श्री कृष्ण जन्माष्टमी Shri Krishna Janmashtami 2023 - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 6 सितंबर 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी Shri Krishna Janmashtami 2023


मान्यता है कि त्रेता युग में  'मधु' नामक दैत्य ने यमुना के दक्षिण किनारे पर एक शहर ‘मधुपुरी‘ बसाया। यह मधुपुरी द्वापर युग में शूरसेन देश की राजधानी थी। जहाँ अन्धक, वृष्णि, यादव तथा भोज आदि सात वंशों ने राज्य किया। द्वापर युग में भोजवंशी उग्रसेन नामक राजा राज्य करता था, जिसका पुत्र कंस था।  कंस बड़ा क्रूर, दुष्ट, दुराचारी और प्रजापीड़क था। वह अपने पिता उग्रसेन को गद्दी से उतारकर स्वयं राजा बन बैठा। उसकी एक बहन थी, जिसका नाम देवकी था। वह अपनी बहन से बहुत प्यार करता था। जब उसका विवाह यादववंशी वसुदेव से हुआ तो वह बड़ी खुशी से उसे विदा करने निकला तो रास्ते में आकाशवाणी हुई  कि- "हे कंस! जिस बहन को तू इतने लाड़-प्यार से विदा कर रहा है, उसके गर्भ से उत्पन्न आठवें पुत्र द्वारा तेरा अंत होगा।" यह सुनकर उसने क्रोधित होकर देवकी को मारने के लिए तलवार निकाली, लेकिन वसुदेव के समझाने और देवकी की याचना पर उसने इस शर्त पर उन्हें हथकड़ी लगवाकर कारागार में डलवा दिया कि उनकी जो भी संतान होगी वह उसे सुपुर्द कर देंगे। एक के बाद एक सात संतानों को उसने जन्म लेते ही मौत के घाट उतार दिया। 
          आकाशवाणी के अनुसार जब आठवीं संतान होने का निकट समय आया तो उसने पहरा और कड़ा कर दिया। लेकिन ईश्वर की लीला कौन रोक पाता? वह समय भी आया जब भादों मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में घनघोर अंधकार और मूसलाधार वर्षा में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुस्कृताम' तथा 'धर्म संस्थापनार्थाय' अर्थात् दुराचरियों का विनाश कर साधुओं के परित्राण और धर्म की स्थापना हेतु भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए।    
कंस इस बात से अनभिज्ञ था कि ईश्वर जन्म नहीं वह तो अवतरित होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अवतरण के साथ ही अपनी लीलायें आरम्भ कर दी। अवतरित हुए तो जेल के पहरेदार गहरी नींद में सो गये। वसुदेव-देवकी की हथकडि़यां अपने आप खुल गई। आकाशवाणी हुई तो वसुदेव के माध्यम से सूपे में आराम से लेट गये और उन्हें उफनती यमुना नदी पार करवाकर नंदबाबा व यशोदा के धाम गोकुल पहुंचा दिया। जहाँ नंदनंदन और यशोदा के लाड़ले कन्हैया बनकर उनका जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। आज भी यह सम्पूर्ण भारत के साथ ही विभिन्न देशों में भी मनाया जाता है। मथुरा तथा वृन्दावन में यह सबसे बड़े त्यौहार के रूप में बड़े उत्साह के साथ 10-12 दिन तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में श्रीकृष्ण की अपूर्व झांकियां सजाई जाती हैं। यहाँ श्रद्धालु जन्माष्टमी के दिन मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में रखे सवा लाख के हीरे जडि़त झूले में भगवान श्रीकृष्ण को झूलता देख, खुशी से झूमते हुए धन्य हो उठते हैं।           
बहुमुखी व्यक्तित्व के स्वामी श्रीकृष्ण आत्म विजेता, भक्त वत्सल तो थे ही साथ ही महान राजनीतिज्ञ भी थे, जो कि महाभारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बिठाया। महाभारत के युद्धस्थल में मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए अपना विराट स्वरुप दिखाकर उनका मोह से मुक्त कर जन-जन को ‘कर्मण्येवाधिकारिस्ते मा फलेषु कदाचन‘ का गुरु मंत्र दिया। वे एक महान धर्म प्रवर्तक भी थे, जिन्होंने ज्ञान, कर्म और भक्ति का समन्व्य कर भागवत धर्म का प्रवर्तन किया। योगबल और सिद्धि से वे योगेश्वर (योग के ईश्वर) कहलाये। अर्थात योग के श्रेष्ठतम ज्ञाता, व्याख्याता, परिपालक और प्रेरक थे, जिनकी लोक कल्याणकारी लीलाओं से प्रभावित होकर वे आज न केवल भारत अपितु सम्पूर्ण विश्व में पूजे जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के सम्बन्ध में सूर्यकान्त बाली जी ने बहुत ही सुन्दर और सार्थक ढंग से लिखा है कि- “कृष्ण का भारतीय मानस पर प्रभाव अप्रतिम है, उनका प्रभामंडल विलक्षण है, उनकी स्वीकार्यता अद्भुत है, उनकी प्रेरणा प्रबल है, इसलिए साफ नजर आ रहे उनके निश्चित लक्ष्यविहीन कर्मों और निश्चित निष्कर्षविहीन विचारों में ऐसा क्या है, जिसने कृष्ण को कृष्ण बना दिया, विष्णु का पूर्णावतार मनवा दिया? कुछ तो है। वह ‘कुछ’ क्या है?  कृष्ण के जीवन की दो बातें हम अक्सर भुला देते हैं, जो उन्हें वास्तव में अवतारी सिध्द करती हैं। एक विशेषता है, उनके जीवन में कर्म की निरन्तरता। कृष्ण कभी निष्क्रिय नहीं रहे। वे हमेशा कुछ न कुछ करते रहे। उनकी निरन्तर कर्मशीलता के नमूने उनके जन्म और स्तनंध्य शैशव से ही मिलने शुरू हो जाते हैं। इसे प्रतीक मान लें (कभी-कभी कुछ प्रतीकों को स्वीकारने में कोई हर्ज नहीं होता) कि पैदा होते ही जब कृष्ण खुद कुछ करने में असमर्थ थे तो उन्होंने अपनी खातिर पिता वसुदेव को मथुरा से गोकुल तक की यात्र करवा डाली। दूध् पीना शुरू हुए तो पूतना के स्तनों को और उनके माधयम से उसके प्राणों को चूस डाला। घिसटना शुरू हुए तो छकड़ा पलट दिया और ऊखल को फंसाकर वृक्ष उखाड़ डाले। खेलना शुरू हुए तो बक, अघ और कालिय का दमन कर डाला। किशोर हुए तो गोपियों से दोस्ती कर ली। कंस को मार डाला। युवा होने पर देश में जहां भी महत्वपूर्ण घटा, वहां कृष्ण मौजूद नजर आए, कहीं भी चुप नहीं बैठे, वाणी और कर्म से सक्रिय और दो टूक भूमिका निभाई और जैसा ठीक समझा, घटनाचक्र को अपने हिसाब से मोड़ने की पुरजोर कोशिश की। कभी असफल हुए तो भी अगली सक्रियता से पीछे नहीं हटे। महाभारत संग्राम हुआ तो उस योध्दा के रथ की बागडोर संभाली, जो उस वक्त का सर्वश्रेष्ठ  धनुर्धारी था। विचारों का प्रतिपादन ठीक युध्द क्षेत्र में किया। यानी कृष्ण हमेशा सक्रिय रहे, प्रभावशाली रहे, छाए रहे।"

 सभी श्रद्धालु जनों को  भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
    …कविता रावत 
 




#जन्माष्टमी 
#janmashtami


36 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

सार्थकता लिये सशक्‍त आलेख ..... आपको भी श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की अनंत शुभकामनाएं

vijay ने कहा…

जन्माष्टमी को सार्थक करता आलेख
बहुत शानदार
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें..

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

बहुत सुन्‍दर चरित्र चित्रण श्री कृष्‍ण का।

Unknown ने कहा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लिखी इस सुन्दर प्रस्तुति को साभार http://ctvbhopal.blogspot.in/ पर प्रस्तुत कर रहा हूँ .. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभकामनायें!

PS ने कहा…

बहुत सुन्दर आलेख...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

Unknown ने कहा…

जय श्री कृष्ण!
अतीव सुन्दर!
जन्माष्टमी पर्व की शुभकामना!

Mohini ने कहा…

जय श्री कृष्ण कविताजी! कृष्ण की लीलाएँ पढ़के मन तृप्त नहीं होता..बार बार पढतें रहें ऐसा जीवन भगवान का है. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ. :)

Unknown ने कहा…

प्रभावपूर्ण आलेख ... जय मुरली मनोहर!
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

Rohitas Ghorela ने कहा…

कृष्ण जी की लीलाओं से अछूता नहीं है वर्तमान भी

शानदार लेखन :)

जन्माष्टमी की लख -लख वधाइयां

Vaanbhatt ने कहा…

शानदार प्रस्तुति...कृष्ण जन्म दिवस पर सभी कृष्णमय हो जायें...इस आशा के साथ...मंगलकामनायें...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सार्थक लेखन हमेशा की तरह
असीम शुभ कामनायें

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सारगर्भित प्रस्तुति....शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

सुन्दर और सार्थक लेख , शुभकामनायें

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति ।

SKT ने कहा…

बढ़िया रहा श्रीकृष्ण संक्षेप... आप को जन्माष्ठमी की शुभ कामनाएं!!

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सार्थकता लिये सशक्‍त आलेख .....जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

Unknown ने कहा…

सुन्दर, बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
शुभकामनायें

Jyoti khare ने कहा…

बहुत सुन्दर

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----
सादर --

कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं ....हैप्पी जन्माष्टमी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (19-08-2014) को "कृष्ण प्रतीक हैं...." (चर्चामंच - 1710) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

मन के - मनके ने कहा…

सुंदर व सारगर्भित प्रस्तुति.

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर ,जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
ईश्वर कौन हैं ? मोक्ष क्या है ? क्या पुनर्जन्म होता है ? (भाग २ )

Parmeshwari Choudhary ने कहा…

Pic of the kid very beautiful.Nice click

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

हार्दिक शुभ कामनाये । सुन्दर लेख हेतु आभार।

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर आलेख.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सुन्दर आलेख.

RAJ ने कहा…

कृष्ण की लीला अपरम्पार है ... बहुत सुन्दर संग्रहण योग्य आलेख है यह ........

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

श्रीकृष्ण को नमन !

virendra sharma ने कहा…

अति सुन्दर प्रस्तुति कृष्ण ही इस सृष्टि का कारण हैं वह उपादान और नैमित्तिक कारण एक साथ हैं मटीरियल काज़ भी हैं एफिशिएंट (या स्पिरिचुअल काज़ )भी हैं .वह परे से भी परे हैं परब्रह्म हैं ,कारणों के कारण हैं स्वयं जिनका कोई कारण नहीं हैं .वह सृष्टि भी हैं सृष्टा भी हैं और वह पदार्थ भी हैं जो सृष्टि के निर्माण में प्रयुक्त हुआ .सृष्टि उन्हीं से उद्भूत होती है उन्हें में लीं भी हो जाती है .ही इज़ ए कॉज़लेस मर्सी .

कृष्ण चेतना कृष्ण भावनामृत ही जीवन का सार और अंतिम हासिल है उनके कमल पादों (पाद कमलों में .लोटस फ़ीट में )में समर्पण ही वैकुण्ठ की सीट पक्की करता है जहां फिर परान्तकाल है अंतिम मृत्यु है जिसके बाद फिर और कोई मृत्यु नहीं है कृष्ण का सान्निध्य है बस .

Surya ने कहा…

हमेशा की तरह सार्थक लेखन
हार्दिक शुभ कामनायें

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut su ndar saarthak aalekh1 badhaaI1

संजय भास्‍कर ने कहा…

सशक्‍त आलेख संग्रहण योग्य आलेख है यह

Vinars Dawane ने कहा…

जय श्री कृष्णा .....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जय श्री कृष्णा ... उसकी माया है सभी उसकी कृपा सभी पे बनी रहे ...

Kamini Sinha ने कहा…

श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन चरित्र को दर्शाता अति सुन्दर आलेख।इस पुरानी पोस्ट को पढ़ कर अच्छा लगा 🙏

MANOJ KAYAL ने कहा…

सुंदर भावपूर्ण अद्भुत लेखन