उन परमानन्दमय गोविन्द की वन्दना करो
जो सत्य ज्ञानस्वरूप अनन्त नित्य हैं
गगन भिन्न परम गगन स्वरूप हैं
व्रज प्रांगण चलते चपल हो रहे हैं
निराकार मायानिर्मित नाना स्वरूप धारण किये हैं
विश्वरूप प्रकट पृथ्वीनाथ हैं
जो त्रिभुवन नगरआधारस्तम्भ हैं
आलोक परे विश्व आलोकमान हैं
जो दैत्यवीर नाशक पृथ्वी भार हर्ता हैं
जग मोक्ष दाता निराहार नवनीत भोजी विश्वभक्षी हैं
जो अद्वितीय शान्त कल्याणस्वरूप हैं
उन परमानन्दमय गोविन्द को प्रणाम करो
जो गौ पालक जग लीला गोपाल तन धारण किए हैं
जो यादव वंशी ग्वाला हैं
गोपियों संग क्रीड़ा कर गोवर्धनधारण किए हैं
गौओं ने स्पष्टरूप जिन्हें गोविन्द नाम रखा है
जिनके अनेक नाम गोप गोचर परे रहने वाले हैं
जो सम्पूर्ण शुभ गुण सागर परमानन्दमय गोविन्द हैं
उन परमानन्दरूप गोविन्द को प्रणाम करो
जो गोपीजन गोष्ठी भीतर प्रवेश करनेbवाले हैं
भेदावस्था रहकर भी अभिन्न भासित होते हैं
जिन्हें नित गौ खुर धूलि धूसरित का सौभाग्य प्राप्त है
जो श्रद्धा भक्ति रखने से आनन्दित होते हैं
अचिन्त्य हो जिनके सद्भाव का चिन्तन किया है
उन चिन्तामणि सम परमानन्दमय गोविन्द की वन्दना करो
जो शोक-मोह मिटाने वाले ज्ञानस्वरूप बुद्धि परवर्ती हैं
कमनीय कारण आदिकारण अनादि आभासरहित हैं
कालस्वरूप हो कालियनाग के मर्दनकारी हैं
जो कालरूप काल कलातीत सर्वज्ञ हैं
जो त्रिकालगति कारण कलियुगी दोषनाशक हैं
उन परमानन्दस्वरू गोविन्द को प्रणाम करो
... Kavita Rawat
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