हो तेरे द्वार खड़े गणराज हो दे दे अब तो दर्शन आज - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 26 अगस्त 2025

हो तेरे द्वार खड़े गणराज हो दे दे अब तो दर्शन आज


हो तेरे द्वार खड़े गणराज
हो दे दे अब तो दर्शन आज
हो तेरी मूरत को ही निहारी जाऊं मैं
हो तेरी भोली सूरत पे वारी जाऊं मैं।।

गजानन नैना तेरे निराले हैं प्रभु
सारे जगत में यही सबसे प्यारी हैं प्रभु।
सूरज चंदा अग्नि समान चमके
सारे जग में भरते प्रकाश हैं प्रभु।
ओ सभी भक्तों को यही तो भाएं है
प्रभु ओ~जग की रखती खबर
ओ प्रभु तोहरी नजर।
हो तेरे नैनों को ही निहारी जाऊं मैं
हो तेरी भोली सूरत पे वारी जाऊं मैं

गजानन शुण्डा तेरी जब घूमे रे प्रभु
कोई दानव दैत्य बच पाए ना प्रभु।
ओ सभी भक्तों को यही तो भाएं है
प्रभु~ओ~हो लहराती है यह तो अपार
ओ बलखाती है यह तो अपार।
हो तेरी शुण्डा को ही निहारी जाऊं मैं
हो तेरी भोली सूरत पे वारी जाऊं मैं।।

गजानन उदर तो तेरा विशाल है प्रभु
सारा जग इसमें ही समता है प्रभु।
ओ सभी भक्तों को यही तो भाएं है
प्रभु~ओ~ओ दे ब्रह्मा को जगत का ज्ञान
समाये है अनंत ब्रह्मांड।
हो तेरे उदर को ही निहारी जाऊं मैं
हो तेरी भोली सूरत पे वारी जाऊं मैं

गजानन दन्त तो तेरे सुंदर से प्रभु
कोटि चंद्र से भी उज्जवल है प्रभु।
ओ सभी भक्तों को यही तो भाएं है
प्रभु~ओ~असुरों का करते संघार
पर महाकाव्य भी लिखे अपार।
हो तेरे दन्त को ही निहारी जाऊं मैं
हो तेरी भोली सूरत पे वारी जाऊं मैं।।

गजानन शीश तो तेरा हाथी का प्रभु
ज्ञान सबका जिसमें समता है प्रभु।
ओ सभी भक्तों को यही तो भाएं है
प्रभु~ओ~जगह तो है प्रभु नाशवान
पर तू है सबका भगवान।
तेरा शीश यही तो दर्शाता है प्रभु
तेरे चरणों में भगत शीश झुकाते हैं प्रभु।।
हो तेरी मूरत को ही निहारी जाऊं मैं
हो तेरी भोली सूरत पे वारी जाऊं मैं।।

.... कविता रावत/अर्जित रावत 


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