हे सर्वलोकेश्वर सर्वलोकाधार श्रीविनायक
तुम निखिल सृष्टि कर्ता, संहारक
तुमको मेरा बार-बार नमस्कार है
हे प्रभो तुम्हीं भक्त पाश नष्ट कर्ता हो
तुम्हीं अपने भक्त पोषणकर्ता हो
तुम थोडी-सी भक्ति से सन्तुष्ट होने वाले
हे देव-शत्रु विनाशक
तुमको मेरा बार-बार नमस्कार है
तुम निराकार प्रकाशस्वरूप परात्पर
ब्रह्मस्वरूप क्षर-अक्षर अतीत सत्त्वगुणादि रहित
दीनजन अनुकम्पा करने वाले
हे भक्त वत्सल विनायक
तुमको मेरा बार-बार नमस्कार है
तुम सर्व गणपति परिवार विराजमान
सुन्दर केयूर हार सुशोभित हो
तुम योगिनीचक्र विचरण करने वाले
जगत भय त्रास मिटाने वाले
दुःख दरिद्रता नाश करने वाले हो
हे वक्रतुण्डावतार धारणकर्ताश्रीगणेशजी
तुमको मेरा बार-बार नमस्कार है
... कविता रावत
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