आज हरियाली अमावस्या है। हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहते हैं। इसे विशेष तिथि के रूप में माना जाता है। इस दिन लोग पूर्वजों के निमित्त पिंडदान एवं दान-पुण्य के कार्य करने के साथ ही जीवन में पर्यावरण के महत्व को समझते हुए वृक्षारोपण करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सारे दुःख-दर्द दूर होते हैं तथा सुख-समद्धि का वास होता है। इस दिन किसान भी अपने खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं और ईश्वर से अच्छी फसल होने की कामना करते हैं।
हरियाली अमावस्या के दिन आम, पीपल, बरगद, बेल, नीम, आंवला आदि के पेड़ लगाने चाहिए।
वृक्षों को पृथ्वी की शोभा, हरियाली का उद्गम कहा गया है। जहाँ ये एक ओर स्वास्थ्य वृद्धि की बूटी हैं, तो वहीँ दूसरी ओर वर्षा के निमन्त्रणदाता भी हैं, जिससे प्रकृति की रक्षा और प्राणिमात्र का पोषण होता है। आज हरियाली अमावस्या के अवसर पर आप हमारे घर के बगीचे की सैर कीजिए और प्रकृति से जुड़कर वृक्षारोपण का संकल्प कर प्रकृति के सहायक बनकर जीवन आनन्द का अनुभव महसूस करें।
16 टिप्पणियां:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०९-०८-२०२१) को
"कृष्ण सँवारो काज" (चर्चा अंक-४१५१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बढ़िया जानकारी दी है । वीडियो नहीं दिख रहा ।
सार्थक जानकारी है। halanki वीडियो नहीं चल रहा।शुभकामनाएं आपको। सादर।
कृपया बुधवार को सोमवार पढ़े।
सादर
अब चल रहा है
अब चल रहा है
जी, धन्यवाद
बढ़िया संकलन. हमारी संस्कृति त्यौहारों के माध्यम से भी पर्यावरण को सहेजने की प्रेरणा देती है.
सनातन परम्पराएं प्राकृतिक जड़ों से एकाकार हैं, सारगर्भित आलेख।
बहुत अच्छा लेख। हमारे पुरखों को ज्ञान था कि आनेवाली पीढ़ियाँ वृक्षों को बर्बाद कर देंगी। तभी उन्होंने वृक्षारोपण को धर्म और पुण्य से जोड़ा। यदि हर त्योहार पर ही एक वृक्ष लगाएँ तो त्यौहार का आनंद दुगुना हो जाएगा
बहुत ही अच्छा लेख है यह आपका कविता जी। आपने वीडियो भी डाला है जिससे इसका मूल्य और भी बढ़ गया है।
बहुत सुंदर सामयिक तथा बहुत ही जरूरी विषय पर आपका यह लेख सराहनीय तथा विचारणीय है,बहुत शुभकामनाएं आपको।
बहुत सार्थक लेख ।
शानदार पेड़ों पर सुंदर विडियो।
प्रकृति की हरी गोद में निवास एक सुखद पहलू।
बहुत बढ़िया जानकारी युक्त लेख और विचारणीय भी ,सादर नमन आपको
सावन की हरियाली अमावस्या के महत्त्व को बाखूबी लिखा है आपने ...
अज की पीढ़ी जब कभी खोजना चाहेगो अपने इतिहास को तो ऐसे संवाद, ऐसी पोस्ट उनके बहुत काम आने वाली हैं ... धरोहर ऐसे ही संजोयी जाती है ... बहुत उत्तम ...
पेड़ो का महत्व बतलाता बहुत ही सुंदर आलेख, कविता दी।
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