जन्म दिवस जब मेरा आता,
फूल खुशी के झरते।
पापा पूछ-पूछ कर मुझसे,
सारे काम सँवरते।
सुबह-सुबह दादी जगाती,
देती प्यारी पुच्ची।
बाबा आशीषों की वर्षा,
मन में भरते सच्ची।
गुब्बारों से हॉल सजाती,
दीदी हँसकर आती।
दिन भर झगड़े की छुट्टी कर,
बहुत भली बन जाती।
दोस्त सभी समय पर आकर,
देते शुभ बधाई।
दादी कहती बैठो बेटा,
खाओ खूब मिठाई।
बाबा कहते मिलकर सब हम,
गीत खुशी के गाएँ।
मोमबत्तियाँ जला-बुझाकर,
नाचें झूमे गाएँ।
उपहार जब मित्रों से मिलते,
मन हर्षित हो जाता।
घर में उत्सव सा वातावरण,
सबको प्यारा लगता।
"जन्मदिन केवल एक दिन नहीं, यह परिवार के स्नेह, दोस्तों की बधाई और घर के उत्सव का संगम है।इस बालगीत में दादी-बाबा का आशीर्वाद, पापा की तैयारी, दीदी की सजावट और मित्रों का प्यार मिलकर बचपन की खुशियों को यादगार बना देता है।"
यह गीत श्री महेश सक्सेना, शिक्षाविद और बाल साहित्यकार द्वारा रचित है, जिसे हमने इसे बच्चों के साथ गुनगुनाने और हर जन्मदिन को उत्सव में बदल देने के लिए सुनो AI की सहायता से संगीत गायन बनाकर रोचक रूप में प्रस्तुत किया है ।

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