सदाबहार ब्रह्म तुलसी लगाइए अपने घर आंगन में - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 13 जून 2025

सदाबहार ब्रह्म तुलसी लगाइए अपने घर आंगन में

बरसात का मौसम आते ही हमारे बगीचे में राम और श्याम तुलसी के पौधों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जैसे ही ठण्ड का मौसम आता है तो इनमें से कुछ को पाला मार जाता है तो कुछ को जैसे ही गर्मी का मौसम आता है सूरज झुलसा देता है, जला देता है। बमुश्किल बरसात तक एक-दुक्के पौधे ही बच पाते हैं। चूंकि बरसात में तुलसी के पौधे जल्दी पनपते हैं इसलिए गर्मियों में संग्रहित बीज बोकर नए पौधे फिर से तैयार कर लेते हैं। इस तरह 'मैं तुलसी तेरे आँगन की' की सार्थकता बनाये रखने में हमें कामयाबी मिल जाती हैं।            
         
राम और श्याम तुलसी तो लगभग घर-घर मिल जाती हैं। लेकिन जो तुलसी बहुत कम घर में आपको देखने को मिलेगी, उस 'वन तुलसी 'से आज मैं आपका परिचय कराती हूँ। आज से 2 वर्ष पूर्व जब मैं एक परिचित के घर गई तो वहां मुझे तुलसी जैसा पौधा दिखा, लेकिन उसकी बड़ी-बड़ी पत्तियॉं देखकर मुझे उसके तुलसी होने में संदेह हुआ तो मैंने उसके बारे में उनसे पूछा। उन्होंने हमें बताया कि वह तुलसी का ही पौधा है जिसे 'वन तुलसी' ब्रह्म तुलसी, अरण्य तुलसी अथवा कठेरक के नाम से जाना जाता है। मैंने निश्चित करने के लिए उसकी पत्ती तोड़कर सूंघी तो उसकी खुशबू से मेरी शंका दूर हुई।  मेरे मांगने पर उन्होंने उसकी एक टहनी काटकर मुझे यह कहकर दी कि इसे मिट्टी में रोप देना। तुलसी की टहनी मिट्टी में रोपकर पौधा तैयार हो सकता है, इसमें मुझे संदेह था, क्योंकि राम और श्याम तुलसी तो बीज से उगाये जाते हैं, फिर भी घर आकर मैंने उसे बग़ीचे में एक पन्नी में मिटटी, गोबर और नारियल का बुरादा (कोकोपीट) मिलाकर रोप दिया। जब मैंने इसे रोपा उस समय भले ही बरसात का मौसम था, फिर भी मुझे पूरा विश्वास न था कि इस तरह वन तुलसी का पौधा तैयार हो जाएगा। लेकिन जब एक सप्ताह बाद मैंने देखा कि वह धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है और उसमें नयी कोपलें और शाखाएं भी आ रही है तो मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। इस तरह एक माह में वह एक बड़ा पौधा बन गया और उस पर बड़ी-बड़ी शहतूत जैसी पत्तियां आ गई।  कुछ माह बाद उस पर पत्तियों के साथ ही बड़ी-बड़ी मंजरी भी आई तो मैंने उनसे बीज इकठ्ठा कर लिया। अब मैं हमारे बगीचे में इन बीजों से बहुत से पौधे तैयार करती हूँ और लोगों को इसे अपने घरों में लगाने के लिए देती हूँ, ताकि घरों में बारामासी तुलसी का यह पौधा घर-आँगन की शोभा बढ़ाता रहे। यह राम-श्याम तुलसी से भिन्न है। इसका पौधा उनसे काफी बड़ा होता है। इसकी पत्तियां भी बहुत बड़ी-बड़ी होती हैं और इसके साथ ही इसे न तो ठण्ड में पाला मारता है और नहीं गर्मी में कड़ी धूप इसे सुखा पाती हैं। हां, ये बात अलग है कि ठण्ड और गर्मी के मौसम में इसकी पत्तियों का आकर जरूर छोटा हो जाता है, लेकिन जैसे ही बरसात का मौसम आता है, इसकी  पत्तियाँ अपना मूल स्वरुप धारण कर लेती हैं। 

          अभी हमने दो थर्माकोल में बहुत वन तुलसी का बीज बो कर पौधे तैयार किए हैं, जिन्हें हम लोगों को सर्फ़ एक्सल, तेल, ब्रेड की पन्नी, मिनरल वाटर की बोतलों या सैनिटाइजर के कूपों  में लगाकर देते हैं। जब भी सड़क आते-जाते किसी की नज़र हमारे बगीचे पर पड़ती है और वह हमसे तुलसी का पौधा मांगता है तो हम उन्हें यही 'वन तुलसी' का पौधा देते हैं, जिसे देख वे पहले तो विश्वास नहीं करते लेकिन जैसे ही हम उन्हें पूरी जानकारी देते हैं और उसकी पत्तियों को सूंघकर निश्चित कराते हैं तो वे बड़े खुश होकर उसे अपने घर ले जाते हैं तो हमें बड़ी ख़ुशी मिलती हैं। 

आप भी अपने बाग़-बगीचे या घर-आँगन में वन तुलसी, ब्रह्म तुलसी, अरण्य तुलसी अथवा कठेरक नाम की सदाबहार तुलसी लगाकर सदा हरा-भरा बनाए रखें।

...कविता रावत

8 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वन तुलसी के विषय में नयी जानकारी ... अच्छी पोस्ट .

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण बहुत जरूरी है,वन तुलसी पर केंद्रित आपका ये आलेख आज के समय में बहुत प्रासंगिक है । ऊपर से पौधे का तोहफा बहुत अच्छी पहल । बहुत शुभकामनाएँ कविता जी ।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

कविता दी, वनतुलसी का पौधा तोहफे में देकर बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही है आप। बहुत सुंदर आलेख।

Akhilesh kumar Sharma ने कहा…

bahut hi achchhi jankari di hai aapne, dhanyawad

Virendra Singh ने कहा…

वन तुलसी के विषय में दिलचस्प जानकारी है। मेरे भाई के पास भी तुलसी के यही पौधे हैं लेकिन शायद वो इसे तुलसी ही कहते हैं। 'वन तुलसी' नाम से परिचित नहीं है। मुझे भी यही शक हुआ था कि यह तुलसी ही है या कुछ और। लेकिन आपकी पोस्ट पढ़कर यकीन हो गया है कि वो तुलसी ही है। जिसे वन तुलसी भी कहा जाता है।

डॉ 0 विभा नायक ने कहा…

🙏आपके ब्लॉग के सभी विषय बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक हैं। वन तुलसी कई औषधीय गुणों से युक्त होती है। लेख पढ़ते हुए जैसे पत्तियों की सुगंध मस्तिष्क में घुल रही थी। सुन्दर आलेख। बधाई 🌷

Meena sharma ने कहा…

क्या मरुआ ही वन तुलसी है कविताजी ?

संजय भास्‍कर ने कहा…

पौधा तोहफे में देकर बहुत ही सराहनीय कार्य सुंदर आलेख।