गढ़वाली लोकगीत – किंगोड़ा री बाड़ी मा उजाला - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, geet, bhajan, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 4 दिसंबर 2025

गढ़वाली लोकगीत – किंगोड़ा री बाड़ी मा उजाला



किंगोड़ा री बाड़ी मा,
फूल-फल खिल्या रंगीला, ,
खट्टा-मीठा स्वाद लगदा,
जीवन मा भरदा उजाला।

दारुहल्दी री जड़ि मा,
औषधि री शक्ति बसि,
रोग-दुख सब दूर करदा,
मनुष्य री सेवा करदा। ,

गढ़वाली धरती मा,
किंगोड़ा अमृत बन्या,
लोककथा री गूंज मा,
संस्कृति री दीप जल्या।

ओ पहाड़ री शान तू,
ओ सेवा री पहचान तू,
किंगोड़ा री कथा गाऊँ,
धरती मा जीवन बचाऊँ।

... कविता रावत 

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