
राजा हो या रंक सबका अंत एक-सा होता है।
उसी का जीवन सार्थक है जो गलतियों से फायदा उठाता है
हमेशा जीते रहेंगे सोचने वालों का जीवन बेकार हो जाता है
समय किसी अस्तबल में खूंटे से बंधे घोड़े जैसा नहीं रहता है
प्रतिकूल समय में अपने आपको उसके अनुकूल ढ़ालना पड़ता है
ऐसा कोई घाव नहीं जिस पर वक्त मरहम नहीं लगा पाता है
रण कौशल दिखलाने वालों का ही इतिहास लिखा जाता है
जहाँ फरिश्ते भी कदम रखने से डरें वहाँ मूर्ख दौड़े चले जाते हैं
बुद्धिमान सत्य तो मूर्ख झूठ का पता लगाकर खुश होते हैं

मूर्खों के सिर पर सींग नहीं होते हैं
बड़े दुःख आने पर हम छोटे-छोटे दुःखों को भूल जाते हैं
दुःख और सुख चक्र की तरह बारी-बारी से आते हैं
कभी शहद कभी प्याज से काम चलाना पड़ता है
उसी का तन-मन सुखी जो समय देख चलता है
कभी के दिन तो कभी रात बड़ी होती है
विपत्ति मनुष्य के साहस को परखती है
काम बिगड़ते देर नहीं बनते देर लगती है
मृत्यु सब गलतियों पर नकाब डाल देती है
बहुत बड़ी दावत भी थोड़ी देर की होती है
मौत तारीख देखकर नहीं आती है
...कविता रावत
15 comments:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 20 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
यही सत्य है।
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -4 -2020 ) को " भारत की पहचान " (चर्चा अंक-3678) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २१ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सही कहा कविता दी कि मौत तारीख देखकर नहीं आती हैं। सुंदर रचना।
बेहद सशक्त लेखन ...
सही कहा है आपने ... बस इसकी कल्पना ही डर पैदा कर जाती है ...
आज के माहोल ने वैसे ही सब को हिला दिया है ... हर कोई स्वयं का प्राकृति का सामान करना सीख रहा है ... समय का महत्त्व सीख रहा है ... अच्छी रचना है ...
सत्य कथन सार्थक संदेश देती रचना
वाह!!!
अंतिम सत्य ....।
आपने तो रुला दिया। सच को जस का तस पिरो दिया आपने
सार्थक सृजन👌👌👌
बहुत ही सुंदर लिखा है आप मेरी रचना भी पढना
बहुत ही बेहतरीन रचना कविता जी। सच का यही आईना है ।
सादर ।
सुन्दर रचना और सराहनीय प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार ।
कविता की हर पंक्ति दिल को छू जाती है।
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