया है तो यह बात अच्छे से समझ आयी है कि पेड़-पौधें होंगे तो हम सुरक्षित और स्वस्थ रह सकेंगे। बचपन से प्रकृति के साथ मेरा जो लगाव रहा है वह आज भी वैसा ही है। मैं आज न केवल अपने घर के आस-पास, बल्कि दूसरी जगह भी पेड़-पौधे लगाने और दूसरे लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करने में पीछे नहीं रहती हूँ। यह मेरा प्रकृति से जुड़ाव और पर्यावरण को बचाने का परिणाम है कि आज हमारा घर-आंगन ग्रीनलैंड बना हुआ है। एक तरफ मेरे घर की सीढ़ियों पर रखे गमलों में सदाबहार, गुलाब, सेवंती, गेंदा, गुलाब, मोगरा आदि की खुशबू फैली है तो दूसरी तरफ हमने घर के सामने जिस बंजर जमीन में बाड़ी लगाकर हमने आम, अमरूद, पपीता, आँवला, मौसम्बी, मुनगा, नीबू, नीम, पारिजात इत्यादि पेड़ लगाये हैं, वह वर्षा की अमृत बूंदे पड़ते ही खिलखिला उठे हैं। इसके साथ ही बाड़ी में गिलोय के साथ-साथ लौकी, कद्दू, ककड़ी, गिलकी, सेम, करेले आदि की बेलों से बहार छायी हुई है, जिसे देख मन खुशी से झूम उठता है। इसके अलावा हम घर से थोड़ी दूर स्थित श्यामला हिल्स के पहाड़ी पर बने भगवान शंकर के मंदिर “जलेश्वर मंदिर“ में भी पेड़-पौधे लगाकर निरंतर उनकी देख-रेख करते हैं। मुझसे प्रेरित होकर कई लोग भी पेड़-पौधे लगाकर उनकी स्वयं रेखरेख का जिम्मा उठाना सीख गए हैं, यह देख मुझे अपार प्रसन्नता होती है।
आज सोचती हूँ पेड़-पौधों के प्रति प्रेम-भावना तो हमारे देश में बहुत प्राचीन काल से है। हम तो पेड-पौधों को लकड़ी की साधारण ठूंठ ही नहीं, बल्कि उन्हें देवता मानते आए हैं। भगवान शंकर का निवास मानकर हम वट की पूजा तो आमलकी एकादशी को आंवला की पूजा करते हैं। पीपल और तुलसी की पूजा तो प्रतिदिन होती है। फिर आखिर क्यों हमने लालच में ईश्वरीय सृष्टि की अलौकिक, अद्भुत, असीम एवं विलक्षण कलास्वरूप प्रकृति-सौंदर्य के कोश को लूटने के लिए उससे शत्रुता मोल लेकर उसके हरे-भरे खेत नष्ट किए, वन-उपवन काटे, हरियाली उजाडी, पहाड़ों को तोड़ा और नदियों को मरोड़ने का दुस्साहस किया? क्यों उसके हरे-भरे खेतों के स्थान पर बड़ी-बड़ी इमारतें तानकर, अमूल्य-बहुमूल्य पदार्थों के कोश वनों के स्थान पर बडे-बड़े औद्योगिक संस्थान खड़े करके सुगंधित वायुमंडल को दूषित कर और विषैली गैसों से पावन जल को अपवित्र कर विकसित होने का दंभ भर रहे हैं? हम क्यों भूल रहे हैं कि पेड़-पौधे तो प्राकृतिक सुंदरता के घर हैं, हरियाली का स्रोत हैं, स्वास्थ्य वृद्धि की बूटी हैं, वर्षा के निमंत्रणदाता हैं, प्रकृति के रक्षक हैं, प्रदूषण के नाशक हैं, प्राणिमात्र के पोषक हैं। वे अपने पत्तों, फल-फूल, छाया, छाल, मूल, वल्कल, काष्ठ, गंध, दूध, भस्म, गुठली और कोमल अंकुर से प्राणि-मात्र को लाभ पहुंचाते हैं। बावजूद इसके आज यह गंभीर चिंतन का विषय बना है कि-
“बरगद, पीपल, नीम को, काट ले गये लोग।हवा भी जहरी हुई, फैला जहरी रोग।।“

किसी भी तरह हो, प्रकृति का सानिध्य खुशनसीबी ही है आज के समय में
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार और बहुत प्रेरक काम। नमन।
जवाब देंहटाएंप्रकृति के बारे में एक बहुत अच्छी जानकारी है, जो सभी को पालन करना चाहिए |
जवाब देंहटाएंइस लेख में बहुत अच्छी बात लिखी गई है, जो मनुष्य के हित में है | हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए जो हमारे लिए ओक्सीजन बना पाए और हवा का मात्र संतुलित हो पाए |
जवाब देंहटाएंSHAYARI
Hindi Mix Shayari
Hd Movie Download Free
Love Shayari
Love Story
Sad Story
Sexy Story
Quotes
Whatsapp Status
Inspirational Shayari
Sad Shayari
Khwab Shayari
Photography
Attitude Shayari
Good morning SMS
Good Night SMS
God Shayari
Alone Shayari
Bewafa Shayari
Aansoo Shayari
Two Liner Shayari
Valentine Special SMS
Merry Christmas Wishes SMS
Diwali Wishes SMS
LOVE STORY IN HINDI
सौभाग्य है आपका जो कर्तव्य पालन कर पा रही हैं।
जवाब देंहटाएं