अरे सुनो सुनो रे भाई, कंडाली की बात,
पहाड़ों से आई बीज, भोपाल में हुई सौगात।
कंडाली सिसूण, औषधि का खजाना,
विटामिन, आयरन, सेहत का बहाना।
कोदो की रोटी संग, साग बने निराला,
झंगोरा-भात संग, स्वाद है मतवाला।
कंडाली रे कंडाली, जीवन की रखवाली,
पौधों का पहरेदार, बगिया की रखवाली।
मोच हो या जकड़न, पत्तियाँ करें इलाज,
मलेरिया मिटे तन से, मिले नया अंदाज।
बीज से बनती दवा, कैंसर को हराने,
बरसात में खिल उठे, शाखाएँ मुस्काने।
कंडाली रे कंडाली, अमृत का प्याला, ,
लेमन ग्रास तुलसी संग, ग्रीन टी निराला।
पहाड़ी की शान है, गढ़वाल का गीत,
कुमाऊँनी सिसूण संग, जुड़ता हर प्रीत।
गर्मी में नाजुक है, पानी से सँभालो,
बरसात में खिल उठे, बगिया को सँवारो।
कंडाली रे कंडाली, धरती का उपहार,
सेहत, स्वाद, सुरक्षा – सबका आधार।
कंडाली रे कंडाली, जन-जन तक पहुँचा दो,
पहाड़ों की अमानत, गाँव-शहर में गा दो।
... कविता रावत

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