एक पक्ष की नम्रता बहुत दिन तक नहीं चल पाती है।
एक बार शालीनता छोड़ने पर वह लौटकर नहीं आती है।।
दूध में उफान आने पर वह चूल्हे पर जा गिरता है।
नम्र व्यक्ति अपनी नम्रता धृष्ट व्यक्ति से सीखता है।।
नम्र बनने के लिए कोई मोल नहीं लगता है।
सदा तराजू का वजनदार पलड़ा ही झुकता है।।
जो झुक जाता है उसे काटा नहीं जाता है।
वह कभी टूटता नहीं जो लचकदार होता है।।
शीलनता से अपमान सहन नहीं करना पड़ता है।
हरेक वृक्ष नहीं फलवाला वृक्ष ही झुकता है।।
एक बार शालीनता छोड़ने पर वह लौटकर नहीं आती है।।
दूध में उफान आने पर वह चूल्हे पर जा गिरता है।
नम्र व्यक्ति अपनी नम्रता धृष्ट व्यक्ति से सीखता है।।
नम्र बनने के लिए कोई मोल नहीं लगता है।
सदा तराजू का वजनदार पलड़ा ही झुकता है।।
जो झुक जाता है उसे काटा नहीं जाता है।
वह कभी टूटता नहीं जो लचकदार होता है।।
शीलनता से अपमान सहन नहीं करना पड़ता है।
हरेक वृक्ष नहीं फलवाला वृक्ष ही झुकता है।।