मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी जन्मदिवस पर एक परिचय - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 24 दिसंबर 2014

मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी जन्मदिवस पर एक परिचय

हमारे हिन्दू धर्म में जिस तरह होली, दीवाली, दशहरा आदि त्यौहार धूमधाम से मनाये जाते हैं, उसी तरह दुनिया भर के ईसाई धर्म को मानने वाले ईसा मसीह के जन्मदिवस 25 दिसम्बर को क्रिसमस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन को बड़ा दिन भी कहते हैं। इस दिन सभी ईसाई लोग अपने घरों में क्रिममस का वृक्ष सजाते हैं। मान्यता है कि ईसा के जन्म पर देवताओं ने एक सदाबहार वृक्ष को सितारों से सजाकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके माता-पिता को बधाई दी। 25 दिसम्बर का दिन भारतीय जनमानस के लिए भी विशेष है। इसी दिन हमारे बीच दो महान विभूतियों ने जन्म लिया। एक महामना मदन मोहन मालवीय तो दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ।
          महामना मदन मोहन मालवीय जी को एक समाज सुधारक, पत्रकारिता, वकालत, मातृ भाषा तथा भारत माता की सेवा में जीवन अर्पण करने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता और इस युग के पहले और अंतिम ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जिन्हें महामना के सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। सत्यमेव जयते के नारे को बुलन्द करने वाले मालवीय जी को विभिन्न मत-मतांतरों के लोगों के बीच आपसी सांमजस्य बिठाने की अद्वितीय महारत हासिल थी। वे एक सच्चे देशभक्त के रूप याद किए जाते हैं। भारत निर्माण में उनका योगदान अमूल्य है। इसीलिए एनीबेसेंट ने उनके बारे मेें कहा कि “मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि विभिन्न मतों के बीच, मालवीय जी भारतीय एकता की मूर्ति बने खड़े हुए हैं।" आजीवन देशसेवा करते हुए वे 12 नवम्बर 1946 को स्वर्ग सिधारे।       
          एक ओजस्वी और वाक्पटु के साथ सिद्ध हिन्दी कवि रूप में हमारे बीच 11वें प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कुशल नेतृत्व के बलबूते 24 दलों के साथ गठबंधन कर पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनाकर पूरे पांच वर्ष पूरे करते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। इसमें देश की सुरक्षा के लिए दो परमाणु परीक्षण महत्वपूर्ण रहे। 1998 में राजस्थान के पोखरण का परमाणु परीक्षण इतने गुप्त ढंग से किया गया कि इसकी भनक अमेरिका की सीआईए को भी नहीं लगने पायी।  
         अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रखर वक्ता के साथ सहृदय कवि के रूप में सुविख्यात हैं। उनकी कविताओं के मनन से स्पष्ट होता है कि वे एक राजनेता से पहले कवि हैं। एक ऐसे कवि जो काल्पनिक नहीं, बल्कि यथार्थवादी हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में देशप्रेम का ढोंग नहीं रचा, बल्कि डंके की चोट पर यथार्थता सबके सम्मुख प्रस्तुत की। इसका एक छोटा सा उदाहरण  'पड़ोसी' कविता के रूप में देखिए, जिसमें वे दुश्मन को सिंह की तरह ललकारते हुए कहते हैं-

धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे, यह मत समझो
हमला से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का भाल झुका लोगे यह मत समझो।

जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन यौवन अशेष।
एक अन्य जगह उन्होंने लिखा …
एक हाथ में सृजन, दूसरे में हम प्रलय लिए चलते हैं
सभी कीर्ति में जलते, हम अंधियारे में जलते हैं।
आंखों में वैभव के सपने, पग में तूफानों की गति हो
राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता, आए जिस-जिस की हिम्मत हो।

          यह दुःखद है कि अस्वस्थता के चलते आज वे व्हीलचेयर में हैं और कुछ पढ़-लिख नहीं पा रहे हैं। जीवन की इस ढलती शाम को शायद उन्होंने बहुत पहले भांप लिया, तभी तो “जीवन की ढलने लगी सांझ“ कविता में वे लिखते हैं-
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शांति बिना खुशियां हैं बांझ।
सपनों से मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पाँ और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।

          पदम विभूषण, कानपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट उपाधि, लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पंत पुरस्कार के बाद अटल जी और महामना मदन मोहन मालवीय जी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किए जाने की सुखद घोषणा की गई है। देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" पाने के बाद वे क्रमशः 44वें और 45वें व्यक्ति होंगे। 

अटल जी को जन्मदिन पर हार्दिक मंगलकामना और महामना मालवीय जी को श्रद्धा सुमन! 

सबको क्रिममस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित ....कविता रावत