तुलसी माता वंदन करूँ, हरि चरणों में गाऊँ : तुलसी वंदना - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, geet, bhajan, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

तुलसी माता वंदन करूँ, हरि चरणों में गाऊँ : तुलसी वंदना



तुलसी माता वंदन करूँ, हरि चरणों में गाऊँ,
औषधि रूपी अमृत बनकर, जीवन को सुख पाऊँ।

वन तुलसी ब्रह्म तुलसी, कठेरक नाम तुम्हारा,
रामा-श्यामा से बढ़कर, औषधि रूप तुम्हारा।

बारह फीट की ऊँचाई से, आँगन को सजाया,
हर मौसम में हरी भरी, अमृत रस बरसाया।

चरक कहे विष हरनी, भाव प्रकाश बताए,
कफ-वात-पित्त नाशिनी, रोग सभी मिटाए।

जहाँ रहे तुलसी का पौधा, देव सभी विराजें,
ब्रह्मा विष्णु महेश वहाँ, भक्त सुख से साजें।

तुलसी माता वंदन करूँ, हरि चरणों में गाऊँ,
औषधि रूपी अमृत बनकर, जीवन को सुख पाऊँ।

... कविता रावत 

कोई टिप्पणी नहीं: