वह पेड़ कभी टूटता नहीं जो लचकदार होता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शुक्रवार, 7 मार्च 2025

वह पेड़ कभी टूटता नहीं जो लचकदार होता है


एक पक्ष की नम्रता बहुत दिन तक नहीं चल पाती है।
एक बार शालीनता छोड़ी तो वह लौटकर नहीं आती है।।


दूध में उफान आने पर वह चूल्हे पर जा गिरता है।
नम्र व्यक्ति अपनी नम्रता धूर्त व्यक्ति से सीखता है।।

नम्र बनने के लिए कोई मोल नहीं चुकाना पड़ता है।
हमेशा तराजू का वजनदार पलड़ा ही झुकता है।।

जो पेड़ झुक गया वह तूफान से बच निकलता है
वह पेड़ कभी टूटता नहीं जो लचकदार होता है।।

शालीनता से अपमान सहन नहीं करना पड़ता है।
हरेक वृक्ष नहीं झुकता फलवाला वृक्ष ही झुकता है।।

.... कविता रावत