यह पौधा कई बीमारियों में रामबाण का काम करता है। शरीर में पित्त दोष, पेट की गर्मी को दूर करने के साथ ही यदि शरीर के किसी हिस्से में मोच आ गई है तो इसकी पत्तियों का अर्क बनाकर प्रभावित जगह पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है। इसका साग खाने से मलेरिया रोग और शरीर की जकड़न भी ठीक होती है, क्योंकि यह मरीज के लिए एंटीबायोटिक और एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इसके बीज से कैंसर की दवा भी बनाई जाती है। हमारे पहाडी लोग इसका साग बनाकर रोटी, भात और झंगोरा के साथ भी खाते हैं।
यह पौधा भारत, चीन, यूरोप समेत कई देशों में पाया जाता है। लेकिन बताया जा रहा है कि ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की मार की वजह से इसका अस्तित्व भी खतरे में हैं। बावजूद इसके मैंने अपने पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड से बीज लाकर भोपाल शहर की अपनी बगिया में उगाया है। हाँ यह बात जरूर अलग है कि इसे गर्मियों में बचाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करने पड़ती हैं, क्योंकि यह पौधा नाजुक होता है और इसे अधिक गर्मी बर्दास्त नहीं होती है, इसलिए इसे बहुत अधिक पानी देने और धूप से बचाने की जरुरत होती है। गर्मियों में इसके तने और पत्तियों भले ही सूख जाती हैं, लेकिन इसकी एक छोटी जड़ भी यदि बचा ली गई तो फिर वह बरसात आते ही बड़ी तेजी से बढ़ने लगती हैं। बरसात का पानी पड़ते ही इसकी कई शाखाएं निकल आती हैं, जिससे यह एक आकर्षक पौधे की रूप में हमारे सामने खडा दिखाई देता है।
आजकल हमारे बगीचे में इसकी रौनक देखते ही बन रही है। हमने इसे सड़क किनारे अधिक लगा रखा है क्योंकि इसे कोई जानवर नहीं खाता है और सड़क आते-जाते प्रकृति से खिलवाड़ करने वाले उपद्रवी लोग इसे छूने की हिमाकत नहीं करते हैं, इसलिए बगीचे के पौधों को बचाने के लिए ये सुरक्षा चक्र का काम करते हैं। इससे हमें कई लाभ हैं एक तो हम इसके पत्तियों का स्वादिष्ट साग तो खाते ही है साथ में जो मैं सबसे महत्वपूर्ण बात बता रही हूँ कि इसकी पत्तियों के साथ हम लेमन ग्रास और तुलसी के पत्तों को सुखाने के बाद पीसकर ताज़ी ग्रीन टी बनाते हैं। अभी जब बरसात के बाद ठण्ड में कंडाली का पौधा अपने पूरे शबाब पर होता है, तब इसकी पत्तियों को खाने के लिए हमारे घर कई हमारे उत्तराखंडी लोग मांगने आते हैं और इसका साग बनाकर खाते हैं। हम पिछले ४ वर्ष से इसे उगा रहे हैं इसलिए बहुत से हमारे भोपाल के परिचित लोगों को उनके कहने पर हम इसका साग खिलाते आ रहे हैं। हमारी तरह ही उन्हें भी इसका साग बहुत पसंद आता है तथा वे भी ठण्ड का इंतज़ार करते हैं। वे भी जान गए कि इसके पत्तों में खूब आयरन तो होता ही है साथ में इसमें फोरमिक एसिड, एसटिल कोलाइट और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में मिलता है। इसके पौधे भी हम लोगों को उनके घर में लगाने के लिए कंडाली के पौधे देते हैं और उन्हें कैसे इसकी देखभाल करनी है, यह भी बताते हैं।
....कविता रावत
12 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
कमाल कर दिया आपने तो आ.कविता जी !भोपाल में ही गढ़वाल ले गये ..कण्डाली के बीज गमले में उगा लिये ! आश्चर्यचकित हूँ मैं तो... मुझे लगता है कि कुछ चीजे हम सिर्फ अपने उत्तराखंड जाकर ही पा सकते हैं और आपने तो....
कण्डाली का साग ही नहीं ग्रीन टी भी ! ये तो पहली बार सुन रही।नमन है आपकी सन्नद्धता को
🙏🙏🙏🙏
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (21-8-22} को "मेरे नैनों में श्याम बस जाना"(चर्चा अंक 4530) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत खूब कविता जी बढ़िया जानकारी
नई जानकारी मिली । अच्छी पोस्ट ।।
बहुत बढ़िया जानकारी।
कंडाली के विषय में उपयोगी जानकारी। आभार आपका ।
बहुत सुंदर, औषधीय गुणों से भरपूर आलेख
आप सौभाग्यशालिनी भी हैं तथा परोपकारी भी। बहुत अच्छा लगा पढ़कर।
बहुत सुन्दर व ज्ञानवर्धक प्रस्तुति!
Nice post thank you Theresa
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