हृदय देश का मध्यप्रदेश : महेश सक्सेना - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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रविवार, 2 नवंबर 2025

हृदय देश का मध्यप्रदेश : महेश सक्सेना


जय-जय प्यारा मध्यप्रदेश!
भारत का हृदय, अनुपम देश।
शांति और भाईचारे में,
सुन्दर अपना मध्यप्रदेश!

​भारत के बीचों बीच बसा,
हृदय देश का मध्यप्रदेश।
विविध तीज-त्योहार बोलियाँ,
पाँच राज्यों से घिरा प्रदेश।
​पर्वत कहीं, कहीं समतल,
न्यारा अपना मध्यप्रदेश।

​जय-जय प्यारा मध्यप्रदेश!
भारत का हृदय, अनुपम देश।
शांति और भाईचारे में,
सुन्दर अपना मध्यप्रदेश!
​सोन, नर्मदा, चंबल, क्षिप्रा,
सिंचित प्यारा मध्यप्रदेश।
विंध्याचल, सतपुड़ा शिखर,
गाते जय-जय मध्यप्रदेश।
​लोह, मैगनीज, बाक्साइट,
भण्डार भरे हैं मध्यप्रदेश।

​जय-जय प्यारा मध्यप्रदेश!
भारत का हृदय, अनुपम देश।
शांति और भाईचारे में,
सुन्दर अपना मध्यप्रदेश!

​साँची, माँडू, खजुराहो से,
बना दर्शनीय मध्यप्रदेश।
भोज, अवंती, अहिल्या की,
कर्मस्थली है मध्यप्रदेश।
​मैहर, उज्जयिनी, ओरछा,
संस्कृति-स्थल यहाँ विशेष।

​जय-जय प्यारा मध्यप्रदेश!
भारत का हृदय, अनुपम देश।
शांति और भाईचारे में,
सुन्दर अपना मध्यप्रदेश!
​मालवी, निमाड़ी, बुन्देली, बघेली,
सरस प्रदेश की बोलियाँ।
जिनके मधुर-मधुर गीतों में,
शोभित जन-जीवन झाँकियाँ।
​बी.एच.ई.एल, बाँध गाँधी सागर,
जगमग करते मध्यप्रदेश।

​जय-जय प्यारा मध्यप्रदेश!
भारत का हृदय, अनुपम देश।
शांति और भाईचारे में,
सुन्दर अपना मध्यप्रदेश!

​रानी लक्ष्मी, तानसेन का,
यश ग्वालियर ने है गाया।
क्षिप्रा तट पर होता है,
सिंहस्थ जहाँ अमृत छलकाया।
​राजधानी भोपाल भव्य,
इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर,
बड़े नगर हैं विशेष।
प्रगति पथ पर बढ़ता जाता,
अपना प्यारा मध्यप्रदेश।
शांति और भाईचारे में,
सुन्दर अनुपम मध्यप्रदेश।

महेश सक्सेना
बाल साहित्यकार 
बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र 
भोपाल

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