अबकी बार राखी में जरुर घर आना - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

अबकी बार राखी में जरुर घर आना


राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना
बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना
मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

गाँव के खेत-खलियान तुम्हें हैं बुलाते
कभी खेले-कूदे अब क्यों हो भूले जाते
अपनी बारहखड़ी का स्कूल देखते जाना
बचपन के दिन की यादें साथ ले आना
भूले-बिसरे साथियों की सुध लेते जाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

गाँव-देश छोड़ अब तू परदेश बसा है
बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है
बूढ़ी दादी और माँ का  है एक सपना
नज़र भरके नाती-पोतों को है देखना
लाना संग हसरत उनकी पूरी करना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

खेती-पाती में अब मन कम लगता
गाँव में रह शहर का सपना दिखता
सूने घर, बंजर खेती आसूं बहा रहे
कब सुध लोगे देख बागवाँ बुला रहे
आकर अपनी आखों से  देख जाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

रह-रह कर आती गुजरे वर्षों की बातें
जब मीलों चल बातें करते न अघाते
वो सघन वन की पगडंडी सँकरी
सिर लादे घास-लकड़ी की भारी गठरी
आकर बिसरी यादें ताज़ी कर जाना 
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना


गाँव के बड़े-बुजुर्ग याद करते रहते हैं
अपने-पराये जब-तब पूछते रहते हैं
क्यों नाते रिश्तों को तुम भूल गए हो!
जाकर सबसे दूर अनजान बने हुए हो
आकर सबकी खबर सार लेते जाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

                   ......कविता रावत



56 टिप्‍पणियां:

राजभाषा हिंदी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति!
राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
........
bhaiya ko jana hoga

आशा जोगळेकर ने कहा…

राखी पर भैया से प्यारी मनुहार अच्छी लगी ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति के साथ.... सुंदर पोस्ट...

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने राखी जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है!

Awadhesh Pandey ने कहा…

ऐसे मनुहार पर कौन भाई ऐसा होगा जो बहन के यहा नही जायेगा।
अति सुन्दर अभिव्यक्ति। सादर शुभकामना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रिश्तों की प्रगाढ़ता को बताती सुन्दर अभिव्यक्ति

RAJ ने कहा…

गाँव-देश छोड़ अब तू परदेश बसा है
बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है
बूढ़ी दादी और माँ का है एक सपना
नज़र भरके नाती-पोतों को है देखना
लाना संग हसरत उनकी पूरी करना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
.....गाँव से आकर शहर में बस चुके अधिकांश लोगों की कमोवेश यही स्थिति है के वे शहर में इतने रम चुके होते हैं कि उन्हें अपने गाँव में रह रहे माँ-बाप, भाई-बहन, नाते-रिश्तेदारों की शहर की भौतिकवादी संस्कृति के चलते सुध लेने तक की फुर्सत नहीं रहती, उनके दुर्लभ दर्शन कभी ४-६ वर्ष बाद बहुत कहने-सुनने या कोई प्रिय-अप्रिय घटना घटने की बाद ही बमुश्किल हो पाते हैं.
ऐसे ही न जाने कितनी ही बहिनों की वेदना का आपने मनोहारी, दिल को छू जाने वाली कविता के माध्यम से जीवंत कर दिया, जिसे पढ़कर पाषण ह्रदय वाला प्राणी भी फिघलने लगेगा और मैं समझता हूँ कि कम से कम वे इस सन्देश को आत्मसात कर सकेंगें और एक बार खोज खबर लेने की स्थिति में आ पायेगें.
भाई बहन के अटूट बंधन का सन्देश देती सचित्र कविता प्रेषण के लिए कोटिश: धन्यवाद, आभार

Asha Lata Saxena ने कहा…

कविता बहुत अच्छी लगी |बधाई
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |मैने जो भी लिखा था बह केवल मेरी कल्पना मात्र थी|आप बहुत सम्वेदनशील हैं |आपसे मिलना बहुत अच्छा लगा |सच में आप बहुत अपनी लगीं |
आशा

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

इन्तज़ार में डूबी सुन्दर कविता.

राजेश उत्‍साही ने कहा…

कविता और फोटो का संयोजन सुंदर है।

मनोज कुमार ने कहा…

सुन्दर रचना.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sach me kavita me jaan daal di aapne.....bahut khubsurat rachna.........:)
upar se utna hi pyara photos......

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बेहतरीन भावपूर्ण रचना कविता जी !

दीपक 'मशाल' ने कहा…

हर भाई-बहिन को समर्पित ये कविता बहुत बहुत बहुत पसंद आई... घर की याद दिला दी आपने कविता जी..

रचना दीक्षित ने कहा…

न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना
बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना
मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
सुन्दर अभिव्यक्ति। बहुत कुछ कह गई आपकी ये कविता बीते दिन बीती बातें फिर हलचल पैदा कर गईं

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

कविता जी..ऐसी कविता पर तो आप टिप्पणी की उम्मीद मत करें..ख़ास तौर पर मुझसे. मैं ख़ुद अपनी बहन से दूर हूँ और कई साल से डाक से मिलने वाली राखी ही बाँधता आया हूँ... आपने और नॉस्टैल्जिक कर दिया!!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

बचपन से लेकर बड़े होने तक चाहे बहन कितनी भी बढ़ी हो जाये अपने भाई को इस त्यौहार पर अपने संग बीते पल सब याद कर लेती है ऐसे मौकों पर. बहुत अच्छी रचना.

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बेहतरीन। लाजवाब।

*** हिन्दी प्रेम एवं अनुराग की भाषा है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गाँव-देश छोड़ अब तू परदेश बसा है
बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है
बूढ़ी दादी और माँ का है एक सपना
नज़र भरके नाती-पोतों को है देखना
लाना संग हसरत उनकी पूरी करना
बहुत बार मजबूर हो जाते हैं भाई .... राखी के अलावा भी बहुत से रिश्ते नाते .... दुनिया डारी, ज़िम्मेवारी जो निभानी होती है ...
मार्मिक रचना ... भावुक कर गयी रचना ...

कुमार राधारमण ने कहा…

भाई-बहन के पवित्र संबंधों के बीच बेरोजगारी के संकट,प्रवास की विवशता और अपनी जड़ों के प्रति भावनात्मक लगाव का अंतर्द्वंद इस कविता में है। बचपन के वे दिन कोई नहीं भूल पाता।

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Ghar se main bhi, door bahut hun..
Yaad aa gaya apna ghar..
Aankhen sajal hui hain meri..
Aah hai aayi hothon par..

Kitne hi tyohaar hain aaye..
Jab na hum hain ghar ja paye..
Bhai dooj aur har Rakhi main..
Bahan bahut hi yaad hai aaye..

Aankhon main aansu aa chhalken..
Dil ke bhav hain dil main machlen..
Bachpan ki wo saari baatain..
Yaad hame aayen wo yaaden..

Kavita ji ki Kavita ke sang..
Hamen yaad sab aaye hain..
Tan se jinse door hue hain..
Yaadon main sang aaye hain..

Sundar kavita..

Eshwar kare har Rakhi aapke bhai avashya aayen..

Deepak..

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Ghar se main bhi, door bahut hun..
Yaad aa gaya apna ghar..
Aankhen sajal hui hain meri..
Aah hai aayi hothon par..

Kitne hi tyohaar hain aaye..
Jab na hum hain ghar ja paye..
Bhai dooj aur har Rakhi main..
Bahan bahut hi yaad hai aaye..

Aankhon main aansu aa chhalken..
Dil ke bhav hain dil main machlen..
Bachpan ki wo saari baatain..
Yaad hame aayen wo yaaden..

Kavita ji ki Kavita ke sang..
Hamen yaad sab aaye hain..
Tan se jinse door hue hain..
Yaadon main sang aaye hain..

Sundar kavita..

Eshwar kare har Rakhi aapke bhai avashya aayen..

Deepak..

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना
बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना

सही कहा ......
एक बहन भाई के स्नेह की ही भूखी होती है न की पैसे की ......

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ......!!

rashmi ravija ने कहा…

बस मन भर आया पढ़कर...इतने सरल शब्दों में एक बहन की पुकार कह डाली...कि हर भाई सुनने को मजबूर हो जाए

Rohit Singh ने कहा…

बहुत ही खबूसूरत रचना लिखी है आपने। मन का हर दर्द समेटा है। सही है उम्र चाहे जितनी हो दूरी चाहे असीम हो....प्यार अमर रहता है।

बेनामी ने कहा…

न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना
बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना

भाई बहिन के प्यार और स्नेह के बीच धन दौलत तो आना ही नहीं चाहिए. सच्चे भावों को परोसती समसामयिक रचना

Akanksha Yadav ने कहा…

राखी पर सुन्दर पोस्ट..मन को छू गई .बधाई.

बेनामी ने कहा…

bahut khub...
lekin dukh ki baat ki ..... hamesha ki tarah is raakhi me bhi koi behan mera intzaar nahi kar rahi hogi...

प्रदीप कांत ने कहा…

रह-रह कर आती गुजरे वर्षों की बातें
जब मीलों चल बातें करते न अघाते
वो सघन वन की पगडंडी सँकरी
सिर लादे घास-लकड़ी की भारी गठरी
आकर बिसरी यादें ताज़ी कर जाना

Achchhi kavita ke sath achchhe photo bhi

Urmi ने कहा…

रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

अरुणेश मिश्र ने कहा…

भावपूर्ण रचना ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, आप को राखी की बधाई और शुभ कामनाएं.धन्यवाद

shailendra ने कहा…

रिश्तों की प्रगाढ़ता को बताती सुन्दर अभिव्यक्ति
राखी की बधाई और शुभ कामनाएं.धन्यवाद

vijay kumar sappatti ने कहा…

AAPKI PRASTUTI AUR SHABDO NE PATA NAHI KAISA ASAR DAALA, MAIN KUCH BHI KAH NAHI PAA RAHA HOON .. MERA SALAAM KABUL KARE..

VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html

शोभना चौरे ने कहा…

itna pyara nimntran pakar bhai jarur aavega .
shubhkamnaye

मनोज भारती ने कहा…

राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

सुंदर...प्यारी...भावुक कर देने वाली विचारशील रचना । उम्दा !!!

बेनामी ने कहा…

bhai or behen ke rishte ki anoothi rachna.. badhaai....

Meri nayi kavita : Tera saath hi bada pyara hai..(तेरा साथ ही बड़ा प्यारा है ..)

Banned Area News : Ameesha Patel Collapses On Set, Gets Hospitalized

संजय भास्‍कर ने कहा…

भाई बहन के अटूट बंधन का सन्देश देती सचित्र कविता

Smart Indian ने कहा…

मनभावन कविता!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्यारी रचना....
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
:-)

रुनझुन ने कहा…

बहुत ही प्यारी रचना... बिलकुल मन को छू गयी...
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत प्यारी कोमल भावों से सुसज्जित रचना बहुत पसंद आई

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 10/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

बेनामी ने कहा…

Very good info. Lucky me I found your site by accident (stumbleupon).

I have saved as a favorite for later!

Also visit my website ... pop over here

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २१५० वीं बुलेटिन अपने ही अलग अंदाज़ में ... तो पढ़ना न भूलें ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, शुक्रिया आपका जो हमसे मिले - 2150 वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहन के प्रेम, मनुहार और इस दिल से निकले आग्रह को कोई भी भाई कैसे ठुकरा सकता है ...
बहन भाई के इस पवित्र बंधन से बड़ा कोई बंधन नहीं होता ...
बहुत ही दिल को छूती हुई रचना है ...

Hindikunj ने कहा…

बहुत अच्छी कविता व चित्र भी !
हिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका

Book River Press ने कहा…

Such a great line we are Online publisher India invite all author to publish book with us

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

मन को छू गई यह भावमयीी रचना.

Onkar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

मन की वीणा ने कहा…

मर्मस्पर्शी बहुत गहरे तक उतरता बहन का इंतजार

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/84.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!