हरियाली तीज और पौधरोपण | वृक्षारोपण। Hariyali Teej | हरेला पर्व - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 7 अगस्त 2024

हरियाली तीज और पौधरोपण | वृक्षारोपण। Hariyali Teej | हरेला पर्व

आज सुबह-सुबह दरवाजे के घंटी बजी तो देखा कि हमारे पड़ोस की बिल्डिंग में रहने वाली एक महिला खड़ी थी। उसे देखकर मैंने उसे बैठने को कहा तो वे कहने लगी कि वह नहा-धोकर सीधे हमारे घर आयी है, फुर्सत में कभी बैठेगी, अभी उसे पूजा करनी है और हरियाली अमावस्या होने के कारण उसे घर में लगाने लिए एक तुलसी का पौधा चाहिए, जो वह मांगने आयी है। उसकी बातें सुनकर मुझे आश्चर्य के साथ में खुशी हुई कि चलिए इसी बहाने वह कम से कम पर्यावरण के प्रति जागरूक हुई हैं। क्योँकि मैंने उन्हें कभी कोई पेड़-पौधा लगाते कभी नहीं देखा, उसे तो हमेशा मैं हमारे लगाए पेड़-पौधों में लगे फूल-पत्ती तोड़ते जरूर देखते आयी हूँ।  बावजूद इसके वह हमेशा हर किसी से हमारे हरे-भरे बगीचे की लोगों से बुराई करती कि हमने जंगल बना के रखा है, जिससे उन्हें सांप-बिच्छू के साथ ही मच्छरों का डराते रहते है, जिससे उन्हें बड़ी शिकायत है।  इस बारे में मैंने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्हें डरने की जरुरत है, क्योंकि वे बिना उन्हें छेड़े कुछ नहीं करते, उल्टा वे तो हम इंसानों से ज्यादा डरते और बचते फिरते रहते हैं। वे तो हमारे पर्यावरण संरक्षण के लिए जरुरी भी हैं, लेकिन वह कई लोगों की तरह ही मेरी बात समझ ही नहीं पाई। खैर मैंने उसे अपने बगीचे से एक तुलसी का पौधा तो दिया ही साथ में एक आवंला का पौधा भी यह कहकर दिया कि उसे भी वे किसी अच्छी जगह देखकर जरूर लगाना। वे ख़ुश होकर पौधे लेकर गई तो मेरे मन को सुकून मिला कि हरियाली अमावस्या के दिन पौधे दान का यह काम बहुत अच्छा रहा। 

पड़ोसन की जाने के बाद मैंने भी जल्दी से स्नान किया और एक्टिवा में तुलसी, आँवला और एक नींबू का पौधा लेकर भगवान शिव की पूजा के लिए जलेश्वर मंदिर पहुंची। जहाँ पहले भगवान् शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से श्रृंगार किया।  शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करते हुए बेलपत्र,धतूरा, सफ़ेद फूल और फल अर्पित किये। पूजा के बाद वहीँ मंदिर के पिछले भाग में तीनों पौधों को लगाया, क्योँकि वहां मैंने अपनी पति के साथ मंदिर के चारों ओर खाली बंजर पड़ी जमीन पर बगीचा बनाया है, जहाँ सैकड़ों पेड़ लगाकर हम उनकी देखरेख करते हैं।  इन पेड़-पौधों को पलते-बढ़ते देख मन को बड़ा सुकून मिलता है। 

मान्यता है कि हरियाली अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन उनका तर्पण और पिंडदान करने से उनका आशीष मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।  हरियाली अमावस्या के दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन किसान अपने कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं तो लोग पीपल, बरगद, केला, नीबूं, तुलसी,आंवला आदि पेड़-पौधे लगाकर इसके धार्मिक महत्व को बल देते हैं।    

हरियाली अमावस्या के बारे में आपका क्या कहना है जरूर बताएं।    

 इस वीडियो में देखिए मेरे पति कैसे एक गुड़हल के उखड़े पेड़ को लगा रहे हैं ...