भाई बहन का स्‍नेहिल बंधन है रक्षाबंधन - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 17 अगस्त 2024

भाई बहन का स्‍नेहिल बंधन है रक्षाबंधन


हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग प्रकार के धर्म, जाति,  रीति,  पद्धति,  बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों के अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार हैं,  जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौहार, पर्वादि हमारी भारतीय संस्कृति की अनेकता में एकता की अनूठी पहचान कराते हैं। रथ यात्राएं हो या ताजिए या फिर किसी महापुरुष की जयंती, मन्दिर-दर्शन हो या कुंभ-अर्द्धकुम्भ या स्थानीय मेला या फिर कोई तीज-त्यौहार जैसे- रक्षाबंधन, होली, दीवाली, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, शिवरात्रि, क्रिसमस या फिर ईद सर्वसाधारण अपनी जिन्दगी की भागदौड़, दुःख-दर्द, भूख-प्यास सबकुछ भूल कर मिलजुल के उल्लास, उमंग-तरंग में डूबकर तरोताजा हो उठता है।
          इन सभी पर्व, उत्सव, तीज-त्यौहार, या फिर मेले आदि को जब जनसाधारण जाति-धर्म, सम्प्रदाय से ऊपर उठकर मिलजुलकर बड़े धूमधाम से मनाता है तो उनके लिए हर दिन उत्सव का दिन बन जाता है। इन्हीं पर्वोत्सवों की सुदीर्घ परम्परा को देख हमारी भारतीय संस्कृति पर "आठ वार और नौ त्यौहार" वाली उक्ति चरितार्थ होती है।
          परिवर्तन समाज की अनिवार्य प्रक्रिया है, युग का धर्म है। परिवर्तन हमारी संस्कृति की जीवंतता का प्रतीक है।  इसने न अतीत की विशेषताओं से मुंह मोड़ा ना ही आधुनिकता की उपयोगिता को अस्वीकारा, तभी तो महाकवि इकबाल कहते हैं-
"यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ।।
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ।।"
रक्षाबंधन पर्व बहन द्वारा भाई की कलाई में राखी बांधने का त्यौहार भर नहीं है, यह एक कोख से उत्पन्न होने के वाले भाई की मंगलकामना करते हुए बहिन द्वारा रक्षा सूत्र बांधकर उसके सतत् स्नेह और प्यार की निर्बाध आकांक्षा भी है। युगों-युगों से चली आ रही परम्परानुसार जब बहिन विवाहित होकर अपना अलग घर-संसार बसाती है और पति, बच्चों, पारिवारिक दायित्वों और दुनियादारी में उलझ जाती है तो वह मातृकुल के एक ही मां के उत्पन्न भाई और सहोदर से मिलने का अवसर नहीं निकाल पाती है, जिससे विवशताओं के चलते उसका अंतर्मन कुंठित हो उठता है। ऐसे में ‘रक्षाबंधन‘ और भाई दूज, ये दो पर्व भाई-बहिन के मिलन के दो पावन प्रसंग हैं। इस पावन प्रसंग पर कई  बहिन बर्षों से सुदूर प्रदेश में बसे भाई से बार-बार मनुहार करती है-
"राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना 
अबकी बार राखी में जरुर घर आना 
न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना 
बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना 
मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना 
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना "
गाँव-देश छोड़ अब तू परदेश बसा है
बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है 
बूढ़ी दादी और माँ का है एक सपना
 नज़र भरके नाती-पोतों को है देखना
 लाना संग हसरत उनकी पूरी करना 
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना 
अबकी बार राखी में जरुर घर आना


          भागदौड़ भरी जिन्दगी के बीच आज भी राखी का त्यौहार बड़े उत्साह और उमंग से मनाया जाना हमारी भारतीय संस्कृति की जीवंतता का परिचायक है।  इस अद्भुत्, अमूल्य, अनंत प्यार के पर्व का हर बहिन महीनों पहले से प्रतीक्षा करती है। पर्व समीप आते ही बाजार में घूम-घूम कर मनचाही राखी खरीदती है। वस्त्र, आभूषणों आदि की खरीदारी करती है। बच्चों को उनके मामा-मिलन के लिए आत्मीय भाव से मन में उत्सुकता जगाती है। घर-आंगन की साफ-सफाई करती है। स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर और नये कपड़ों में सज-धज परिवार में असीम आनंद का स्रोत बहाती है। यह हमारी भारतीय संस्कृति की विलक्षणता है कि यहाँ देव-दर्शन पर भेंट चढ़ाने की प्रथा कायम है, अर्पण को श्रृद्धा का प्रतीक मानती है। अर्पण फूल-पत्तियों का हो या राशि का कोई फर्क नहीं। राखी के अवसर पर एक ओर भाई देवी रूपी बहिन के घर जाकर मिष्ठान, फूल, नारियल आदि के साथ "पत्रं-पुष्पं-फलं सोयम" की भावना से यथा सामर्थ्य दक्षिणा देकर खुश होता है तो दूसरी ओर एक-दूसरे की आप-बीती सुनकर उसके परस्पर समाधान के लिए कृत संकल्पित होते हैं।  इस तरह यह एक तरफ परस्पर दुःख, तकलीफ समझने का प्रयत्न है, तो दूसरी ओर सुख, समृद्धि में भागीदारी बढ़ाने का सुअवसर भी है।  

           ......कविता रावत






Rakshabandhan Tagline
  • Happy Rakshabandhan! ...
  • No love is bigger than the love of siblings. ...
  • Rakshabandhan mirrors the love of siblings.
  • Happy Rakshabandhan to all brothers and sisters.
  • A brother is a friend god gave you; a friend is a brother your heart chooses for you.
  • Sky is blue, feel is hue, my love for you bhaiya is always true
  •  
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47 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

लाना संग हसरत उनकी पूरी करना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. भाई बहन के प्रेम का अनुपम रूप लिए संदर भाव .

5th pillar corruption killer ने कहा…

bahut sundar rachna hai aapki , jise ham apne blog main share kar rahe hain saabhaar , kripya aagyaa prdaan karen !!
  " इन्टरनेट सोशियल मीडिया ब्लॉग प्रेस "
" फिफ्थ पिल्लर - कारप्शन किल्लर "
की तरफ से आप सब पाठक मित्रों को आज के दिन की
हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!नए बने मित्रों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन स्वीकार करें !
जिन मित्रों का आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ !!
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आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
सधन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
" आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!
BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति.पर्व और त्यौहार भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं.
नई पोस्ट : आमि अपराजिता.....

RAJ ने कहा…

रक्षाबंधन‘ और भाई दूज, ये दो पर्व भाई-बहिन के मिलन के दो पावन प्रसंग हैं...........बिलकुल सही कहा है आपने हमारी भारतीय संस्कृति की यही विशेषता हमें अन्य संस्कृतियों से अलग करती है .....तभी तो इसने न अतीत की विशेषताओं से मुंह मोड़ा ना ही आधुनिकता की उपयोगिता को अस्वीकारा, तभी तो महाकवि इकबाल कहते हैं-
"यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ।।
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ।।"
..................बहुत सुंदर ...........

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट ..... सबसे प्यारा है ये पावन रिश्ता

सदा ने कहा…

अबकी बार राखी में जरुर घर आना
..... ये पंक्तियाँ भावविभ्‍ााेर कर जाती है
बेहतरीन प्रस्‍तुति

Rohitas Ghorela ने कहा…

गजब का लेखन

भाई बहन का प्यार एक दिन का मोहताज़ नहीं
जब चाहो रक्षा बंधन मना लेना चाहिए। :)

RAJ ने कहा…

येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
बहुत सुन्दर प्रशंसनीय सामयिक पोस्ट

vijay ने कहा…

पूरे भारतवर्ष में राखी का यह पुनीत पर्व देखने लायक होता है और हो भी क्यों नहीं, यही तो एक ऐसा विशेष दिन है जो भाई-बहनों के लिए बना है।
और जैसा की आपने सुन्दर ढंग से कहा रक्षाबंधन‘ और भाई दूज, ये दो पर्व भाई-बहिन के मिलन के दो पावन प्रसंग हैं। इस पावन प्रसंग पर कई बहिन बर्षों से सुदूर प्रदेश में बसे भाई से बार-बार मनुहार करती है- "राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना
बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना
मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना "

Rohit Singh ने कहा…

त्यौहार तो अपनी जगह बरकरारा है...बस कई जगह ये प्यार कम होता जा रहा है...जब से भौतिक सुखों की प्रधानता बढ़ने लगी है सहोदर भी दुश्मन होने लगे हैं...प्रार्थना यही है अपने देश में इस त्यौहार की महत्ता बनी रहे

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


कल 08/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

Arogya Bharti ने कहा…

बहुत-बहुत सुन्दर पर्व विशेष प्रस्तुतीकरण है ..

Unknown ने कहा…

गाँव-देश छोड़ अब तू परदेश बसा है
बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है
बूढ़ी दादी और माँ का है एक सपना
नज़र भरके नाती-पोतों को है देखना
लाना संग हसरत उनकी पूरी करना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

---------------
गाँव छोड़ दूर परदेश में जा बसे घर परिवार की सुध न लेने वाले भाईयों के लिए मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ ....

बहुत सुन्दर

मनोज कुमार ने कहा…

हैप्पी राखी बहन!

Vaanbhatt ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति...

Shalini kaushik ने कहा…

jitni sundar ran-birangi hamari sanskriti hai bilkul vaise hi aapki ye post hai .happy raksha bandhan kavita ji .

Anita kumar ने कहा…

Kavita aap mere blog par aayin mujhe achchaa lagaa shayad mera sandesh aap tak pahunch gayaa hai....kya aap ka email id mil saktaa hai?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रक्षाबन्धन पर हर बहन की यही कामना होती है कि वो अपने हाथों से भाई की कलाई पर राखी बाँधे।

Meena Pathak ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएँ

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
शुभकामनाएं...

Himkar Shyam ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति...रक्षा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ

Surya ने कहा…

भारतीय संस्कृति में पर्व महत्व की सार्थकता का सुन्दर वर्णन ..राखी पर अनंत शुभकामनायें!

Jyoti khare ने कहा…

आज जब रिश्तों की परिभाषा बदलने लगी है, आत्मिक संबंधों पर
उंगलियां उठने लगी हैं,ऐसे विषम समय में भाई बहन का रिश्ता जीवित है ----
रक्षाबंधन के सार्थक महत्व को व्यक्त करती
उत्कृष्ट प्रस्तुति ----
शुभकामनाऐं
सादर --

आग्रह है ---
आवाजें सुनना पड़ेंगी -----

ऋचा ने कहा…

अति सुंदर। भावपूर्ण। बधाई।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये मात्र क्ष का बंधन नहीं है बल्कि एक भावनात्मक, आपसी रिश्ता है जिसे समझना भारतीय परंपरा को समझने वाले को ही जान सकते हैं ...
बहुत ही विस्तृत और रोचक तरीके से आपने इस त्यौहार से जुड़े पहलुओं को रक्खा है ... आपको बधाई रक्षाबंधन की और इस आलेख की ...

Unknown ने कहा…

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कविता रावत ने कहा…

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रक्षाबंधन पर्व की बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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बहुत सुंदर आलेख।

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति...

Swarajya karun ने कहा…

रक्षाबंधन पर बेहतरीन आलेख। राखी पर्वकी हार्दिक शुभकामनाएं

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