धरती आबा बिरसा: जन-जन का अमर सेनानी - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, geet, bhajan, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

धरती आबा बिरसा: जन-जन का अमर सेनानी



धरती आबा! जय हो बिरसा!
जन-जन के मन में तू ही बसा!
जय बिरसा! जय बिरसा!
तेरा नाम अमर रहेगा!
धरती पर उपकार सदा रहेगा!

खूंटी की माटी ने पाला 
संघर्षों में जीवन डाला।
खूंटी की घाटी, बचपन बीता,
ज्ञान-संस्कार का दीप जला।
धरती आबा! जय हो बिरसा!
जन-जन के मन में तू ही बसा!

​शोषण देखा, पीड़ा पाई,
क्रांति की राह उन्होंने अपनाई।
लगान की मार, वन की लूट,
अंग्रेजी शासन बना था शूल।
​तब उठी प्रतिशोध की ज्वाला,
बिरसा ने लिया संकल्प निराला।
"धरती आबा" बनकर बोले,
जन-जन को नव विश्वास खोले।,,

​एक ईश्वर की पूजा सिखाई,
अंधविश्वास की जड़ मिटाई।
सत्य, शुद्धि, अहिंसा का पाठ,
संगठन बना, बढ़ाया साथ।
​मुंडा-राज का सपना देखा,
गुलामी को खुला ललकारा।,
तीर-कमान, फरसे-ढाल,
वीर उतरे रण में तत्काल।

धरती आबा! जय हो बिरसा!
जन-जन के मन में तू ही बसा!

​चाईबासा, रांची, खूंटी,
गूंज उठी विद्रोह की गूँजी।
डोम्बारी पर रण हुआ भारी,
रक्त बहा, पर न हारी बारी।
​बंदी बने, जेल में डाले,
क्रांति की मशाल न बुझने वाले।
9 जून को प्राण त्यागे,
पर जन-जन के दिल में जागे।

​शहीद हुए, अमर बन गए,
भगवान बन जनमन में छाए।
आज भी उनकी गूंज सुनाई,
आदिवासी को राह दिखाई।
​पहला सेनानी, गौरव गाथा,
जय बिरसा! तेरा है साथा।

धरती आबा! जय हो बिरसा!
जन-जन के मन में तू ही बसा!
जय बिरसा! जय बिरसा! 
तेरा नाम अमर रहेगा!
धरती पर उपकार सदा रहेगा
... कविता रावत 


1 टिप्पणी:

Anita ने कहा…

जन जन के नायक बिरसा के जीवन और आदर्शों के बारे में सुंदर कृति!!