उन परमानन्दकन्द गोविन्द का नित भजन करो
जो चिदानन्दस्वरूप जगतपालक सुखदायक हैं
निराश्रय आश्रयदाता भवसागर पार कर्ता
परगुणाश्रय श्रीलक्ष्मी कंठ हार हैं
जो वृन्दावन बिहारी शंकर सम्पूजित हैं
महासमुद्र चराचर आदिकारण देव संरक्षक हैं
उन परमानन्दकन्द गोविन्द का नित भजन करो
जो चिदानन्दस्वरूप जगतपालक सुखदायक हैं
धीर जन बुद्धि से जिनका ध्यान धरते हैं
योगिजन जिन्हें महावाक्यों से जानते हैं
अमृतपान कराने वाले गरुड़ वाहन वाले
जो मनोज्ञ ज्ञानस्वरूप मुनिजन आश्रय ध्रुवस्थान हैं
उन परमानन्दकन्द गोविन्द का नित भजन करो
जो चिदानन्दस्वरूप समरस जगत सुखदायक हैं
जो त्रिलोक विधाता विधिवाक्य परे हैं
जिनका फैला मायारूपी महाजाल है
जो तन मन धारक नूतन तनुधारी हैं
उन परमानन्दकन्द गोविन्द का नित भजन करो
जो चिदानन्दस्वरूप जगतपालक वरदायक हैं
जिनका चांद सा मुखड़ा सुंदर भाल है
जो निर्मल वनमाला धारण किए हैं
जो मलका अपहरणकर्ता गोपाल हैं
शिशुपालवधकारी कलातीत काल हैं
उन परमानन्दकन्द गोविन्द का नित भजन करो
जो चिदानन्दस्वरूप समरस जगतपालक हैं
... कविता रावत
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