हृदय प्रदेश की धड़कन में, बसी है हर प्रीत।
माटी बोले, पग धरे बोले, नर्मदा की धार,
भीमबेटका की गुफा बोले, चित्रों का संसार।
खजुराहो की कला बोले, साँची की कहानी
हृदय प्रदेश है अपना, भारत देश की रानी
महाकाल की नगरी बोले, काल के पार चलो,
ग्वालियर का किला कहे, शौर्य की बात सुनो।
धान, गेहूं, चना , सोया बोले, खेतों की मुस्कान,
साल, सागौन, तेंदू, बाँस बोले, वन की है पहचान।
राई नाचे, भगोरिया गाए, आदिवासी रंग,
हर उत्सव में गूँजे यहाँ, संस्कृति के संग।
भोपाल की झीलें बोले, इंदौर का बोले स्वाद,
हर रंग, हर बोली में, दिखता अद्भुत संवाद।
मध्यप्रदेश की माटी बोले, सुनो प्रेम के गीत,
हृदय प्रदेश की धड़कन में, बसी है हर प्रीत।
...कविता रावत

3 टिप्पणियां:
वाह ... MP में इतना कुछ है ... क्या बात ...
जी शुक्रिया, बहुत कुछ है. यह तो एक झलक भर है,,,,
आपकी कविता मध्यप्रदेश की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य को खूबसूरती से अभिव्यक्त करती है। इसमें प्रदेश की आत्मा, उसकी मिट्टी, लोकजीवन और विविधता का जीवंत चित्र उभरता है। हर पंक्ति इस भूमि की जीवंतता, प्रेम और एकता की भावना को उजागर करती है।
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