जो काशीपति विश्वनाथ कहलाते हैं
जिनकी गंगा लहरों सम सुंदर जटाएं हैं
जिनके वामभाग पार्वती सुशोभित है
नारायण के जो अतिप्रिय है
कामदेव के मद नाशक हैं
उस भोलेनाथ का पाठ जाप करो
जो काशीपति विश्वनाथ कहलाते हैं
जिनका वर्णन वाणी से अकथ है
जो अनेक गुण स्वरूप के स्वामी हैं
जिनको ब्रह्मा विष्णु देव भजते हैं
जो सुंदर वामभाग सपत्नीक हैं
उस भोलेनाथ का पाठ जाप करो
जो काशीपति विश्वनाथ कहलाते हैं
जो भूतों के अधिपति कहलाते हैं
जिनके गले सदा सर्प विभूषित हैं
जो नित बाघम्बर वसन पहनते हैं
कर पाश अंकुश अभय वर शूल धरते हैं
उस भोलेनाथ का पाठ जाप करो
जो काशीपति विश्वनाथ कहलाते हैं
जो चन्द्र प्रकाशित किरीट धरे हैं
भाल नेत्र कंदर्प दग्ध करे हैं
जिनके कर्ण सर्प कुंडल दमक रहे हैं
जो सदा रूप ह्रास वृद्धिरहित है
उस भोलेनाथ का पाठ जाप करो
जो काशीपति विश्वनाथ कहलाते हैं
जो भक्तों पर सदा कृपा बरसाते हैं
वे वैराग्य शांति के सागर हैं
जो पार्वती को सदा साथ रखते हैं
धीर सौम्य मनोहर जान पड़ते हैं
उस भोलेनाथ का पाठ जाप करो
जो काशीपति विश्वनाथ कहलाते हैं
.... कविता रावत