फूल-फल खिल्या रंगीला, ,
खट्टा-मीठा स्वाद लगदा,
जीवन मा भरदा उजाला।
दारुहल्दी री जड़ि मा,
औषधि री शक्ति बसि,
रोग-दुख सब दूर करदा,
मनुष्य री सेवा करदा। ,
गढ़वाली धरती मा,
किंगोड़ा अमृत बन्या,
लोककथा री गूंज मा,
संस्कृति री दीप जल्या।
ओ पहाड़ री शान तू,
ओ सेवा री पहचान तू,
किंगोड़ा री कथा गाऊँ,
धरती मा जीवन बचाऊँ।
... कविता रावत

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