भले कच्चा-पक्का, रुखा-सूखा खाना
भले जैसे तैसे करके घर तू चलाना
भले किसी की गाय-बकरी चराना
मगर मेरे भाई दारु नहीं पीना
ये दारु घर में झगड़ा कराता
फेफड़ा सुखाता जिगर जलाता
बुरी लत इसकी कभी नहीं लगाना
भले कच्चा-पक्का, रुखा-सूखा खाना
भले जैसे तैसे करके घर तू चलाना
भले किसी की गाय-बकरी चराना
मगर मेरे भाई दारु नहीं पीना
ये कच्ची-पक्की दारू गुमठियों का चखना
नीयत नहीं बिगाड़ना बचकर तू रहना
दारू की लत बहुत बुरी होती है
रोग लगता है घरबार फूंकता है
दारूखोरो की संगत में कभी नहीं रहना
भले कच्चा-पक्का, रुखा-सूखा खाना
भले जैसे तैसे करके घर तू चलाना
भले किसी के गाय-बकरी चराना
मगर मेरे भाई दारु नहीं पीना
ये दारू ठेकदारों का धंधा है भाई
पैसा कमाने की मशीन है भाई
कभी भूल कर भी ठेका नहीं जाना
न दारू लाना-पीना न किसी को पिलाना
भले कच्चा-पक्का, रुखा-सूखा खाना
भले जैसे तैसे करके घर तू चलाना
भले किसी के गाय-बकरी चराना
मगर मेरे भाई दारु नहीं पीना
... कविता रावत